पाकिस्तान में इन दिनों बिजली की किल्लत चल रही है. पाकिस्तान सरकार ने बिजली (Electricity) बचाने की कोशिशें भी तेज कर दी हैं. इस बीच यूरोपीय देशों की ओर से रूस (Russia) को सबक सिखाने के लिए उसके ईंधन का आयात बंद कर दिया गया है. लेकिन यूरोपीय देशों के इस कदम का असर मीलों दूर स्थित पाकिस्तान (Pakistan Electric) पर भी पड़ता दिख रहा है. इसके कारण पाकिस्तान की नई सरकार पर भी खतरा मंडरा सकता है.
एक दशक पहले पाकिस्तान ने बाजार में ईंधन की कीमतों को बढ़ता देखकर अपने भविष्य के लिए तैयारी शुरू कर दी थी. पाकिस्तान की ओर से तरल प्राकृतिक गैस में बड़ा निवेश किया गया. इसके तहत इटली और कतर से पाकिस्तान ने लंबे समय के कॉन्ट्रैक्ट में हस्ताक्षर किए. पाकिस्तान ने जिन आपूर्तिकर्ताओं से अनुबंध किए थे, वो अब डिफॉल्टर हो गए हैं. हालांकि वह पाकिस्तान को एलएनजी ना सप्लाई करके यूरोपीय बाजार में इस लगातार बेच रहे हैं.
पाकिस्तान ने खर्च किए अधिक रुपये, फिर भी अंधेरा
पाकिस्तान में हालात ऐसे हैं कि वहां पिछले महीने ईद के समय बिजली संकट और अंधेरे से बचने के लिए वहां की सरकार ने एलएनजी के एक शिपमेंट के लिए 100 मिलियन डॉलर खर्च किए थे. यह पाकिस्तान के लिए रिकॉर्ड है. जुलाई के अंत तक पाकिस्तान का एलएनजी खर्च करीब 5 अरब डॉलर हो गया है. यह पिछले साल की तुलना में दोगुना खर्च है. अब पाकिस्तान के अधिकांश इलाकों में 12 घंटे तक बिजली कटौती की जा रही है. इस कारण अब भीषण गर्मी और लू में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की ओर से भी लोगों को महंगाई को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने को कहा गया. पाकिस्तान में महंगाई 13.8 फीसदी हो गई है.
यूरोपीय देश खींच रहे एलएनजी
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के दौरान यूरोप की ओर से अधिक एलएनजी की मांग की जा रही है. इस साल अब तक यूरोप का एलएनजी आयात पिछले साल इसी समय की तुलना में 50 फीसदी से अधिक हो गया है. इसमें कमी का भी कोई संकेत नहीं दिख रहा है. विशेषज्ञों को कहना है कि यूरोपीय देश दुनियाभर की पीएनजी को खींच रहे हैं. इसका मतलब साफ है कि विकासशील देशों के बाजारों में कम एलएनजी पहुंचेगी. एलएनजी पर बढ़ी निर्भरता और आपूर्तिकर्ताओं के डिफॉल्ट होने के कारण पाकिस्तान में ऊर्जा संकट और अधिक बढ़ गया है. ऐसा पाकिस्तान समेत दुनिया के कई उभरते देशों के साथ हो रहा है.
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