भारत के जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान के खिलाफ शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को विराम देने की पाकिस्तानी अपील के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध विराम हुआ और चार घंटे बाद ही टूट भी गया। आखिर ये कैसा सीजफायर है ? वास्तव में, यह पाकिस्तान के नापाक व बुरे इरादों को ही दर्शाता है। सीजफायर के नाम पर पाकिस्तान ने एक बार फिर शैतानियत दिखाते वह सबकुछ किया,जो कि वास्तव में उसे नहीं करना चाहिए था। गौरतलब है कि पाकिस्तान ने 10 मई 2025 की रात(शनिवार की रात) को ही युद्ध विराम(सीजफायर) का उल्लंघन करते हुए भारत के जम्मू से लेकर पूरे सीमाई क्षेत्रों में भीषण बमबारी, ड्रोन हमले और गोलाबारी की। उपलब्ध जानकारी के अनुसार दस मई की रात नौ बजे पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का सरे-आम उल्लंघन किया और जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। श्रीनगर में देर रात तक धमाके सुने जाते रहे और उधमपुर में पाकिस्तानी ड्रोन नजर आए। इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने जम्मू के आरएस पुरा क्षेत्र में भी शनिवार को भारी गोलाबारी की। हालांकि, भारत सरकार ने सेना को पाकिस्तान से सख्ती से निपटने के निर्देश दिए हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि-‘ संघर्ष विराम लागू करने को लेकर डीजीएमओ(डायरेक्टर जनरल मिलिट्री आपरेशन) स्तर पर बनी सहमति का उल्लंघन किया गया है और भारत इसका मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। सरकार ने ठोस और सख्त कदम उठाने के आदेश दे दिए हैं।’ यहां पाठकों को बताता चलूं कि भारत-पाकिस्तान के बीच शनिवार(10 मई 2025) को सीजफायर का एलान हो गया था। इस संदर्भ में, दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत हुई और बातचीत के बाद सीजफायर का एलान किया गया था। गौरतलब है कि विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने जानकारी दी थी कि 12 मई 2025 को फिर से दोनों देशों के डीजीएमओ की मुलाकात होगी। यहां उल्लेखनीय है कि डीजीएमओ की देखरेख में ही सारे सैन्य अभियान होते हैं। वास्तव में डीजीएमओ भारतीय सेना के एक सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल 3-स्टार रैंक का अधिकारी होते हैं और डीजीएमओ की निगरानी में ही किसी भी प्रकार के सैन्य अभियान को अंजाम दिया जाता है। संक्षेप में कहें तो, युद्ध के दौरान सैन्य अभियानों से जुड़े हर एक फैसले डीजीएमओ ही लेते हैं, और युद्ध के दौरान रणनीति बनाना भी डीजीएमओ का ही काम होता है,जो सीधे आर्मी चीफ को रिपोर्ट करता है। इतना ही नहीं, खुफिया एजेंसियों के साथ भी डीजीएमओ समन्वय रखता है और युद्ध शुरू होने से लेकर युद्धविराम तक, डीजीएमओ हर सैन्य कार्रवाई का फैसला लेता है, लेकिन पाकिस्तान ने डीजीएमओ की परवाह न करते हुए सीजफायर का सरेआम उल्लंघन कर डाला। यह दर्शाता है कि पाकिस्तानी सेनाओं पर डीजीएमओ का कोई नियंत्रण नहीं है और पाकिस्तानी सेनाएं सीमाओं पर अपनी मनमानी करतीं हैं। बहरहाल, पाठकों को यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप ने कल ही एक्स पर एक पोस्ट कर यह जानकारी दी थी कि-‘संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी रात की बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि, भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। दोनों देशों को सामान्य बुद्धि और महान बुद्धिमत्ता का उपयोग करने के लिए बधाई। इस मामले पर आपके ध्यान के लिए धन्यवाद !’ बहरहाल, पाकिस्तान के सीमा पर सीजफायर उल्लंघन के बीच पाकिस्तानी आर्मी की खिल्ली उड़ाते और भड़कते हुए टीवी एक्टर अली गोनी ने ट्वीट किया है कि, ‘उर्दू में लिखकर भेजो इंग्लिश में समझ नहीं आया होगा ये अनपढ़ आर्मी को।’ कहना ग़लत नहीं होगा कि पाकिस्तान लातों का भूत है,जो बातों से मानने वाला नहीं है। दरअसल, पाकिस्तान द्वारा सीजफायर के उल्लंघन की इस घटना को हाल फिलहाल पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख मुनीर के बीच टकराव के रूप में देखा जा रहा है। गौरतलब है कि अमेरिका की मध्यस्थता में हुए सीजफायर का पाकिस्तान की शहबाज सरकार ने समर्थन किया था, लेकिन अब जिस तरह से पाकिस्तान सेना बगावत पर उतर आई है, उससे पाकिस्तान में तख्ता पलट की आशंका भी बढ़ गयी है। पाकिस्तान द्वारा सीजफायर का सरेआम उल्लंघन करना यह भी दर्शाता है कि पाकिस्तान के सामने ट्रंप कार्ड नहीं चला। इधर, पाकिस्तान द्वारा सीजफायर का उल्लंघन करने पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट किया है कि , ‘संघर्ष विराम को आखिर क्या हो गया ? श्रीनगर में विस्फोटों की आवाजें सुनी गईं!!!’ दरअसल, उन्होंने ड्रोन हमले का एक वीडियो साझा करते हुए कहा, ‘यह कोई संघर्ष विराम नहीं है। श्रीनगर के मध्य में वायु रक्षा इकाइयों ने अभी-अभी गोलीबारी शुरू की है।’ बहरहाल, यहां पाठकों को यह भी बताता चलूं कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर समझौते पर शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने यह बात कही है कि हर राष्ट्र की अपनी कूटनीति और नीतियां होती हैं। उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने जो निर्णय लिया, वह देश के हित में है, और हम इसका समर्थन करते हैं, लेकिन अगर पाकिस्तान ने दोबारा कोई नापाक हरकत की, तो उसे कड़ा जवाब देना चाहिए।’ उन्होंने बलूचिस्तान को आजाद कराने की भी बात कही और यह भी कहा कि पीओके(पाक अधिकृत कश्मीर) पर भारत का पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान के पड़ोसी देश भी उसकी हरकतों से तंग आ चुके हैं। बहरहाल, गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच जारी सैन्य संघर्ष के बीच शनिवार(10 मई 2025) को विदेश मंत्रालय ने घोषणा की थी कि-‘ दोनों पक्षों में आज शाम पांच बजे से जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी थी।’ अंत में यही कहूंगा कि पाकिस्तान विश्व का एक ऐसा देश बन चुका है जो आतंकवाद और आतंकियों को प्रश्रय देता है और अपने आवाम में कट्टरपंथी जेहादी सोच को बढ़ावा देता है। सच तो यह है कि पाकिस्तान की ‘कथनी’ और ‘करनी’ में रात-दिन का अंतर है। वह कहता कुछ है और करता कुछ और है। कहना ग़लत नहीं होगा कि पाकिस्तान जवाबदेह और गंभीर नहीं है और उसकी हरकतें क्षेत्रीय शांति के लिए एक खतरा है। पाकिस्तान को यह नहीं भूलना चाहिए कि युगों-युगों से भारत, शांति का पक्षधर रहा है, लेकिन भारत कभी भी अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। पाकिस्तान की फितरत मुकर जाने की रही है और वह किसी भी बात की परवाह तक नहीं करता है। हाल फिलहाल,इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) ने पाकिस्तान के लिए दो आर्थिक कार्यक्रमों के तहत 2.4 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता को मंजूरी दी है। वास्तव में पाकिस्तान को यह सहायता आर्थिक सुधारों और जलवायु लचीलापन बढ़ाने की योजनाओं को समर्थन देने के लिए दी गई है, लेकिन भारत इसका विरोध कर चुका है, क्योंकि पहलगाम में हुए आतंकी हमले और भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर के चलते दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात हैं। दरअसल भारत नहीं चाहता था कि पाकिस्तान को कोई भी फंड मिले और वह इसका इस्तेमाल भारत में आतंकवाद फैलाने पर करे। दूसरे शब्दों में कहें तो भारत ने इस तरह के राहत पैकेज की प्रभावशीलता पर चिंता जताई थी और ‘राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के लिए धन के दुरुपयोग की संभावना’ को चिह्नित किया था। संक्षेप में यही कहूंगा कि पाकिस्तान की किसी भी बात पर कभी भी भरोसा या विश्वास नहीं किया जा सकता है। किसी ने ठीक ही कहा है कि-‘उसकी फितरत है मुकर जाने की, उसके वादे पे यकीं कैसे करूं ?’
सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड।
