H3N2 वायरस के संक्रमण से बड़ रही खाँसी और बुखार ICMR ने दी जानकारी
मौसम में बदलाव के साथ दिल्ली एनसीआर से लेकर देश के दूसरे हिस्सों में लोग खांसी जुकाम और बुखार के शिकार हो रहे हैं. इनमें खांसी इतनी ज्यादा है कि कई दिनों तक नहीं जा रही है.
इसकी वजह इन्फ्लूएंजा ए के एच3एन2 वायरस (H3N2 Virus) का तेजी से फैलना है. यह वायरस बहुत ही घातक है, लेकिन जानलेवा नहीं है. इसका असर काफी दिनों तक रह सकता है. देश के कई हिस्सों में करोड़ों लोग खांसी जुकाम से परेशान है.
इसी को देखते हुए आईसीएमआर (ICMR) ने भी इसका संज्ञान लिया. इसके अनुसार, 15 दिसंबर के बाद से ही एच3एन2 वायरस के संक्रमण के फैलने में तेजी आई है. इस वायरस से संक्रमित लोग खांसी और जुकाम के न जाने से अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं. इसके लक्षण कोरोना वायरस की तरह हैं, जो 2 से 3 सप्ताह तक रह सकते हैं, लेकिन ये जानलेवा कताई नहीं है.
हर बार मौसम में बदलाव पर होती है दिक्कत
डॉक्टर्स की मानें तो मौसम में बदलाव के समय ऐसी दिक्कतों का बढ़ना लाजमी है. हाल ही में मौसम में हुए बदलाव के बाद ही खांसी, जुकाम और बुखार के मरीजों में तेजी से इजाफा हुआ है. लेकिन नॉर्मल और एच3एन2 वायरस के लक्षण में काफी फर्क है, जिसे समझना जरूरी है.
ये हैं एच3एन2 वायरस के लक्षण
आईसीएमआर द्वारा जारी आंकड़ों की मानें तो पिछले महीनों में एच3एन2 वायरस की चपेट में आने वालों की मरीजों में 92 प्रतिशत बुखार, 86 प्रतिशत को खांसी और 16 को घरघराहट और 16 प्रतिशत को निमोनिया था. कमजोर इम्यूनिटी और सीवियर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन से पीड़ित करीब 10 प्रतिशत रोगियों को ऑक्सीजन की दिक्कत हुई.
ऐसे करें इस वायरस का बचाव
आईसीएमआर ने इस वायरस के कुछ तरीके सुझाए हैं. इन्हें फॉलो कर आप एच3एन2 वायरस की चपेट में आने से बच सकते हैं.
-हाथों को अच्छे से साबुन लगाकर धोएं
-ना और आंखों को बार बार छूने से बचें
-घर से बाहर निकलते समय मास्क लगाना ज्यादा फायदेमंद है
-छींकते या खांसते समय मुंह पर और नाक को कवर कर लें
-बॉडी पेन या बुखार होने पर पेरासिटामोल लें
-तरल पदार्थों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें।
इन चीजों को न करें नजरअंदाज
आईसीएमआर के अनुसार, एच3एन2 वायरस की चपेट में आने वालों को हाई फीवर हो सकता है. इसमें ठंड और कंपकपी छुटती है. तेज बुखा आता है. इसके जाने के बाद लगातार खांसी रह सकती है. यह खांसी आम नहीं है, यह कई दिनों तक परेशान कर सकती है. इसमें खरास से लेकर आवाज में भी खरखराहट हो सकती है.