नमामि करौली मैया’ सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने होर्डिंग के डिज़ाइन का अनावरण किया
‘नमामि करौली मैया’ अभियान पानी के प्रबंधन के प्रति जनप्रतिनिधियों, सामाजिक नेतृत्कर्त्ताओं और आम सुधीजनों का ध्यान आकर्षित करने को लेकर है।
‘नमामि करौली मैया’ अभियान पूरी तरह से करौली,सवाई माधोपुर और भरतपुर जनपद में बहने वाली नदियों और उन पर बने बांधों, एनीकट आदि से होकर उप्र के आगरा जनपद में पहुंचने वाले राजस्थान के पानी के प्रबंधन के प्रति जनप्रतिनिधियों, सामाजिक नेतृत्कर्त्ताओं और आम सुधीजनों का ध्यान आकर्षित करने को लेकर है।
सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने होर्डिंग के डिज़ाइन का अनावरण किया।
व्यापक सुधार की जरूरत
जो जानकारियां भ्रमण,निरीक्षण और उपलब्ध हो सकी। आधिकारिक सूचनाओं और रिपोर्टों का भी इसके लिये के लिये उपयोग किया गया। जल प्रबंधन को लेकर मौजूदा व्यवस्था कैसी इसी है इस पर तो कुछ भी नहीं कहना है किन्तु सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का मानना है कि इसमें व्यापक सुधार की गुंजाइश है। इस पानी को व्यवस्थित तरीके से सिमेट कर किरावली,खेरागढ़,फतेहाबाद और आगरा तहसील के बरौली विकासखंड के गांवों में भूजल की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार की व्यापक गुंजाइश है।
दरअसल दशकों तक राजस्थान में उपेक्षित रही जल संरक्षण और संग्रह से संबंधित संरचनायें बेहद उपेक्षित रहीं किन्तु पिछले तीन चार साल में राजस्थान के सिंचाई विभाग ने भरतपुर की जलसंचय संरचनाओं के सुध्रढी करण के लिये व्यापक कार्य किये हैं।फलस्वरूप अगले मानसून के बाद पानी की बडी मात्रा जनपद की जल संरचनाओं में संजोने के लिये उपलब्ध होगी।अगर समय रहते कोई ठोस कार्य योजना नहीं तैयार नहीं की गयी तो यह विपुल जलराशि उटंगन नदी और गोवर्धन ड्रेन होकर पूर्व की भांति यमुना नदी में समाहित हो जायेगी।
राजस्थान से आने वाले पानी का संरक्षण भविष्य के लिए जरूरी
आगरा और सीमा से लगे क्षेत्रों के लिये सबसे महत्वपूर्ण काम फतेहपुर सीकरी से लगे खानवा (खनुआ )बंध और उसके एस्केप वोकोली सुध्रढीकरण के रूप में हुआ है।अगर सब कुछ सामान्य रहा तो इस बार मानसून के दौरान सात वर्ग किमी क्षेत्र में विशाल जलाशय सृजित होगा।इसका डूब क्षेत्र मैदानी खेती की जमीन है,इस लिये रबी की बुवाई के पूर्व राजस्थान सरकार के द्वारा अक्टूबर में इस पानी की बडी मात्रा को डिस्चार्ज किया जाना आवश्यक होगा।
चूंकि यह बांध राजस्थान की गंभीर नदी की टेल पर है और बांध के डिस्चार्ज से ही जनपद में लगभग 100 किमी बहने वाली उटांगन नदी शुरू होती है ,इस लिये खनुआ बांध जलाशय अति महत्वपूर्ण है।
दूसरी महत्वपूर्ण संरचना चिकसाना नाले पर बना नया बंधा है।लगभग 800 हेक्टेयर जल सिमेटने वाली यह जल संरचना आगरा की खारी नदी के लिये अति महत्वपूर्ण है,जिसमें अब कम ही मौकों पर जलधारा दिखती है।दरअसल चिकसाना जलाशय 50 साल से क्षतिग्रस्त था।अब यह फंक्शनल हो गया है।इसका डिसचार्ज एक ड्रेन के माध्यम से तेरह मोरी के डाउन में खारी नदी का पोषण करता है।इस जल राशि के पहुंचने से जनपद में 64 किमी बहने वाली खारी नदी और उसके बंधों को भरपूर पानी उपलब्ध हो सकेगा।
गहलोत सरकार से सहयोग जरूरी
