बदलें आदतें बचाएं लिवर
यकृत यानी लिवर में चिकनाई यानी फैटी लिवर से ग्रस्त मरीजों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है। अमूमन यह समस्या अत्यधिक शराब पीने से होती है। अगर ऐसा मरीज फिर भी मदिरापान करता है, तो उसके लिवर जोखिम होने का खतरा बना रहता है। ऐसे भी मरीज हैं जो शराब नहीं पीते, फिर भी उनके लिवर में अतिरिक्त चर्बी बनने लगती है। इस मर्ज को ‘नान अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज’ कहा जाता है। इस रोग में लिवर में सूजन आ जाती है। कैंसर का भी अंदेशा रहता है। हर बार जरूरी नहीं कि चिकनाईयुक्त आहार लेने से ही समस्या पैदा हुई हो। ‘नान अल्कोहलिक फैटी लीवर’ सामान्य रूप से किसी को भी प्रभावित कर सकता है। मगर उन लोगों को अधिक | जोखिम है जो मोटापे के शिकार हैं। मधुमेह रोगियों को भी सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।
खामोशी की जड़
लिवर में चिकनाई की समस्या को चार चरणों में देखा जा सकता है। पहला सामान्य फैटी लिवर, फिर सूजन के साथ फैटी लिवर। तीसरे चरण में सख्त हो रहा लिवर। इसे लिवर सोराइसिस भी कहा जाता है। यही बाद में लिवर कैंसर में बदल जाता है। प्रारंभिक चरण में इस मर्ज का पता चल जाए तो इस गंभीर स्थिति को टाला जा सकता है। यों यह रोग कब खामोशी से बढ़ने लगता है, इसका पता भी नहीं चलता।
ऐसे पहचानें
शुरुआत में ऐसा कोई बड़ा लक्षण नहीं दिखता है। चिकित्सा जांच में ही बढ़े हुए लिवर का पता चलता है। इसमें पेट के दाहिनी ओर दर्द होता है। कई बार ऐसे मरीजों को भूख नहीं लगती। मतली आती है और मरीज थका-थका महसूस करता है। लिवर में ज्यादा समस्या होने पर आंखों में पीलापन दिखता है। ऐसे में पीलिया होने की संभावना भी होती है। इसलिए समय रहते फैटी लिवर का पता लगाना बहुत जरूरी होता है, अन्यथा यह जानलेवा भी बन सकता है।
कैसे करें काबू
पता चलते ही सबसे पहले आहार में चिकनाई की मात्रा को कम कर दें। अपनी थाली से सफेद चावल, आलू और सफेद ब्रेड को तुरंत हटा दें। ये आंतों में सोख लिए जाते हैं और ये फैटी लीवर का कारण बन जाते हैं। इसकी जगह सेब – संतरे, हरी सब्जियां, दालें और नट्स का प्रयोग करें। डिब्बाबंद जूस न लें। कार्बोनेटेड पेय पीने से भी बचना चाहिए। अगर शराब का सेवन करते हैं तो यह तुरंत बंद कर दें। प्रतिवर्ष एक बार ब्लडशुगर और कोलेस्ट्राल के साथ लिवर एंजाइम की जांच कराएं। अगर मधुमेह है तो तत्काल उपचार कराएं। वजन अधिक है तो इसे नियंत्रित करें। मगर तेजी से वजन घटाने से बचें। रोज कम से कम तीस मिनट तक व्यायाम करें।
दवा की तलाश
चिंता की बात है कि फैटी लिवर के उपचार के लिए अभी कोई कारगर दवा नहीं है। अलबत्ता कुछ दवाओं पर शोध जारी है। प्रारंभिक तौर पर मरीजों को अपना आहार और आदतें बदलने की सलाह दी जाती है। अगर कोई मरीज मोटापे से पीड़ित है ते उसे वजन कम करने के लिए बैरियाट्रिक सर्जरी कराने की राय चिकित्सक देते हैं। वजन घटा कर और मधुमेह को काबू करके लिवर को बचाया जा सकता है। इससे पहले कि लिवर खराब हो, अपने चिकित्सक से मिलना चाहिए। देर से उपचार होने पर फैटी लिवर और जटिल हो जाता है। शहरों में जीवनशैली बदलने के कारण जिन रोगों का सामना करना पड़ रहा है, उनमें फैटी लिवर गंभीर रोग के रूप में उभर रहा है।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब