जिले में संचालित निजी अस्पताल एवं मानकों की धज्जियां उड़ाकर चल रहे अवैध अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा भगवान भरोसे
(अमित माथुर)
एटा। झाँसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुए अग्निकांड में जलकर अबतक करीब 18 बच्चों की मौत चुकी है, बता दें 10 बच्चों की मौत घटना के ही दिन हो गई थी जबकि आग में गंभीर रूप से झुलस चुके 08 बच्चों की मौत उपचार के दौरान अब-तक हो चुकी है।
झांसी मेडिकल कॉलेज की घटना के बाद सरकार की जमकर किरकिरी होने के बाद शासन ने प्रत्येक जिलाधिकारी को मेडिकल कॉलेज को लेकर सख्त दिशा-निर्देश दिए।
इसी क्रम में जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह के निर्देश पर गठित की गई टीम द्वारा वीरांगना अवंतीबाई मेडिकल कॉलेज का एसडीएम भावना विमल, मुख्य अग्निशमन अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा सयुक्त रूप से निरिक्षण किया गया।
निरीक्षण के दौरान एसडीएम भावना विमल व सीएफओ द्वारा अग्नि उपकरणों के क्रियाशील स्थिति एवं सभी उपकरणों के रखरखाव की जांच करने के पश्चात गठित टीम द्वारा जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह को यथास्थिति से अवगत कराया गया है।
जिलाधिकारी द्वारा गठित निरीक्षण टीम का दायरा मेडिकल कॉलेज तक सीमित क्यों…?
जिले में मानकों की धज्जियां उड़ाकर चल रहे अवैध अस्पतालों पर मेहरबानी क्यों…?
स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी कहें या फिर मेहरबानी लेकिन जिस रफ्तार से जिले में मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए आयेदिन शहर से लेकर गांव-कस्बों में निजी अवैध अस्पतालों की संख्या बढ़ती जा रही है वो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर जरुर प्रश्नचिन्ह लगाता है लेकिन इस सब पर जिलाधिकारी की अनदेखी और चुप्पी बड़ा सवाल खड़ा करती है, आखिर जिले में संचालित हो रहे अवैध अस्पतालों की खबरें जिलाधिकारी तक पहुंचती हैं या नहीं, या फिर पहुंचती हैं तो जन-मानस से जुड़े जन-धन हानि के मुद्दे की अनदेखी क्यों….??
जिले में मानकों की धज्जियां उड़ाकर चल रहे अवैध अस्पताल, अल्ट्रासाउंड सेंटर एवं पैथॉलाजी सेंटर पर कार्यवाही के नाम पर जो नाट्यक्रम चलता है उसपर
मशहूर शायर अदम गोंडवी की लाइनें सटीक बैठती हैं– तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है।