भरतपुर अजान बांध के राजा बृजेन्द्र सिंह बैराज के डिस्चार्ज से फतेहपुर सीकरी का अंतरिम भाग तेरह मोरी बांध जल से भरपूर होता है,किन्तु दुर्भाग्य से राजा बृजेन्द्र सिंह बैराज क्षतिग्रस्त है,शायद राजस्थान की गहलोत सरकार का इस ओर किसी ने भी ध्यान आकर्षित किया ही नहीं।यहां तक कि बैराज पर लगी राजा साहब के नाम की पट्टिका पर लिखा हुआ तक पढ़ाई में नहीं आता। बैराज के पानी को तेरह मोरी बांध तक पानी लाने वाला सप्लाई चैनल क्षतिग्रस्त हो चुका ।इसकी मरम्मत नहर सफाई के लिये लगने वाली राशि से भी कम में हो सकती है।हमारा मानना है कि तेरह मोरी बांध के फीडर चैनल में सुधार के लिये राजस्थान सरकार से बात की जानी चाहिये।
राजस्थान का अजांन बांध अब तक कुप्रबंधन की स्थिति में पहुंचा हुआ है।दरअसल इस तक पानी पहुंचने का मुख्य स्त्रोत पांचना बांध अराजकता से प्रभावित था,लेकिन इस बार इससे अजान बांध को भी पानी मिलेगा और केवलादेव पक्षी अभयारण्य में इसका भरपूर योगदान रहेगा। फलस्वरूप अजान बांध में मानसून काल तथा बाद में भी आगरा के लिये पानी डिसचार्ज की स्थिति रहेगी। जयपुर हाईकोर्ट में किसानों के संगठन ग्रामोत्थान संस्था की ओर से प्रशासन के अधिकारियों के विरुद्ध जनवरी 2023 में अवमानना याचिका संख्या 26/2023 माननीय दायर की हुई है और उसपर अंतरिम आदेश भी जारी हो चुके है।उम्मीद लगाई जा सकती है कि इस आदेश के बाद गंभीर नदी,पांचना बांध ,अजान बांध के प्रबंधन में सुधार होगा।
हमारी मांग है कि:-
(1)तेरह मोरी बांध को राजा बृजेन्द्र सिह बैराज से पानी लाने वाले 16 किमी के वाटर चैनल को दुरुस्त करवाने के लिए आगरा और भरतपुर प्रशासन के बीच वार्ता हो।
(2)तेरह मोरी बांध फतेहपुर सीकरी का अभिन्न भाग है और पुरातत्व सूची में दर्ज जल संरचना है,इसलिये इसे उसके मूल रूप में अनुरक्षित किया जाये ।
(3)अजान बांध प्रबंधन के बारे में आधिकारिक नवीनतम जानकारी ली जाये।
(4) आंगई बांध प्रबंधन के बारे में आधिकारिक नवीनतम जानकारी लीजाये।
(5)खनुआ बांध प्रबंधन में आगरा जिला पंचायत / सिंचाई बंधु अध्यक्ष की प्रत्यक्ष सहभागिता सुनिश्चित की जाए
(6) गोवर्धन ड्रेन, डब्लू डी ड्रेन ,कोट बांध, बंध बरैठा के डिस्चार्ज के प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिये राजस्थान सरकार पर दबाव बनाया जाये।
(7) ग्रामोत्थान संस्था की जनवरी 2023 में अवमानना याचिका संख्या 26/2023 का प्रशासन आगरा के हित में अध्ययन करवाये और अगर जरूरी समझे तो आगरा के पक्ष को भी न्यायालय के समक्ष सामने लाये।
करौली के विंध्य पहाड़ी समूह और सवाई माधोपुर के पहाड़ों से आने वाली जलधाराऐं करौली मैया का प्रसाद ही है।
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का मानना है कि राजस्थान की ओर से आने वाली जलधारायें चूंकि करौली के विंध्य पहाड़ी समूह और सवाई माधोपुर के पहाड़ों के जल स्त्रोत से पोषित है और आगरा की जनता की करौली मैया के प्रति अगाध आस्था है,इस लिये ये जलधाराऐं करौली मैया का प्रसाद ही है।
जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा की ओर से इस अभियान की जानकारी जिला पंचायत / सिंचाई बंधु अध्यक्ष डॉ मंजू भदौरिया को भी दी गयी है और अपेक्षा की गयी है कि शासन के माध्यम से या सीधा संवाद कर आगरा के हित को सुरक्षित करें। सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने फ़तेहपुर सिकरी के सांसद राजकुमार चहार जो जल शक्ति मंत्रालय की कमेटी के सदस्य हैं, को भी जमीनी स्तर पर स्थिति की रिपोर्ट दी हुई है। आशा है वो केंद्र के स्तर पर दोनों प्रदेशों की सरकार से संवाद कर आगरा के जल संकट और भविष्य के हितों को सुरक्शित करवाएँगे।
आज की प्रेस वार्ता में अनिल शर्मा, धरमपाल (फ़तेहपुर सिकरी),ओम सेठ ,राजीव सक्सेना ,अमित खात्री ,असलं सलीमी आदि उपस्थित रहे।
अनिल शर्मा
सेक्रेटरी
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा