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लेख

मुस्लिम तुष्टिकरण के चक्रव्यूह में फंसता समाजवाद

admin
Last updated: मार्च 26, 2025 11:30 पूर्वाह्न
By admin 18 Views
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7 Min Read
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मृत्युंजय दीक्षित
समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम वोटबैंक को साधकर रखने के लिए अयोध्या में निर्दोष रामभक्तों का नरसंहार कराकर स्वयं को मुस्लिमों के एकमात्र मसीहा के रूप में स्थापित किया। अतीक और मुख़्तार जैसे माफियाओं के साथ केवल इसलिए खड़ी रही जिससे मुस्लिम संतुष्ट रहें। अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि पर दिव्य, भव्य व नव्य राम मंदिर बनने का उपहास किया। सदा भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण तथा हिंदू देवी –देवताओं को काल्पनिक का मजाक बनाया । महाकुंभ- 2025 के आयोजन को लेकर गलत व विकृत बयानबाजी करके तथा अफवाहें उड़ाकर विफल करने का प्रयास किया। राम मनोहर लोहिया की बात करने वाली पार्टी न उनके कथनों को समझ पाई न ही उनको आदर दे पाई।
इसी समाजवादी पार्टी के नेताओं में आजकल औरंगजेब के प्रति भक्ति भाव उमड़ा हुआ है। इनके समाजवाद की छद्म धर्मनिरपेक्षता बेनकाब तो पहले ही हो चुकी थी किन्तु अब सड़कों पर अनर्गल प्रलाप करती नृत्य कर रही है। सपा के सांसद रामजीलाल सुमन ने संसद के उच्च सदन में महान राजपूत राजा राणा संग्राम सिंह जिन्हें राणा सांगा कहा जाता है उनको गद्दार कहकर एक बार फिर हिन्दुओं के सम्मान पर आक्रमण किया है। अभी राणा सांगा को गद्दार कहने का मुद्दा चल ही रहा था कि संभल के सांसद जियाउर्ररहमान वर्क ने सोमनाथ के लुटेरे आक्रांता महमूद गजनवी के भांजे सालार मसूद गाजी को महान संत बता दिया। इससे पूर्व महाराष्ट्र से सपा नेता अबू आजमी के औरंगजेब पर बयान देकर अपने अध्यक्ष का समर्थन प्राप्त कर चुके हैं।
सपा सांसद सुमन ने अपने बयान से राजपूत वीर शिरोमणि पर 82 वां घाव कर दिया है। बयान में तथ्यों का जो झोल था उससे स्पष्ट है कि यह राजनैतिक बयानबाजी मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिए की गई है। रामजी लाल सुमन को यह पता होना चाहिए कि राणा सांगा की वीरता का वर्णन महाराणा प्रताप ने भी किया है। राण सांगा एक ऐसे अप्रतिम वीर सेना नायक थे जिनके शरीर पर शस़्त्रों के 40 आघातों के भयंकर चिह्न थे तथा अनेक युद्धों में उन्होंने एक नेत्र,एक हाथ एक पैर खो दिया था। उस परम पराक्रम महाराणा संग्राम सिंह के समान कुशल एवं तेजस्वी सेनापति विश्व के किसी दूसरे देश में नहीं हुआ। महाराणा सांगा की सेना बहुत विशाल थी, जिसमें 80 हजार घुड़सवार सैनिक रहते थे और जोधपुर, मारवाड़, ग्वालियर, अम्बेर, चकेरी, आबू आदि के नरेश उन्हें पर अपना सिरमौर मानते थे। राणा सांगा का एकमात्र स्वपन इस परम पावन भारतभूमि को मुगलों के अपवित्र शासन से मुक्तकराना था। महाराणा सांगा 18 युद्धों में विजयी हुए तथा इब्राहीम लोधी को उन्होंने घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया।ऐ से वीर योद्धा को गद्दार कहने से आज हर स्वाभिमानी भारतीय आहत है।
उधर संभल सांसद जियाउर्ररहमान वर्क ने सालार मसूद गाजी को संत बताकर आक्रान्ताओं की पैरवी का नया राग अलापा है। सालार मसूद कोई संत नहीं था। सालार के पिता सालार साहू मसूद गजनवी के बहनोई थे और वह उत्तर भारत में मुस्लिम आक्रमणों का नेतृत्व करते थे। सालार मसूद जब दिल्ली से मेरठ, मुरादाबाद संभल होते हुए कन्नौज से बाराबंकी और फिर 1033- 34 के करीब बहराइच पहुंचा तब स्थानीय राजा सुहेलदेव राजभर ने अपने सहयोगी राजाओं के साथ मिलकर इस आक्रांता का बड़ी बहादुरी से सामना किया और लगभग परास्त ही कर डाला। राजा सुहेलदेव राजभर का इतिहस पढ़ने से पता चलता है कि सालार मसदू गाजी एक बहुत बड़ा लुटेरा तथा जिसने हिन्दुओं का बिना किसी हिचक के बेहिसाब ढंग से नरसंहार किया था। हिंदू बहिन -बेटियों पर बेरहमी के साथ अत्याचार, दुराचार किया था तथा उन्हें अपने हरम में ठूंस दिया था। सालार मसूद गाजी एक मदांध लुटेरा था उसकी सेना गांव के गांव उजाड़ देती थी तथा खेतों में खड़ी फसलों को बेरहमी से आग के हवाले कर देती थी ऐसे क्रूर आतताई का मुकाबला राजा सुहेलदेव राजभर ने ही किया ।

दुखद सत्य है कि इसी आक्रांता सालार मसूद गाजी के नाम पर बहराइच में उसकी कब्र पर हर वर्ष जेठ माह में मेला लगता है तथा उसमें उर्स आदि का भी आयोजन होता है। संभल में नेजा का मेला बंद हो जाने के बाद अब अब बहराइच, बाराबंकी, प्रतापगढ़,प्रयागराज, भदोही और वाराणसी से भी आक्रान्ताओं के नाम पर होने वाले ऐसे मेलों को बंद करने की मांग तीव्रता से उठ रही है। आज जब मेलों का विरोध हो रहा है तो सालार मसूद को संत बताना एक साजिश ही है।आजकल देश में आक्रांताओं का महिमा मंडन करके, झूठ के आधार पर अपनी राजनीति चमकाना मुस्लिम परस्त तथा कट्टरपंथी नेताओं का शगल बन रहा है।
समाजवादी पार्टी वोटबैंक के चक्कर में अब राष्ट्रभक्त नायकों और गद्दारों में अंतर करना ही भूल चुकी है है। सपा ने महान राजपूत राजा राणा सांगा को गददार कहकर एक बहुत बड़ी राजनैतिक भूल कर दी है। 2012 के विधानसभा चुनाव ओर 2024 के लोकसभा चुनावों में राजपूतोंने अच्छी संख्या में सपा को वोट किया था किंतु सांसद सुमन और बर्क के बयानों के बाद राजपूत समाज सपा सांसद के पुतला दहन का अयोजन कर रहा है। सपा के मुस्लिम परस्त रवैये के कारण अब उनका बचा -खुचा हिंदू मतदाता भी दूर जा सकता है। यादव -मुस्लिम गठजोड़ को और मजबूती प्रदान करने के लिए किया गया यह गोल अब सेल्फ गोल हो रहा है।
उधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्णतया स्पष्ट हैं कि अब महापुरुषों का सम्मान न करने वाले लोगों की प्रदेश और देश में कोई जगह नहीं बचने दी जाएगी।

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