
चुनावी मौसम में जातियों को साधने की कवायद हर पार्टी में देखी जा रही है. कभी सवर्णों की अगुवाई में रही बीजेपी भी ओबीसी पर केंद्रित हो गयी है. लेकिन 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण की अनदेखी के आरोप ने बीजेपी की मुश्किल बढ़ा दी है. हक देने पर सवर्णों के नाराज होने का डर है और अभी की स्थिति बनी रहने दी तो ओबीसी की नाराजगी भारी पड़ने का जोखिम भी है. अब सरकार को न तो उगलते बन रहा है और न ही निगलते.
69 हजार शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण की लड़ाई का मामला अब सरकार के लिए मुश्किले खड़ी कर रहा है. विपक्ष की छोड़िए अब बीजेपी के सहयोगी दल ही इस मामले में इंसाफ की मांग कर रहे हैं. दरअसल, 2019 में हुई 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण नियमों की अनदेखी का आरोप लगा.
इस परीक्षा में शामिल हुए अभ्यर्थियों का कहना है कि 22 से 23 हजार सीटों पर आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई है. इस भर्ती में ओबीसी वर्ग की 18598 सीट थी, जिसमें से केवल 2637 सीट ही ओबीसी को दी गई. मतलब 27% की जगह केवल 3.86% आरक्षण ही मिला. इसी तरह एससी वर्ग 21% की जगह मात्र 16.6% को ही आरक्षण दिया गया. भर्ती में शामिल अभ्यर्थियों की मांग है कि अनारक्षित वर्ग की कट ऑफ 67.11 से नीचे ओबीसी को 27% और एससी वर्ग को 21% आरक्षण इस भर्ती में दिया जाए.
सियासत जोड़ों पर, सरकार को पिछड़ा विरोधी बताने में लगी विपक्ष
वहीं, इस मामले में सियासत ने भी जोर पकड़ लिया है. विपक्ष इसे अगड़ा बनाम पिछड़े की सियासत से जोड़कर सरकार को पिछड़ा विरोधी बता रहा है. सपा गठबंधंन के नेता ओमप्रकाश राजभर कहते है कि ये सरकार पिछड़ा विरोधी रही है, यंहा एक जाति विशेष के लोगों का बोलबाला है. सपा भी इस मसले को लेकर सरकार पर हमलावर है. विपक्ष तो छोड़िए सरकार के सहयोगी दल भी सख्त हो गए हैं. अपना दल के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल का कहना है कि अभ्यर्थियों की ये लड़ाई हमारी लड़ाई है.
सरकार के मंत्री बोले- अभ्यर्थी धीरज रखें, गठित कमेटी निकाल रही समाधान
सरकार भी पेशोपेश में है. एक तो बेरोजगारी के मोर्चे पर सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं, दूसरा आरक्षण के सवाल में तो बैचैनी बढ़ा दी है. अब सहयोगी दल भी आंख तरेर रहे हैं. ऐसे में सियासी नफा-नुकसान को देखते हुए सरकार इसे जल्द निपटाने के मूड में है. बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी का कहना है कि इस मामले में अभ्यर्थी धीरज रखें एक कमेटी गठित की गई है, जो इसका समाधान निकाल रही है.
आरक्षण का विवाद न खराब कर दे स्वाद का जायका
यूपी में ओबीसी की हिस्सेदारी लगभग 52 फीसदी है. इसमे 43 फीसदी वोट बैंक गैर-यादव बिरादरी का है, तो 9 फीसदी यादव समाज है. ओबीसी वोटर सूबे के सत्ता बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. 2017 में बीजेपी की सत्ता में वापसी में ओबीसी वोटरों की भूमिका काफी अहम रही है. इसलिए बीजेपी के खेमे में बेचैनी है कि कहीं भर्ती का ये विवाद समीकरण के स्वाद का जायका ही न खराब कर दे.
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