उत्तर प्रदेशउन्नाव

नौकरी के लिए 6 साल से कंपनी के चक्कर लगा रहा युवक, परिवार को अक्सर सोना पड़ता है भूखा

Ansan Unnao

उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक युवक फैक्टरी में नौकरी पाने लिए मैनेजमेंट के 6 साल से चक्कर लगा रहा है. युवक का आरोप है कि 2016 में वो मिर्जा इंटरनेशनल कंपनी में स्थाई कर्मचारी के पद पर तैनात था. कंपनी ने बिना किसी नोटिस के उसे निकाल दिया. अब वह पिछले 6 सालों से कंपनी के चक्कर लगा रहा है. उनका कहना है कि नौकरी न होने के कारण उसके परिवार को आए दिन भूखा सोना पड़ता है.

युवक ने श्रम विभाग में कंपनी के खिलाफ लिखित में शिकायत भी दी थी. पीड़ित का आरोप है कि मैनेजमेंट ने मिलीभगत कर केस ही खारिज कर दिया.सिस्टम से परेशान होकर पीड़ित आलोक अपने परिवार के साथ DM कार्यालय के बाहर बैठकर आमरण अनशन कर रहा है. सिटी मजिस्ट्रेट और CO सिटी ने आमरण अनशन स्थल पर पहुंचकर पीड़ित की आपबीती सुनी और हर संभव मदद का आश्वासन दिया है. पीड़ित ने जिला प्रशासन पर फैक्टरी प्रबंधन से मिलीभगत का आरोप लगाया है.

परिवार के साथ धरने पर बैठा युवक

पीड़ित आलोक कुमार का आरोप है कि, वह मिर्जा में स्थाई कर्मचारी था. बिना गलती के 2016 में उसे निकाल दिया गया था. उसने संबंधित विभाग से भी बात की लेकिन विभाग ने भी कार्रवाई के नाम पर धोखाधड़ी की. उन्होंने अपने स्तर से कुछ भी नहीं किया और ना ही उसकी परेशानी का समाधान किया. आलोक ने बाताया कि विभाग ने मामले को न्यायालय भेज दिया. जब वह न्यायालय पहुंचा तब तक सब कुछ खराब हो चुका था .

पीड़ित का कहना है कि साल 2020 में डीएम ने समझौता कराया, जिसके बाद वह कंपनी में वापस चला गया. लेकिन इसेक बाद भी उसको काम नहीं करने दिया गया. उसे काम से निकाल दिया गाय. आलोक का कहना है कि इसका वीडियो भी उसके पास है. इस घटना को 7 साल हो गए है. पीड़ित का कहना है कि जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाएगा. तब तक वह ऐसे ही धरने पर बैठा रहेगा .

ऑपरेशन की वजह से नहीं कर पाते थे काम

सिटी मजिस्ट्रेट विजेता ने बताया कि आलोक नाम का व्यक्ति है इसकी शिकायत पहले भी कई बार आ चुकी है. इसका निस्तारण हो चुका है. पूर्व डीएम ने निस्तारण किया था. साल 2012-13 में इनको मिर्जा कंपनी में स्थाई कर्मचारी बनाया गया था. इसी बीच उसका किडनी का ऑपरेशन हुआ, जिस कारण उसे भारी काम करने में समस्या होती थी. उसने कंपनी से सुपरवाइजर के रूप में काम करने की सिफारिश की लेकिन कंपनी ने उसकी नहीं सुनी. 2016 से वह ऑटो चलाने लगा. मामले में जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है.

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