Holi Celebrations: कहीं लट्ठमार तो कहीं कोड़ों की बरसात… देश में अलग-अलग तरीके
Holi 2024: होली भारतीयों के लिए एक बहुत ही प्रसिद्ध त्योहार है। अपने साथ तमाम खुशियां और उल्लास लाने वाला ये त्योहार फाल्गुन महीने में आता है। हर साल होली पूरे देश में खुशियों के साथ मनाई जाती है।
रंगों के इस त्योहार को मनाया तो पूरे देश में जाता है मगर अलग अलग तरीकों से। जी हां! भारत में होली की अलग-अलग परंपराएं लोगों का ध्यान खींचती हैं।
हमारे देश में होली का त्योहार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। हर कल्चर में होली मनाने का तरीका काफी अलग और अद्भुत होता है। चलिये बात करते हैं अलग-अलग जगहों पर कैसे होली के त्योहार का मजा उठाया जाता है।
लट्ठमार होली
मथुरा और वृंदावन की नजदीकी जगहों पर ये होली मनाई जाती है। होली का उत्सव जीवन की खुशियों और रंगों का महापर्व होता है, जिसमें लोग एक-दूसरे को अबिर-गुलाल लगाते हैं और प्रेम और भाईचारे का प्रकार करते हैं। लेकिन इस होली का एक खास अंदाज है जो हमेशा से ही देश के उत्तर प्रदेश के वृंदावन और मथुरा में लठमार होली के रूप में जाना जाता रहा है।
लठमार होली एक विशेष परंपरा है जो वृंदावन और मथुरा के कुछ गांवों में ही मनाई जाती है। इस उत्सव में महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं और पुरुष उन्हें रोकने की कोशिश करते हैं। ये खासतौर से मथुरा के नंदगांव और बरसाना के गांवों में प्रसिद्ध है। ये परंपरा भगवान कृष्ण के जीवन के कुछ घटनाओं से जुड़ी है और ये प्रेम की प्रतीक है।
‘टमाटो होली’
इस तरह की होली भारत में परंपरागत रंगों के त्योहार का एक नया और अनोखा रूप है। ये होली उत्तर प्रदेश के बरसाना गांव में मनाई जाती है। राजस्थान के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में भी ये होली खेली जाती है। ये होली होली के बाद चौथे के मौके पर खेली जाती है।
हुरंगा होली
ब्रज की होली के बाद हुरंगा की होली देखना काफी शानदार और शुभ माना जाता है। इस होली में महिलाएँ सज धजकर बलदेव परिक्रमा करती हैं। हुरंगा में रंगों के साथ-साथ कोड़े भी बरसाए जाते हैं। हुरंगा होली का इतिहास 425 सालों से भी पुराना रहा है। हुरंका के लिए काफी पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। देश विदेश से हुरंगा देखने के लिए लोग हर साल आते हैं।
कुमौनी होली
उत्तराखंड के कुमाऊं की ये होली बेहद खास मानी जाती है। यहां लोग रंगों ही नहीं बल्कि संगीत को खूब तवज्जो देते हैं। होली के मौके पर एक दूसरे को गुलाल तो लगाया ही जाता है मगर साथ में खूब संगीत भी बजाया जाता है। जो होली के हुड़दंग में चार चाँद लगा देता है।