एआरटीओ आरपी मिश्रा के भ्रष्टाचार से जनता त्रस्त, गुर्गे संभाल रहे दलाली- भ्रष्टाचार का तंत्र
सब एडिटर: अमित माथुर
कासगंज। बेखौफ बेधड़क होकर एआरटीओ आरपी मिश्रा एआरटीओ कार्यालय पर दलालों को संरक्षण दे रहे हैं, दलाली का तंत्र एवं व्यवस्था इतनी मजबूत है कि जनता उसके आगे बेबस कमजोर नजर आ रही है। एआरटीओ आरपी मिश्रा के आगे सरकार के दलाली- भ्रष्टाचार रोकने के तमाम दावे हवा-हवाई साबित हो रहें हैं, बाबूओं से लेकर चपरासी सब इस दलाली के खेल में शामिल हैं, कार्यालय से संबंधित होने वाले प्रत्येक कार्य पर बाकायदा बंटवारा सुनिश्चित कर दिया गया है, बाबू को कितना मिलेगा तथा बाबू के हैल्पर के तौर पर रखे गए दलाल को कितना सब तय है, कोशिश यह रहनी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा लोग दलालों के जरिए कार्य कराएं और कोई अगर स्वयं कार्यालय में कार्य लेकर आए तो उसको ऐसे ज्ञान की घुट्टी पिलाई जाए कि वो दलालों की झोपड़ी तक जाने को बेवस हो जाए।
जबसे एआरटीओ आरपी मिश्रा ने कार्यालय की कमान संभाली है तब से यही मूलमंत्र चल रहा है, एआरटीओ आरपी मिश्र के संरक्षण में फल-फूल रही दलाली और भ्रष्टाचार से जनता त्रस्त हो चुकी है, पीडीएल लाईसेंस से लेकर हैवी लर्निंग और हैवी लाईसेंस पर डंके की चोट पर वसूली की जा रही है, वाहनों की फिटनेस से लेकर एनओसी सबका रेट तय है।
अगर कार्यालय से संबंधित कार्यों की गिनती की जाए तो लंबी फेहरिस्त है और सभी कार्यों का रेट तय कर दिया गया है जहां जनता मंहगाई , गरीबी, बेरोजगारी से परेशान हैं तो वहीं एआरटीओ आरपी मिश्रा की कम समय में करोड़पति बनने की महत्वाकांक्षा जनता का खून चूसने का कार्य कर रही है।
*गुर्गे संभाल रहे दलाली- भ्रष्टाचार का तंत्र……*
कासगंज एआरटीओ कार्यालय में दलाली- भ्रष्टाचार का तंत्र अनैतिक रुप से कार्यरत लोगों के हवाले है जिनको न जिलाधिकारी का डर है और ना हीं सरकार का, लंबे समय से कार्यालय पर जिलाधिकारी या अन्य किसी बड़े अधिकारी का निरीक्षण दौरा न होने से एआरटीओ के संरक्षण प्राप्त दलालों और भ्रष्ट बाबूओं के हौंसले बुलंद हैं और प्रतिदिन खुलेआम वसूली अभियान चला रहे हैं।
एआरटीओ आरपी मिश्रा का संरक्षण प्राप्त बाबूओं और दलालों का भ्रष्टाचारी टाॅर्चर प्रदेश में चर्चा का केंद्रबिंदु बना हुआ है, लोगों का कहना है कि इस भ्रष्टाचार और दलाली के अड्डे पर जब-तक जिलाधिकारी का हंटर नहीं चलेगा तब तक भ्रष्टाचार के सरदार और उसकी गैंग के दलालों की दुकान बंद नहीं होने वाली।
