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सावन मास के शुरू होने के साथ ही कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) भी शुरू हो गई है. इसके साथ ही शिव भक्तों का तांता मंदिरों के बाहर लगना शुरू हो गया है. ऐसे में दूर-दूर से कांवड़ शिव की भक्ती में लीन यात्रा पर निकले हैं. ऐसे में बिहार का एक युवक अपने माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर कंधे पर उठाए देवघर की यात्रा पर निकल पड़ा. इस काम में युवक की पत्नी और उसके बच्चे भी साथ निभाते दिखे. खास बात यह रही कि राह में देखने वाले उसे कलयुग का श्रवण कुमार बताने लगे. ऐसे में कुछ लोगों ने उसका वीडियो भी रिकॉर्ड किया, जो अब सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जहानाबाद निवासी चंदन कुमार ने भागलपुर के सुल्तानगंज से जल भरकर कांवड़ में अपने माता-पिता को लेकर पैदल ही यात्रा शुरू की. साथ में उनकी पत्नी रीना देवी भी अपने सास-ससुर को कांवड़ में उठाए चलती रहीं. पीछे बच्चे भी मदद करते रहे. रास्ते भर ‘कलयुग के श्रवण भगवान की जय’ के जयकारे लगते रहे. माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर कंधे पर उठाए चंदन कुमार ने बताया कि भगवान सत्यनारायण की पूजा करते हैं. कांवड़ यात्रा शुरू हुई तो विचार आया कि इस बार माता-पिता को कंधे पर उठाकर देवघर दर्शन कराने ले जाएंगे.
बुलंदशहर में भी एक ‘श्रवण कुमार’
आपको बता दें कि बुलंदशहर के श्रवण और राजेश अपने दिव्यांग भाई रमेश और मां सावित्री देवी को पालकी में बिठाकर कांवड़ यात्रा कराने निकले हैं. मां और भाई के लिए उनका ये प्रेम लोगों के लिए मिसाल बन गया है. दो भाइयों ने 11 जुलाई को हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान किया. गंगाजल भरकर दिव्यांग भाई और बूढ़ी मां को श्रवण और राजेश पालकी से कंधे पर उठाकर हरिद्वार से बुलंदशहर की तरफ चल दिए. 15 जुलाई को दोनों भाई रुड़की के मंगलौर पहुंचे. दोनों ने वहां पर कुछ देर रुककर आराम किया. दरअसल, हरिद्वार से बुलंदशहर की दूरी 250 किलोमीटर है. दोनों भाइयों की भगवान शिव में इस कदर आस्था है, कि वह अपने दिव्यांग भाई और बूढी मां को भी पालकी में बिठाकर पैदल घर लेकर गए.
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