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जिन्दगी को जीना होता नहीं आसान

जिन्दगी को जीना
होता नहीं आसान
जिन्दगी जीते सभी है लेकिन जिन्दगी को जीना आसान नहीं होता हैं । जिन्दगी कभी मुश्किल तो कभी आसान होती है ।
कभी उफ तो कभी वाह होती है । न कभी भुलाना हमे अपनी मिलनसारिता को क्योंकि इससे हर मुश्किल आसान होती है।
अतः सम्भाव से ही जीवन को हमे जीना हैं। प्रतिदिन नियमित रुप से करे हम आवश्यक और अनावश्यक बातो का लेखा जोखा तोजीवन के किसी भी मोड़ पर न खा पायेंगे धोखा।
जो व्यापारी, प्रतिदिन करता हैं अपनी आमदनी का हिसाब किताब,जैसे आज कितना कमाया कितना खर्च किया, कितना नफा ओरनुकसान तो उसके लिए सफलता की सीढिया चढ़ना आसान हो जाता है । अनावश्यक बोलना, खाना,सोना कार्य करना या खर्चा करनाजो भी हो होता है नियम का अतिक्रमण,
आज की इस दिखावे की दुनिया मे,दिखावा करने के लिए लोग विदेश भ्रमण के चल पड़ते हैं ।कहने का तात्पर्य है कि विवेक होआवश्यक और अनावश्यक मे अंतर का उसकी पहचान का ।नही तो अनावश्यक को भी जैसे लडाई-झगड़ा, कलह-फसाद को भी समझबैठे आवश्यक फिर तो यह काम होता है हैवान का।तो हम आवश्यक और अनावश्यक का सही विश्लेशण करते हुए इस आवश्यककार्य का खाता बढ़ाते जाये । और अनावश्यक कार्यो की संख्या घटाते हुए इस दुर्लभ मनुष्य जीवन को सार्थक बनाए।इच्छाओं केसमंदर को छोटे से घङे मे कैद किया जा सकता है।
सीमित संसाधनों के सहारे भी जिन्दगी को जिया जा सकता है।
जरूरी नहीं है मेवे,मिष्ठान, तामझाम जीवन यात्रा के लिए हो क्योंकि पानी मे भी शरबत की मिठास का आनंद लिया जा सकता है।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

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