सरकारी नौकरी में अच्छा वेतन पाने के बाद भी बेईमानी करते, यह फितरत है कर्मचारियों की
लोगों को समय के अनुसार रोजगार नहीं मिल पाता और जिनके पास सरकारी पद-प्रतिष्ठा है व अपनी छवि थोड़े लालच भाव में धूमिल करने में लगे रहते हैं! क्या इन लोगों को अपनी जमी जमाई नौकरी पद-प्रतिष्ठा व इज्जत का कोई मान नहीं? जिस तरह से वेतन होता है उस तरह से कार्य तो शिथिल ही नजर आता है! बगैर डर भय के हजारों लाखों रुपए मिलने के बाद भी इनकी आत्मा को संतुष्टि नहीं मिलती! समझ से परे लगता है कि रिश्वतखोरी गबन घोटालों और आर्थिक व अन्य पहलुओं से ये लोग नौकरी को दांव पर लगा देते हैं और उन्हें मलाल कुछ भी नहीं होता!ऐसे लोगों की नकेल कसने के लिए कारगर और ठोस कदमों की जरूरत है! इन्हें निलंबित करने के बजाय सेवामुक्त करना चाहिए! न सिर्फ इन्हें जेल की सलाखों के पीछे धकेलना चाहिए बल्कि सारी सुविधाए बंद होनी चाहिए! अक्सर रोजगार की तलाश में उच्च शिक्षित वर्ग निजी क्षेत्र में नौकरी में समय की महत्ता को समझते हुए भरसक मेहनत कर शिखर तक पहुंचता है! जबकि वेतनमान तुलनात्मक रूप से कम ही होता है! सरकारी नौकरी में अच्छा वेतन पाने के बाद भी कुछ लोगो की बेईमानी की यह फितरत कर्मचारियों मे चिंतनीय है! भ्रष्टाचार की जड़ को खत्म करने के लिए नकेल कसना और समय समय पर निरीक्षण परीक्षण जरूरी है।