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मेरे प्राणनाथ में पहुँच रही हूँ, बाँदा से बागेश्वर धाम निकली शिवरंजनी

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री से शादी का सपना संजोए MBBS स्टूडेंट शिवरंजनी तिवारी शनिवार को बांदा से बागेश्वर के लिए निकल चुकी हैं. वह 16 जून को बागेश्वर धाम पहुंचेंगी.
लेकिन जब शिवरंजनी को पता चला कि बाबा 15 जून के बाद एकांतवास में जाने वाले हैं, तो वह परेशान नजर आईं. इस पर ‘आजतक’ ने जब उनसे बात की तो शिवरंजनी ने कहा कि मैं उनकी भक्ति में बाधा नहीं बनना चाहती हूं.

उन्होंने उम्मीद जताई कि वह बाबा से जरूर मिलेंगी. कहा कि बाबा बागेश्वर धाम में कभी कोई निराश नहीं लौटा है. वहां सभी की सुनवाई होती है. उन्होंने कविता के माध्यम से कहा कि “मन में बसाकर तेरी मूर्ति, उतारू मैं प्राणनाथ तेरी आरती”.

इसके आगे शिवरंजनी ने कहा कि हम लोग गंगोत्री धाम से बागेश्वर धाम आ रहे हैं. करीब 1300 किलोमीटर की पद यात्रा है ये. हम बिल्कुल मंजिल के करीब पहुंच चुके हैं. 50 डिग्री तापमान में हम सभी ने पद यात्रा की है.

उन्होंने आगे कहा कि मुझे मेरे बाला जी सरकार पर शत प्रतिशत भरोसा है कि उनके दरबार में जो भी आता है, कभी निराश होकर नहीं जाता है. उन्होंने आगे एक और शायरी करते हुए कहा कि “हृदय की पुकार कभी व्यर्थ नहीं जाती. प्रभु इसे मंजूर जरूर करते हैं अगर वह दिल से की जाए तो. हे मेरे प्राणनाथ… अंतर्यामी… प्रभु मुझे दर्शन दीजिएगा, मैं पहुंच रही हूं.”

बता दें कि 20 साल शिवरंजनी इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई हैं. वो अपनी मनोकामना का कलश लेकर बागेश्वर जा रही हैं. साथ ही बाबा धीरेंद्र शास्त्री को प्राणनाथ बता रही हैं. दूसरी ओर बाबा बागेश्वर उन्हें बिटिया बता रहे हैं. इसको लेकर जब शिवरंजनी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वो ऐसे किसी बयान से अवगत नहीं हैं.

‘मैं उन्हें प्राणनाथ बोलती हूं, वो मेरे प्राणनाथ हैं’
वहीं, ‘धीरेंद्र शास्त्री ने शादी से इनकार कर दिया तो आप क्या करेंगी’ के सवाल पर मुस्कुराते हुए कहा, “मैंने तो कभी कहा ही नहीं कि मैं शादी करने जा रही हूं या शादी का प्रस्ताव लेकर जा रही हूं. मैं तो उन्हें प्राणनाथ बोलती हूं. वो मेरे प्राणनाथ हैं, आगे भी रहेंगे. मैं उन्हें भगवान मानती हूं. इसलिए उन्हें प्राणनाथ बोलती हूं. मेरी कोशिश है कि मैं 16 जून को उनके धाम पहुंच जाऊं, मगर गर्मी बहुत ज्यादा है, इसलिए एक दो दिन आगे पीछे हो सकते हैं”.

‘इधर से प्रेम चला, उधर से प्राण सिधारे’
इसके बाद उन्होंने शादी से इनकार करने वाली बात पर शायरी के जरिए कहा, “इधर से प्रेम चला, उधर से प्राण सिधारे. दोनों ही मिल गए एक मंदिर के द्वारे, जब दोनों ने एक दूसरे को अपनाया, पता नहीं किसने कौन समाया. प्रेम तत्व के सिंधु में जब प्राण बिंदु खो गए, अलख निरंजन त्याग कर पंच तथ्य में खो गए”.

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