मां की मौत पर बेटे ने कहा—शादी के घर में लाश घर आई तो अपशगुन होगा”…
UP में गोरखपुर से मन को झकझोर देने वाली खबर सामने आई है। यहां 65 वर्षीय शोभा देवी के निधन के बाद उनके बड़े बेटे ने मां का शव घर लाने से इनकार कर दिया। वजह ऐसी कि संवेदनाएँ भी शर्मसार हो जाएँ।
बेटे ने पिता से साफ शब्दों में कहा—
घर में बेटे की शादी है… अभी लाश आई तो अपशगुन होगा। चार दिन फ्रीजर में रखवा दो, बाद में अंतिम संस्कार कर दूंगा
पिता का दर्द—घरेलू दरवाज़े बंद, रिश्तेदार भी दूर..
पत्नी की अंतिम इच्छा थी कि मृत्यु के बाद उन्हें गांव ले जाकर संस्कार किया जाए। 68 वर्षीय भुवाल गुप्ता पत्नी की उसी इच्छा को पूरा करने के लिए पहुंचे, लेकिन बेटे और परिवार ने दरवाज़े बंद कर दिए। रिश्तेदारों ने भी कंधा देने से मना कर दिया।
बूढ़ी काया पर हिम्मत का बोझ लिए वृद्ध पिता पत्नी के शव को स्वयं गांव तक लेकर गए।
मगर गांव में भी संवेदना नहीं थी—
रिश्तेदारों ने कहा,
“चार दिन बाद मिट्टी से बाहर निकालकर चिता पर चढ़ा देंगे।”
टूटे दिल के साथ पिता बस इतना कह सके—
“चार दिन में तो कीड़े खा जाएंगे… कैसा समय आ गया है?” लाचार होकर शोभा देवी को घाट किनारे दफन कर दिया गया।
एक साल पहले ही निकाल दिया था घर से…
दंपती के तीन बेटे और तीन बेटियां हैं।
लेकिन किसी ने माता-पिता का हाल नहीं पूछा।
परिवार ने एक साल पहले ही दोनों को घर से निकाल दिया था, यह कहकर कि वे अब बोझ बन चुके हैं।
तब से यह वृद्ध दंपती आश्रय के लिए भटक रहा था।
बड़ा सवाल—क्या आधुनिकता ने रिश्तों को इतना हल्का कर दिया?
जिन माता-पिता ने छह बच्चों को पालने में पूरी उम्र लगा दी,आज वही बच्चे उन्हें अपशगुन और बोझ मानने लगे हैं।
सवाल बड़ा है—
अगर मातृदेह भी शुभ-अशुभ में तौली जाने लगे, तो समाज किस दिशा में जा रहा है?
गोरखपुर की यह घटना सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं, रिश्तों के बदलते चेहरों का कड़वा सच है
