पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक अजय यादव बसपा छोड़ हुए भाजपा में शामिल, निकाय चुनाव में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले कई और नेताओं ने थामा भाजपा का दामन
निकाय चुनाव में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले कई और नेताओं ने थामा भाजपा का दामन
अमित माथुर/उप संपादक
एटा। लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा वैसे-वैसे जनपद की राजनीति में भाजपा का परिवार बढ़ता जा रहा है। आयेदिन सपा से लेकर बसपा के नेता भाजपा की शरण में जा रहे हैं, सपा के दिग्गज नेता पूर्व सांसद कुंवर देवेन्द्र सिंह यादव के बाद पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक अजय यादव बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। इसके अलावा निकाय चुनाव में भाजपा के खिलाफ मिरहची से अपनी पत्नी लक्ष्मी उपाध्याय को निर्दलीय चुनाव में उतारने वाले सर्वेश उपाध्याय अपनी पत्नी नगरपालिका अध्यक्ष लक्ष्मी उपाध्याय सहित भाजपा में शामिल हो गए इसके साथ ही निधौली कलां की चैयरमेन शिखा गुप्ता भी आज भाजपा में शामिल हो गईं। भाजपा जिलाध्यक्ष एडवोकेट संदीप जैन ने सभी को पार्टी का पटका डालकर सभी नेताओं को भाजपा कार्यालय पर पार्टी जॉइन कराई।
लेकिन जिस तरह से जनपद में यादव जाति से आने वाले नेता भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं उससे जनता हैरान हैं अब यह जनचर्चा बनी हुई है कि अगर ज्यादातर यादव नेता भाजपा की शरण में चले जाते हैं तो इससे सपा या अन्य दलों को कितना नुकसान होगा साथ ही भाजपा इन नेताओं को पार्टी में कहां एडजस्ट करेगी, इसके अलावा भाजपा का कोर वोट माने जाने वाली जातियों के नेताओं के साथ भाजपा हाईकमान कितना न्याय कर पाएगी और उनकी हकमारी करके सपा-बसपा से जाने वाले नेताओं को तो नहीं देगी।
भाजपा में बढ़ते यादव नेताओं के जनाधार से लोधी समाज के नेताओं की बढ़ सकती हैं मुश्किलें…..
अबतक जनपद में चाहे लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव लेकिन भाजपा से ज्यादातर लोधी समाज से आने वाले नेताओं को वरियता मिलती आ रही है लेकिन जिस तरह यादव समाज से आने वाले दिग्गज नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं उससे कहीं न कहीं भाजपा के कोर वोट माने जाने वाले लोधी समाज के नेताओं और वोटरों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं, लोकसभा चुनाव के बाद जब विधानसभा या अन्य चुनाव होंगे तो भाजपा से प्रत्याशी बनने के लिए यादव नेता अपनी दावेदारी ठोंकेंगे ऐसे में भाजपा हाईकमान को सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा क्योंकि जनपद एटा की तीनों विधानसभाओं पर यादव वोटर अच्छी-खासी तादाद में हैं और यादव नेता लोधी समाज के नेताओं को राजनीतिक नेतृत्व के लिए कड़ी चुनौती देंगे।
लेकिन अबतक के घटनाक्रम को देखते हुए यह तो नहीं कहा जा सकता है कि भाजपा लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के लिए यादव नेताओं को भाजपा में शामिल कर रही है या भविष्य में लोधी समाज के वर्चस्व को कम करने के लिए भाजपा में शामिल कर रही है।