भारत में अब खालिस्तान (Khalistan) और गैंगस्टर्स से जुड़े नेटवर्क के सफाए के लिए अब केंद्रीय एजेंसियां खास प्लान पर काम करने की योजना बनाने जा रहा हैं। ऐसे में एनआईए, आईबी, रॉ और एटीएस की मीटिंग अहम है।
भारतीय इंटेलिजेंस और जांच एजेंसियों की एक मीटिंग ऐसे वक्त में हो रही है, जब कनाडा में भारत विरोधी खालिस्तानी नेटवर्क की गतिविधियों सामने आई हैं।
खालिस्तानी आतंक और गैंगस्टर्स के नेटवर्क के खात्मे के लिए केंद्रीय एजेंसियां अब भारत एक्शन मोड में हैं। इसके लिए एंटी टेररिस्ट प्लान बनाने की कवायद की जा रही है। कनाडा से विवाद के बीच ‘NIA, RAW, ATS और IB की संयुक्त बैठक बुलाई गई है। रिपोर्ट्स के मुताबित कथित तौर पर एनआईए ने 5-6 अक्टूबर को नई दिल्ली में आपात बैठक बुलाई है। जिसमें देशभर से आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) के प्रमुख शामिल होंगे।
कनाडा में खालिस्तानी नेटवर्क के भारत विरोधी एक्टिविटी और आतंक पर कैसे अंकुश लगाया जाय इसको लेकर अब भारत की एजेंसियां एक साझा प्लान तैयार कर सकती हैं। जांच और इंटेलिजेंस एजेंसियों की बैठक को लेकर दावा ये भी किया जा रहा कि आतंकी गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए बड़ी कार्रवाई की योजना पर पहले से कार्रवाई चल रही ही, जिसको लेकर इस बैठक में मंथन किया जाएगा।
दरअसल, कनाडा में भारत के खिलाफ पनप रहे आतंकियों को लेकर एजेंसियों ने सख्ती बढ़ाई है। कनाडा में खालिस्तान और आतंकी नेटवर्क को लेकर भारत से तनातनी भी है। इसकी वजह है कि कनाडा आतंकियों को शरण दे रहा है, ये बात सामने आने आने बाद भी वो भारत की ओर से इस कार्रवाई की बात को अनसुनी करता है।
2020 में एनआईए ने एफबीआई-आरसीएमपी प्रोटोकॉल के तहत एक एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद भी कुछ नहीं बदला। दरअसल, जस्टिन ट्रूडो सरकार वोट बैंक की राजनीति में भारत की मांगों को अनदेखा करते हुए खालिस्तानियों को समर्थन दे रही है। भारत ने खुफिया जानकारी के आधार पर कई बार कनाडा को खालिस्तानियों की जानकारी दी। इसके बावजूद कनाडा सरकार का ढुलमुल रवैया ही सामने आया।