महान वीरांगना अवंतीबाई की प्रतिमा लगाकर सौंदर्यीकरण करना भूले ठेकेदार
अमित माथुर (उप संपादक)
एटा। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ 1857 की क्रांति में अहम भूमिका निभाने वाली महान वीरांगना अवंतीबाई लोधी की प्रतिमा
आज अपनी बदहाली पर रो रही है और भ्रष्ट नगरपालिका और समाज के ठेकेदारों से उस स्थान का सौंदर्यीकरण होने का इंतजार कर रही है।
हालांकि देश में जो भी महापुरुष एवं वीरांगना हुईं उनपर किसी एक समाज का अधिकार नहीं होता ऐसे महापुरुष हर उसके लिए पूजनीय होते हैं जो इस भारतवर्ष की धरती पर जन्मा है फिर भी उस समाज की एक बड़ी नैतिक जिम्मेदारी बन जाती है जो ऐसे महापुरुषों पर अपनी जाति का प्रतिचिन्ह लगाकर उनके नाम पर राजनीति करते हैं या फिर ठेकेदार होने का दिखावा करते हैं।
लेकिन जनपद में लगी वीरांगना अवंतीबाई लोधी की प्रतिमा लोधी समाज के ठेकेदारों के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ उनकी जयंती एवं बलिदान दिवस के अवसर पर फोटो खींचाकर फेसबुक और ट्विटर पर लाइक और कमेंट पाने का मात्र एक जरिया बनकर रह गई है।
जिस स्थान पर वीरांगना अवंतीबाई लोधी की प्रतिमा लगी है वह स्थान भ्रष्ट नगरपालिका और समाज के ठेकेदारों के चलते बदहाल स्थिति में है या फिर यह भी कह सकते हैं कि महान वीरांगना अवंतीबाई लोधी की प्रतिमा लगाने वाले उस ओर जाने वाला रास्ता भूल चुके हैं और अपने स्वार्थों में इस कदर व्यस्त हो चुके हैं कि अब उनको महान वीरांगना अवंतीबाई लोधी की जरुरत नहीं है।
हालांकि फेसबुकिया समाज सुधारक वीरांगना अवंतीबाई की जयंती एवं बलिदान दिवस के अवसर पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर फोटो खींचाकर अपनी जिम्मेदारी पूर्ण कर देते हैं और अपने निजी स्वार्थों में डूबे जिम्मेदार लोगों से उस स्थान की बदहाली पर सवाल नहीं कर पाते।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, देश के स्वाभिमान हेतु अंतिम सांस तक संघर्ष करने वाली अदम्य साहस की प्रतिमूर्ति वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी का 20 मार्च को बलिदान दिवस के रूप में पुण्यतिथि मनाई जाती है।