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यह तथ्य है कि

यह तथ्य है कि

राम नाम तो मानव के जीवन का आईना है ।इसका हम जितना रटन करेंगें,?हमारी चमक उतनी ही बढ़ती जाएगी?। त्वया विलोकित: सद्यः शीला ध्येर खिलेर्गुणे:,कुलेश्ववैश्रच् भुग्यन्ते पुरुषा निर्गुणा अपि”। लक्ष्मी चंचल हैं किंतु जो सद्दगुणी हैं अच्छे काम में उसका उपयोग करता हैं यह और द्विगुणित हो जाती हैं।
संगम ने अपनी खीर का दान किया और शालिभद्र बना स्वर्ग से उतरी 99 पेटियाँ पाने के बावजूद धर्म का हाथ कभी ना छोड़ा। मन में भगवान के प्रति सच्ची आस्था ही हमारी सबसे बड़ी संपत्ति हैं। इसमें हमेशा बढ़ोतरी होती रहे जिससे धर्म का हमेशा निवास हमारे भीतर रहेगा । जरुरी नहीं की आप प्रार्थना करो उस समय मन्दिर में हो परन्तु इसके लिये यह आवश्यक है कि व्यक्ति के मन में इष्ट का निवास हो । हर मानव कि चाह होती है की उसका हर काम परफेक्ट हो, परिपूर्ण हो, उस पर उसकी छाप हो,यही दिलो दिमाग मे छाया रहता है। लेकिन हम जो कुछ कार्य कर रहे है हो सकता है लोगो की नजर में पूर्ण ना हों ,पर हमें इसकी चिंता नही करनी है।सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग इस रोग को अपने पर हावी नही होने देना है क्योंकि लोगो का नजरिया तो एक औसत तक का है। हमे तो अपना कार्य यही सोच के करना है कि हम जोभी कर रहे है सर्वश्रेष्ठ कर रहे है और परफेक्ट ही होगा भले ही वह परफेक्ट न हो । हम कितने लोगों से प्रेरणा लेते है । कितने ही लोगो से प्रेरित भी होते है । मन में एक सही से संतोष बनाये रखे जो किया अच्छा ही किया ।हताश न हो,और प्रयास जारी रखना चाहिए। कभी तो पूर्ण बनेंगे ही बनेंगे क्योंकि काम में सफलता नहीं मिले तो काम का तजुर्बा तो हमको सीखने को मिला ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

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