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Saawan 2023: अश्वमेध यज्ञ का फल, उज्जैन के श्री प्रयागेश्वर महादेव में दर्शन-पूजन से मिलता है

धर्म अध्यात्म: सावन के महीने में शिवमंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है. हर शिव मंदिर की अपनी अपनी प्राचीनता है. उज्जैन के श्री प्रयागेश्वर महादेव मंदिर के बारे में भी कई प्रकार की मान्यताएं हैं. आखिर क्या है वो मान्यताएं, पढ़िए इस रिपोर्ट में.
उज्जैन के श्री प्रयागेश्वर महादेव में दर्शन-पूजन से मिलता है अश्वमेध यज्ञ का फल
नाग के फन वाला प्रसिद्ध शिवलिंग
धार्मिक नगरी उज्जैन स्थित श्री प्रयागेश्वर महादेव को एक चमत्कारी मंदिर माना जाता है. श्री प्रयागेश्वर महादेव को 84 महादेव में 58वां स्थान हासिल है. मान्यता है कि यहां आकर मत्था टेकने से सभी पापों का नाश हो जाता है. इस शिवलिंग के बारे में विख्यात है कि यहां अगर माघ महीने में पूजन-अर्चन किया जाए तो भक्तों को अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है.
यह मंदिर जूना सोमवारिया क्षेत्र स्थित राजामल घाट में स्थित है. यह श्री तिलकेश्वर महादेव मंदिर के सामने वाले पक्के मार्ग पर वाल्मीकि धाम से कुछ ही दूरी पर है. यहां वीर बेताल और विक्रम की भी प्रतिमा है.
फन वाले नाग करते हैं शिवलिंग की रक्षा
श्री प्रयागेश्वर महादेव मंदिर में भगवान की दिव्य और चमत्कारी प्रतिमा विराजमान है. मंदिर के पुजारी पं. सुधीर व्यास कहते हैें मंदिर में भगवान प्रयागेश्वर महादेव की चमत्कारी प्रतिमा के साथ ही पीतल की पांच फन वाली नाग प्रतिमा है, जोकि भगवान प्रयागेश्वर को छाया प्रदान करती है. इनके समीप ही 3 फीट ऊंचा पीतल का त्रिशूल डमरू सहित गड़ा है.
गर्भगृह में तीर्थराज प्रयागराज के सम्मुख दाएं देवी पार्वती और बाएं गणेश की मूर्तियां हैं. बाहर संगमरमर के नन्दी विराजमान हैं. मंदिर मार्ग में बाएं एक छोटे से मंदिर में आज्ञावीर वेताल की सुंदर मूर्ति स्थापित है. जिसके दाईं तरफ राजा विक्रम की मुण्डवत मूर्ति भी है. जबकि इस मंदिर के पास ही प्राचीन तांत्रिक हनुमान का मंदिर भी स्थापित है.
श्री प्रयागेश्वर महादेव की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक प्राचीन काल में मनु नाम के राजा हुआ करते थे. उनके पुत्र प्रियवत बहुत ही धार्मिक राजा हुए. उन्होंने दान दक्षिणा देकर यज्ञों को संपन्न किया और अपने 7 पुत्रों को 7 द्वीपों का राजा बनाया. और खुद बद्रीनारायण की विशाल नगरी में तप करने चले गए. वे वहां तपस्या में लीन हो गए.
एक दिन नारद वहां पहुंचे और कहा- राजन, मैं श्वेत द्वीप के सरोवर में एक कन्या के पास जाकर अपना सारा वेद ज्ञान भूल गया. इसके बाद नारद ने कन्या से उसकी पहचान पूछी. तब उसने बताया कि वो सावित्री माता हैं.
नारद ने बताया कि सावित्री माता ने ही वेद ज्ञान हासिल करने के लिए प्रयाग जाने को कहा, और कहा कि वहीं सारी शक्ति का बोध होगा. इसके बाद राजा से नारद जी ने पूछा कि वेदों और शक्तियों के सारे ज्ञान के लिए कोई उपाय बताएं.
तब राजा ने कहा – आप महाकाल वन में जाएं. वहां पर प्रयाग के राजा विराजमान हैं. वहीं सनातन ज्योतिष स्वरूप लिंग भी है. वहां पर प्रयाग राजा के नाम से पूजा करो भविष्य में वही प्रयागेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जायेगा.

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