राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर पिछड़ा वर्ग आयोग की संस्तुतियों पर निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए अधिनियम में संशोधन करने जा रही है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में सामान्य नगरीय निकाय निर्वाचन-2023 उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम-1916 एवं उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम-1959 में संशोधन संबंधी अध्यादेश को मंजूरी के लिए रखा जाएगा।
उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग ने राज्य सरकार को आबादी के अनुपात व ट्रिपल टेस्ट के आधार पर ओबीसी के लिए सीटें आरक्षित करना का सुझाव दिया है। अभी आरक्षण प्रदेश स्तर पर आबादी के हिसाब से सीटों को बाटते हुए किया जाता है। इससे वास्तविक लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसीलिए मेयर सीटों का आरक्षण प्रदेश, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष मंडल और नगर पंचायत अध्यक्ष सीटों का आरक्षण जिला स्तर पर आबादी और सीटों के अनुपात पर करने का सुझाव है। सूत्रों का कहना है कि इसका अधिनियम में प्रावधान किया जाएगा। उदाहरण के लिए किसी सीट पर अगर 10 से 20 फीसदी तक आबादी है तो उसके आधार पर सीटें आरक्षित होंगी। किसी सीट पर 30 से 40 फीसदी अगर आबादी है तो तय कोटे के आधार पर 27 फीसदी तक ही आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।
अधिनियम के आधार पर ही नियमावली में प्रावधान करते हुए नगर निगम मेयर, पालिका परिषद और नगर पंचायत अध्यक्ष की सीटों का आरक्षण किया जाएगा। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के तुरंत बाद ही सीटों के आरक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। सूत्रों का कहना है कि सीटों के आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना बुधवार रात से गुरुवार के बीच कभी भी जारी की जा सकती है। आपत्तियों के लिए सात दिन और निस्तारण दो दिनों में करते हुए अंतिम अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आरक्षण की अधिसूचना दो दिन में जारी करने का समय दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने ही वर्ष 2010 में ट्रिपल टेस्ट के आधार पर सीटों के आरक्षण की व्यवस्था दी थी। उत्तर प्रदेश में इसके बाद वर्ष 2012 व 2017 के चुनाव पुरानी आरक्षण की व्यवस्था के आधार पर हो चुके हैं। इसलिए इन दोनों ही चुनाव में जो सीटें आरक्षित की गई थीं उन्हें शून्य माना जाएगा। आयोग की सिफारिश के आधार पर आरक्षण का अनुपात तय किया जाएगा। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि एससी, एसटी व ओबीसी की कुल आरक्षित सीटें 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। मेयर व अध्यक्ष की सीटों के आरक्षण में बदलाव होगा और वार्डों में कोई बदलाव नहीं होगा।