Lottery King Santiago Martin Bought Most Electoral Bonds: भारतीय निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को उन कंपनियों की लिस्ट जारी की थी जिन्होंने चुनावी चंदा देने के लिए चुनावी बॉन्ड्स खरीदे थे।
इससे कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से फटकार लगाए जाने के बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आयोग को ये जानकारी सौंपी थी। इस लिस्ट के अनुसार सबसे ज्यादा चुनावी चंदा देने वाली कंपनी का नाम फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड है। यह कंपनी सैंटियागो मार्टिन नामक शख्स की है जो ‘लॉटरी किंग’ के नाम से मशहूर है।
सैंटियागो मार्टिन के चैरिटेबल ट्रस्ट की वेबसाइट के अनुसार साल वह म्यांमार के यंगून में मजदूरी किया करता था। साल 1988 में वह भारत लौटा और तमिलनाडु में लॉटरी का कारोबार शुरू किया। नॉर्थ-ईस्ट आने से पहले सैंटियागो ने अपना कारोबार कर्नाटक और केरल में भी फैलाया था। नॉर्थ-ईस्ट में उसने सरकारी लॉटरी योजनाओं के साथ अपने काम की शुरुआत की। उसने भारत से बाहर भूटान और नेपाल में भी लॉटरी का व्यवसाय किया। वेबसाइट के अनुसार बाद में मार्टिन ने कंस्ट्रक्शन, रियल एस्टेट, टेक्सटाइल्स और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्रों में भी बिजनेस करना शुरू किया।
900 करोड़ के घोटाले का आरोप, ईडी की जांच
लॉटरी किंग का नाम घोटालों में भी आता रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) साल 2019 से मनी लॉन्ड्रिंग के कथित मामले में फ्यूचर गेमिंग की जांच कर रही है। पिछले साल मई में ईडी ने कोयंबटूर और चेन्नई में छापेमारी भी की थी। इस दौरान उसकी 457 करोड़ रुपये की संपत्ति फ्रीज कर दी गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार ईडी की जांच सीबीआई की चार्जशीट पर आधारित है। आरोप है कि मार्टिन की कंपनी केरल में सिक्किम सरकार की लॉटरी बेचती थी। उसने अप्रैल 2009 से अगस्त 2010 तक जीतने वाले लॉटरी टिकट्स के दावे बढ़ा-चढ़ा कर दिखाए और सिक्किम को 910 करोड़ का चूना लगाया था।
चुनाव आयोग की लिस्ट के अनुसार फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज ने साल 2019 से साल 2024 के बीच 1368 रुपये का चुनावी चंदा दिया था। लिस्ट में दूसरे स्थान पर मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर है जिसने 977 करोड़ रुपये और तीसरे पर क्विकसप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड है जिसने 410 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे। 12 अप्रैल 2019 और 24 जनवरी 2024 के बीच एसबीआई से 12,155 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए थे। इसमें से भाजपा को सबसे ज्यादा 6060.5 करोड़ रुपये का, टीएमसी को 1609.5 करोड़ और कांग्रेस को 1214.9 करोड़ रुपये का चंदा मिला था।