महंत ने महिलाओं के कपड़े बदलने के रूम में लगवाया कैमरा, अपने मोबाइल पर देखता था
मिनी हरिद्वार कहे जाने वाले गंगनहर घाट स्थित प्राचीन शनि मंदिर के महंत मुकेश गोस्वामी के खिलाफ महिला ने शुक्रवार को नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई है। इसमें आरोप है कि मुकेश ने गंगा घाट पर महिलाओं के कपड़े बदलने के कमरे में ऊपर की तरफ कैमरा लगवा रखा था।
इसकी फुटेज महंत अपने मोबाइल फोन पर देखता था। पुलिस ने केस दर्ज करने से पहले मौके पर जाकर जांच-पड़ताल की। इसी बीच महंत फरार हो गया। उसकी तलाश में पुलिस की टीम लगाई गई है।
मुरादनगर के ही एक गांव की रहने वाली महिला ने एफआईआर में बताया है कि वह 21 मई की दोपहर को बेटी के साथ गंगा घाट पर स्नान के लिए आई थीं। स्नान के बाद कपड़े बदलने के लिए चली गईं। घाट पर बने कमरे बदलने के कमरे में उन्होंने देखा कि ऊपर की तरफ कैमरा लगा है। इसका फोकस कमरे पर ही है। उनका माथा ठनक गया। वह तुरंत वहां से बाहर निकलीं। आसपास के लोगों ने बताया कि यह कैमरा महंत मुकेश गोस्वामी के मोबाइल फोन से जुड़ा है।
महिला का कहना है कि वह महंत के पास पहुंची तो वह भड़क गया। आरोप है कि उसने अपशब्द कहे। साथ ही पुलिस से शिकायत करने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी। इसके बाद वह वहां से चली आईं और मुरादनगर थाने में तहरीर दे दी। दूसरी ओर पुलिस ने पहले घाट पर कैमरे के बारे में जानकारी ली। आरोपों के बारे में महंत से भी पूछा और फिर केस दर्ज किया।
इसके बाद महंत की गिरफ्तारी के लिए मंदिर पहुंची लेकिन तब तक वह फरार हो चुका था। शाम को पुलिस ने घाट पर अवैध रूप से बनीं महंत की दुकानें जेसीबी से ध्वस्त करा दीं। कुल पांच दुकाने थीं। प्रशासन की रिपोर्ट पर यह कार्रवाई की गई। पुलिस का कहना है कि घाट से अतिक्रमण हटाने के क्रम में यह कार्रवाई की गई है।
महंत मुकेश गोस्वामी की तलाश में टीम लगी है। उसका मोबाइल फोन और कैमरे की डीवीआर कब्जे में ले ली गई है। – नरेश कुमार, एसीपी
फरार होने से पहले महंत ने अपनी सफाई में कहा, महिलाओं के कपड़े बदलने के कमरे में कैमरा नहीं लगा था। पास के कैमरे को बंदरों ने घुमा दिया, जिससे फोकस उस ओर हो गया। केस दर्ज करने वाली महिला से माफी मांग ली है।
महंत मुकेश गोस्वामी पर यह पांचवां केस दर्ज हुआ है। इससे पहले चार और मुकदमे हैं। पहला 2007 में मेरठ के सिविल लाइन थाने में दर्ज हुआ था। यह जालसाजी और धोखाधड़ी की धाराओं में था। इसके बाद मुरादनगर थाने में 2017, 2018 और 2019 में वन अधिनियम का एक-एक केस दर्ज किया गया।