यह सही है कि….
यह सही है कि…..
हो आत्मविश्वास अपने सामर्थ्य पर ! दृढ़ संकल्प और आगे बढ़ने का हो शस्त्र साथ ! चिंता नहीं चिंतन करता ! व्यथा नहीं व्यवस्था करता ! परिणाम लाने को प्रयास करता ! कायरता नहीं कार्य करता ! हृदय में इंसानियत का दरिया बहता ! उसको भला क्यों किसी से भय लगता ? जिसने आत्मविश्वास खो दिया मानो उसने जिन्दगी के चरम लक्ष्य को खो दिया । आत्मविश्वास ऐसा अमूल्य धन है जिसको हमें सदैव अपने पास रखना चाहिये खोना नहीं चाहिये । अगर हमारे पास आत्मविश्वास है तो असम्भव भी सम्भव हो सकता है। अगर हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें दर्द को अपना दोस्त बनाना होगा । अपना कॅरियर भी कुछ-कुछ जिंदगी जैसा ही होता है । जिंदगी की तरह ही कॅरियर में भी काफी उतार-चढ़ाव, सफलता-विफलता देखने के बाद ही कामयाबी मिलती है । हालांकि जिंदगी में जैसे-जैसे हम अपने सफर पर आगे बढ़ेंगे, वैसे ही हम स्वयं को ज्यादा खोया हुआ और निराश महसूस करेंगे । ऐसे समय में हम अपने लक्ष्य से पीछे हटना चाहेंगे क्योंकि उस समय हमारा अपना
आत्मविश्वास डगमगा रहा होगा। यही वह समय होगा जब हमें अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहना होगा और स्वयं को प्रोत्साहित करना होगा । अतः हमारे जीवन में असफलता ही सफलता की जननी है। कहते है की दुःख में ही भगवान याद आते हैं । भगवान का हृदय से स्मरण करते हैं । ख़ुद पर हो आत्मविश्वास और हो समूचित्त काल भाव से उस और प्रयास तो मैं कह सकता हूँ की मानव को मिले या ना मिले किसी का साथ फिर भी वह बजा सकता सफलता का शंखनाद।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)