कब आएगा वह आज का दिन
कब आएगा वह
आज का दिन
समय बड़ा बलवान होता है।जो बीत गया वो वापिस लौट कर नहीं आता।हम जन्म-लेते हैं जब कुछ समझ आती है तो उस समय उचित कार्य ( धर्म कर आत्मा को पवित्र करने वाला ) यह सोच कर टाल देते हैं कि भविष्य में कर लेंगे। पर जब आता है वह कल तब आनंद से जीने की अक्ल हमारी लुप्त हो जाती है ।और हम सोचने लग जाते है कैसे बनायें और अधिक समृद्ध आने वाला कल जो जीवन भर यही क्रम चलता ही रहता है । क्योंकि समय अपनी गति से चलता रहता है।जो कार्य जिस समय हमको करना चाहिये उसे नहीं करके हम नादानी में समय उजुल-फ़िज़ूल बातों में नष्ट कर देते हैं।जब समय दस्तक देता है तब याद आता है कि जिस कार्य को हम्हें बहुत पहले करना था वो समय तो हमने पहले नष्ट कर दिया। इसलिये कहा है भगवान महावीर ने तुम समय को जानो, क्षण को जानो | हर पल है क़ीमती | भले ही समय हमें मुफ्त में मिलता है पर यह एक अमूल्य संपदा है | हम इसका सही मूल्यांकन करते हुए अच्छा उपयोग कर इसे सही दिशा में नियोजित करें व सदुपयोग करते रहें | व्यर्थ की बातों में क़ीमती पल को गँवाना बेवक़ूफ़ी हैं । कल जो था बीत गया आएगा नहीं वापिस । कल जो आएगा अभी देखा नहीं जो नज़र आ रहा है वो आज और अभी है । अभी वर्तमान समय में इस भरत क्षेत्र में आने वाले पल को,कब , कहाँ , कैसे किसने देखा है? धूप-छांव के मध्य संधि की, कहाँ रेखा है? इस सच्चाई को समझ,जो वर्तमान मे जीता है उसने ही भविष्य को वर्तमान मे देखा है।
प्रदीप छाजेड़
(बोरावड़ )