प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को जेल जाने पर हटाने का बिल संसद में पेश, विपक्ष ने जताई आशंका
नई दिल्ली। गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी और लगातार 30 दिन तक जेल में रहने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को पद से हटाने संबंधी विधेयकों को केंद्र सरकार ने लोकसभा में पेश किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 को सदन में रखा।
बिल के मुताबिक, यदि कोई मंत्री गंभीर आरोपों में 30 दिनों से अधिक जेल में रहता है, तो उसे पद छोड़ना होगा। इस प्रस्ताव को लेकर संसद में जोरदार बहस और विरोध देखने को मिला।
विपक्ष ने इस विधेयक पर आपत्ति जताते हुए इसे राजनीतिक हथियार करार दिया है। AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और केसी वेणुगोपाल, सपा के धर्मेंद्र यादव समेत विपक्षी नेताओं ने आशंका जताई कि इसका इस्तेमाल विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने के लिए किया जा सकता है।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल में रहते हुए उनके पद से इस्तीफा न देने को लेकर संवैधानिक संकट खड़ा हो गया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि जब तक किसी पर दोष सिद्ध न हो, तब तक उसे पद से हटाया नहीं जा सकता।
गृह मंत्री अमित शाह ने बिल पेश करते हुए कहा कि राजनीति में नैतिकता का ह्रास हुआ है और इस स्थिति से निपटने के लिए स्पष्ट संवैधानिक प्रावधान जरूरी हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उनके खिलाफ जब मुकदमा चला और जेल जाने की नौबत आई तो उन्होंने स्वेच्छा से पद छोड़ दिया था और बरी होने तक कोई पद नहीं लिया।
बिल पर आगे की प्रक्रिया के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को सौंपने की सिफारिश की गई है। लोकसभा अध्यक्ष द्वारा गठित की जाने वाली 31 सदस्यीय समिति को आगामी सत्र के पहले सप्ताह के अंत तक रिपोर्ट सौंपनी होगी।
हालांकि अगर केंद्र सरकार विपक्ष की चिंताओं का समाधान कर पाती है, तो इस बिल को लाने की मंशा पर सवाल उठाना कठिन होगा। मौजूदा संवैधानिक स्थिति और हालिया घटनाओं को देखते हुए सरकार इसे समय की मांग बता रही है।
