Life Styleराजस्थानराज्य

स्वनिर्मित कारागार

स्वनिर्मित कारागार
हर आत्मा का जन्म निश्चित है ।हर आत्मा अपने पिछले जन्मों के करमों के अनुसार इस सृष्टि पर जन्म लेती है। उसी क्रम में आता है एकमनुष्य जीवन। जनम से लेकर मृत्यु तक का जीवन एक किताब की तरह होता है।जिसका पहला पेज सूचक होता है मनुष्य का जन्म औरअंतिम पृष्ट कहलाता है इंसान की मृत्यु।
पहले और अंतिम पेज के बीच के पंनों को इस जीवनकाल में हम्हें ही भरना होता है।अच्छे या बुरे कार्यों द्वारा। अगर किसी किताब कोपढ़ने में इतना आनंद आता है कि उसको बीच में छोड़ने का मन ही नहीं करता।ठीक वैसे ही इंसान को अपने जीवनकाल में ऐसे कार्यकरने चाहिये कि लोग स्वतः ही आपकी और खिंचा चला आये। काल्पनिक अपराधी वह काल्पनिक कारागृह का बन्दी , काल्पनिकअपराध आदि है कि लोग क्या कहेंगे ।इस तरह के चिन्तन को नहीं करना चाहिये कि वे क्या बोलेंगे करेंगे आदि – आदि । क्योंकि अगरहमको अपने किए हुए कार्य के प्रति संतुष्टि है तो हमारी मौजूदगी ही भरी सभा में एक आकर्षण बन जायेगी । वो तभी सम्भव होता है किइंसान का मन बच्चे की तरह सच्चा,करण जैसा दानवीर, महात्मा गांधी जैसा अहिंसावादी और राम जैसा मर्यादा पालन करने वाला हो।अगर ऐसा इंसान का जीवन होगा तो उस इंसान के जीवन की किताब का पहला और अंतिम पृष्ट तो क्या पूरी किताब ही बहुत सुंदरहोगी।ठीक उसके विपरीत कार्य करने वाले व्यक्ति की किताब का पहला पृष्ट तो क्या कोई पेज पढ़ने का मन नहीं करेगा। जन्म से लेकरमृत्यु तक के किये गये कार्यों के आधार पर ही हर आत्मा का पुनः जन्म होता है।हमको अपनी सही समझ व विवेकशीलता से व्यर्थ हीकाल्पनिक जंजाल में डाल देने वाले अपने आपको काल्पनिक अपराध बोध के हाल में नहीं पड़ना है।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

Back to top button