सी एम ओ आफिस में अफसरों की मेहरबानी से स्थानंतरित होकर आए बाबुओं ने की वित्तीय अनियमितता
सी एम ओ आफिस में अफसरों की मेहरबानी से
स्थानंतरित होकर आए बाबुओं ने की वित्तीय अनियमितता. !
*ट्रांसफर यात्रा भत्ता क्लेम के नाम पर फर्जी बिलिंग
से शासन को लगा लाखों का चूना।
*मोटी कमीशनखोरी के दम पर ट्रेजरी ने शासनादेश को इग्नोर कर बिना आपत्ति के सब भुगतान किए
*मिलजुल कर हो रही है लूट*
एटा। जिले के स्वास्थ विभाग की पर्दे की पीछे की जा रही अनियमितताएं नित नए रूप रंग में सामने आ रही हैं जो बाबुओं एवं जिम्मेदार अफसरों की मिलीभगत से पिछले वर्षों में की गईं हैं। हैरत है अनियमितताओं पर विभाग के अधिकारी सहयोगी रहे तो भुगतान के लिए अधिकृत सरकारी विभाग जिला कोषागार कार्यालय धृतराष्ट्र बन कर बैठा रहा धडल्ले से अनियमित भुगतान होते रहे।जबकि मामूली त्रुटि पर आपत्ति लगाने में माहिर ट्रेजरी ने कोई संज्ञान नही लिया । स्वास्थ विभाग का वित्तीय अनियमितता का यह मामला वर्ष 2021-22 में दूसरे जिलों से स्थांतरित होकर आए कनिष्ठ लिपिक/प्रधान लिपिक यानि बाबुओं के ट्रांसफर यात्रा भत्ता एवं लगेज का है जिसकी भारी भरकम बिल बाउचर लगा कर सीएम ओ के माध्यम से चिकित्सा स्वास्थ एवं परिवार कल्याण निदेशालय को लाखों की डिमांड भेजी जिसे सभी स्थांतरित होकर आए बाबुओं ने अपनी मन मर्जी से बिना वित्तीय निर्देश और शासनादेश का ध्यान रखते हुए बनाया गया । जिसको अंतिम रूप से भुगतान करते समय ट्रेजरी एटा को शासनादेश के क्रम में संज्ञान लेना चाहिए था परंतु लाखों के भुगतान ट्रांसफर भत्ता के नाम पर कर दिया गया। बताते है ट्रांसफर भत्ता स्थांतरित कर्मी की बिलिंग/ डिमांड के अनुरूप जिला स्तरीय अफसर के माध्यम से निदेशालय प्रेषित किया जाता है उक्त बजट को स्वीकृत आदेश हेड के अनुसार जिले पर भेजा जाता है। परंतु प्रेषित डिमांड ही शासनादेश को दरकिनार कर की गई । वित्तीय नियमो की भी अनदेखी की गई। नियमानुसार बेसिक वेतन का ४० फीसदी स्थांतरण भत्ता अनुमन्य है परंतु इस तथ्य की अनदेखी कर मनमर्जी से यह डिमांड बनाई गई वही लगेज ( सामान लाने) का भत्ता बिना रोडवेज/ रेलवे की किराया दर के हिसाब से बना कर अनाप शनाप बनाया गया। बताते है इस हेतु ३० किवंटल भार एवं ६० किवंटल भार ही स्वीकृत है जो रेलवे या रोडवेज दर से अनुमन्य है। परंतु बाबू अफसर भुगतान सत्यापन करने वाले विभाग सभी ने मिलीजुली प्रक्रिया से सब ओके कर दिया किसी को ट्रांसफर यात्रा भत्ता संबंधी शासनादेश को देखने की फुरसत नहीं मिली। यह अनदेखी अनजाने में हुई हो यह नही माना जा रहा क्योंकि लाखों के इस हेड के बजट की डिमांड भिजवाने स्वीकृत करने से लेकर भुगतान तक खूब बंदरबांट हुआ इसी लिए खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ती रही। गौरतलब है वर्ष 2021-22 में निदेशक प्रशासन की पहल पर बाबुओं के स्थानांतरण किए गए जिसमे लगभग १६ बाबू एटा में बाहर से आए जिनके ट्रांसफर यात्रा भत्ता के भुगतान के नाम पर यह खेल हुआ है। हालांकि यह एक अलग मामला है पर ऐसे अभी बहुत मामले ऐसे है जिनमे वित्तीय नियम शासनादेश और शासन की नीति के विरुद्ध जाकर धंधलिया की गई हैं। अब देखना जीरो टॉलरेंस नीति का बखान करने बाला सिस्टम ऐसी वित्तीय लूटों पर क्या एक्शन लेता है।