कन्नौज में दशहरा के 5 दिन बाद होता है रावण दहन, 200 साल से चली आ रही अनोखी परंपरा
यूपी के कन्नौज जिले में दशहरे के दिन लंकापति रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता है. करीब 200 सालों से चली आ रही मान्यता के अनुसार लंकापति रावण ने अपने प्राण दशहरे के दिन नहीं त्यागे थे. बल्कि दशहरे के पांचवे दिन पड़ने वाली शरद पूर्णिमा के दिन रावण के प्राण निकले थे. जिसके चलते कन्नौज जिले में बीते करीब 200 से ज्यादा सालों से दशहरे के पांचवें दिन शरद पूर्णिमा को रावण के पुतले का दहन किया जाता है.
मान्यता के मुताबिक, जब भगवान श्री राम और लंकापति रावण के बीच युद्ध हुआ तो विभीषण के कहने पर भगवान श्री राम ने रावण की नाभि में तीर मारा जिससे उसकी नाभि से अमृत निकल गया. उसके बाद करीब 5 दिनों तक रावण में अपने प्राण नहीं त्यागे. वही तीर लगने के बाद जब रावण अचेत होकर आकाश मार्ग से जमीन पर गिरा तो भगवान श्रीराम ने अपने अनुज लक्ष्मण से कहा कि रावण परम ज्ञानी है, लक्ष्मण तुम जाओ उससे ज्ञान ले लो.
200 सालों पुरानी अनोखी प्रथा
भगवान श्रीराम का आदेश पाकर लक्ष्मण रावण के पास ज्ञान लेने गए. रावण ने लक्ष्मण को जो ज्ञान दिया उसमें 5 दिनों का समय लग गया इसके बाद शरद पूणिमा के दिन रावण ने भगवान श्री राम का नाम लेते हुए अपने प्राण त्याग दिए. कहते हैं इसी मान्यता को आधार मानते हुए कन्नौज जिले में रावण के वध और दहन की प्रथा 200 से ज्यादा सालों से चली आ रही है, जिसके चलते दशहरे के दिन रावण दहन नहीं होता है. कन्नौज जिले में दो जगहों पर रावण दहन का कार्यक्रम किया जाता है. और दोनों ही जगहों पर रावण दहन दशहरे के बाद पड़ने वाली शरद पूर्णिमा के दिन किया जाता है.
साल भर होता है रामलीला का इंतजार
भगवान श्री राम के जीवनकाल की रामायण के आधार पर कन्नौज में चली आ रही 200 साल पुरानी रामलीला इतनी रोचक होती है कि इसका इंतजार पूरे क्षेत्र के लोगों को साल भर से होता है. भक्त रामलीला देख कर भगवान श्री राम की भक्ति में लीन हो जाते हैं और भगवान के जयकारों के साथ रावण दहन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.
कलप्रिट तहलका (राष्ट्रीय हिन्दी साप्ताहिक) भारत/उप्र सरकार से मान्यता प्राप्त वर्ष 2002 से प्रकाशित। आप सभी के सहयोग से अब वेब माध्यम से आपके सामने उपस्थित है।
समाचार,विज्ञापन,लेख व हमसे जुड़ने के लिए संम्पर्क करें।