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महिलालेख

नारी तुम श्रद्धा हो विश्वास करो नभ पग ताल में (अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च विशेष आलेख)

admin
Last updated: मार्च 8, 2025 7:07 अपराह्न
By admin 29 Views
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13 Min Read
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रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी नारी के बारे में कहते हैं-‘बुद्धिमान की करो प्रशंसा जब वह नहीं वहाँ हो, पर, नारी की करो बड़ाई जब वह खड़ी जहाँ हो।’ किसी भी राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं की भूमिका महत्ती होती है। महिलाएं आज हर क्षेत्र में अग्रणी और महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। सच तो यह है कि आज महिलाएं ऐसे-ऐसे कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं, जिनकी कुछ वर्ष पूर्व कल्पना तक भी नहीं की जा सकती थी।आज की महिलाएं जागृत,सचेत हैं और अनेक क्षेत्रों में नेतृत्व भी कर रही हैं। महिलाओं के विचारों और उनके जीवन मूल्यों से सुखी परिवार, परिवार के बाद आदर्श समाज और समाज के बाद समृद्ध राष्ट्र का निर्माण होता है।मनु स्मृति में स्पष्ट उल्लेख है कि जहां स्त्रियों का सम्मान होता है वहां देवता रमण करते हैं। महिलाओं को सम्मान देने, उन्हें समाज सशक्त करने के क्रम में ही 8 मार्च को हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो नारी ‘सशक्तीकरण और समानता’ का प्रतीक है। वास्तव में,नारी सशक्तीकरण केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक क्रांति है, जो समाज में महिलाओं को समानता, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता प्रदान करने के लिए जरूरी है। कहना ग़लत नहीं होगा कि जब एक महिला आत्मनिर्भर बनती है, सशक्त होती है, तो वह न केवल अपना जीवन बदलती है, बल्कि पूरे समाज और देश को एक नई दिशा देने का कार्य करती है। शायद यही कारण भी है कि आज हमारे देश में ही नहीं बल्कि विश्वभर में नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि महिलाएं अपनी पहचान खुद बना सकें और समाज में किसी भी क्षेत्र में पीछे न रहें। आज के दौर में महिलाएं हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही हैं- चाहे वह विज्ञान का क्षेत्र हो, राजनीति का क्षेत्र हो, खेल का क्षेत्र हो, अंतरिक्ष का क्षेत्र हो, सेना हो या फिर व्यापार का क्षेत्र ही क्यों न हो। संयुक्त राज्य अमेरिका की पहली अश्वेत प्रथम महिला मिशेल ओबामा ने एकबार यह बात कही थी कि -‘महिलाओं के रूप में हम जो कुछ भी हासिल कर सकते हैं, उसकी कोई सीमा नहीं है।’ वास्तव में महिला और पुरुष एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, बिना किसी एक पहलू के आगे बढ़ना संभव नहीं है। एक महिला समाज की वह धुरी होती है,जिस पर परिवार,समाज और देश आगे बढ़ता है। इसलिए किसी भी समाज में महिलाओं का सशक्त होना बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक है।मलाला यूसुफ़ज़ई ने एकबार यह बात कही थी कि- ‘मैं अपनी आवाज़ उठाती हूँ – इसलिए नहीं कि मैं चिल्ला सकूँ, बल्कि इसलिए कि जिनकी आवाज़ नहीं है, उनकी आवाज़ सुनी जा सके… जब तक हममें से आधे लोग पीछे रह जाएँ, हम सब सफल नहीं हो सकते।’ बहरहाल,पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि पिछले साल यानी कि वर्ष 2024 में महिला दिवस की थीम ‘समावेश को प्रेरित करना’ रखी गई थी और इस वर्ष यानी कि 2025 की थीम ‘कार्रवाई में तेजी लाएं’ रखी गई है जो कि महिलाओं के अधिकारों को तेजी से सुनिश्चित करने पर जोर देती है। कहना चाहूंगा कि सशक्त महिलाएं ही किसी देश के नेतृत्व,मार्गदर्शन, और सामाजिक परिवर्तन, विविधता और सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण और अहम् भूमिका निभाती हैं। आज हमारे देश में केंद्र व राज्य सरकारें महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए लगातार प्रयासरत हैं और महिलाओं के लिए काम कर रहीं हैं। कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत का महिला एवं बाल विकास मंत्रालय देश में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्हें सभी क्षेत्रों की मुख्यधारा में लाने के लिए विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों को क्रियान्वित कर रहा है। पीआईबी पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय निर्भया फंड से वन स्टॉप सेंटर(सखी सेंटर) और महिला हेल्पलाइन का सार्वभौमिकरण जैसी दो योजनाएं चला रहा है। वास्तव में सखी सेंटर का उद्देश्य हिंसा (घरेलू हिंसा सहित) से प्रभावित महिलाओं को एक ही छत के नीचे कई तरह की एकीकृत सेवाएं जैसे पुलिस सुविधा, चिकित्सा सहायता, कानूनी सहायता और कानूनी परामर्श, मनोवैज्ञानिक-सामाजिक परामर्श, अस्थायी आश्रय आदि प्रदान करना है। गौरतलब है कि महिला हेल्पलाइन (डब्ल्यूएचएल) योजना हिंसा से प्रभावित महिलाओं को पुलिस, वन स्टॉप सेंटर, अस्पताल, कानूनी सेवाओं आदि जैसे उपयुक्त प्राधिकरणों से जोड़कर सार्वजनिक और निजी दोनों जगहों पर 24 घंटे आपातकालीन और गैर-आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रदान करती है। डब्ल्यूएचएल देश भर में महिला कल्याण योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्रदान करने के अलावा बचाव वैन और परामर्श सेवाओं के साथ संकटग्रस्त महिलाओं की सहायता भी करता है। महिला हेल्पलाइन से सेवाओं का लाभ उठाने के लिए महिलाएं 181 शॉर्ट कोड डायल कर सकती हैं। कठिन परिस्थितियों की शिकार महिलाएं और जिन्हें पुनर्वास के लिए संस्थागत सहायता की आवश्यकता है, उनके लिए केंद्र सरकार द्वारा स्वाधार गृह योजना क्रियान्वित की जा रही है ताकि वे समाज में सम्मान के साथ अपना जीवन जी सकें। इतना ही नहीं, तस्करी की रोकथाम और वाणिज्यिक यौन शोषण के लिए तस्करी के पीड़ितों के बचाव, पुनर्वास, पुनः एकीकरण और प्रत्यावर्तन के लिए उज्जवला योजना को भी एक केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में क्रियान्वित किया जा रहा है।

कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित और सुविधाजनक स्थान पर आवास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कामकाजी महिला छात्रावास केंद्र सरकार की एक अन्य योजना है। इस योजना के तहत जहां भी संभव हो, शहरी, अर्ध-शहरी या यहां तक ​​कि ग्रामीण क्षेत्रों में जहां महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर मौजूद हों, उनके बच्चों के लिए डे केयर सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा,बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) योजना(22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत में शुरूआत)भी केंद्र सरकार की एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि इस योजना की शुरुआत 22 जनवरी 2015 को शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य बाल लिंग अनुपात (सीएसआर) में गिरावट और जीवन चक्र निरंतरता में लड़कियों और महिलाओं के सशक्तिकरण से संबंधित मुद्दों को संबोधित करना था। वास्तव में, इस योजना का उद्देश्य लिंग पक्षपातपूर्ण लिंग चयन उन्मूलन को रोकना, बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना और बालिकाओं की शिक्षा और भागीदारी सुनिश्चित करना है। इसी प्रकार से सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में महिला शक्ति केंद्र (एमएसके) योजना को नवंबर, 2017 में मंजूरी दी गई थी।यह योजना महिलाओं के संरक्षण और सशक्तिकरण के लिए तैयार की गई है। इस योजना के तहत गांव-गांव की महिलाओं को सामाजिक भागीदारी के माध्यम से सशक्त बनाने और उनकी क्षमता का अनुभव कराने का काम किया जाता है। उल्लेखनीय है कि यह योजना राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर काम करती है। यहां यह भी गौरतलब है कि इस योजना को राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों के माध्यम से केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 के लागत साझाकरण अनुपात(पूर्वोत्तर और विशेष श्रेणी के राज्यों को छोड़कर जहां वित्तपोषण अनुपात 90:10 है) के साथ लागू किया जाता है। उल्लेखनीय है कि केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100% केंद्रीय वित्तपोषण प्रदान किया जाता है।प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) एक केन्द्र प्रायोजित सशर्त नकद हस्तांतरण योजना है, जो 01.01.2017 से पूरे देश में कार्यान्वित है। पीएमएमवीवाई के तहत मातृत्व लाभ सभी गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं (पीडब्लू एंड एलएम) को उपलब्ध है, उन पीडब्लू एंड एलएम को छोड़कर जो केंद्र सरकार या राज्य सरकारों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के साथ नियमित रोजगार में हैं या जो परिवार के पहले जीवित बच्चे के लिए किसी भी कानून के तहत समान लाभ प्राप्त कर रहे हैं। योजना के तहत पात्र लाभार्थी को गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान तीन किस्तों में 5,000/- रुपये प्रदान किए जाते हैं, जो व्यक्ति द्वारा कुछ पोषण और स्वास्थ्य संबंधी शर्तों को पूरा करने पर दिया जाता है। पात्र लाभार्थी को संस्थागत प्रसव के बाद जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) के तहत मातृत्व लाभ के लिए अनुमोदित मानदंडों के अनुसार शेष नकद प्रोत्साहन भी मिलता है।सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना(10 अक्टूबर 2019 को शुरूआत) एक अन्य योजना भी है। गौरतलब है कि इस योजना के तहत 100 फीसदी तक अस्पतालों या प्रशिक्षित नर्सों की निगरानी में महिलाओं के प्रसव को किया जाता है, ताकि प्रसव के दौरान मां और उसके बच्चे के स्वास्थ्य की उचित देखभाल की जा सके।इस योजना के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की जीवन सुरक्षा के लिए निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं सरकार द्वारा प्रदान की जा रही है और इस योजना का उद्देश्य माता और नवजात शिशुओं की मृत्यु को रोकना है। इसके अलावा महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से फ्री सिलाई मशीन योजना भी चलाई गई है। इतना ही नहीं, मिशन शक्ति (एकीकृत महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम) भी शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तीकरण के लिए हस्तक्षेप को मजबूत करना है। यह योजना महिलाओं को शासन के विभिन्न स्तरों, पंचायतों और अन्य स्थानीय शासन निकायों और जन सहभागिता की अधिक भागीदारी और समर्थन के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में उन्हें समान भागीदार बनाकर ‘महिला-नेतृत्व वाले विकास’ के दृष्टिकोण को साकार करती है। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना सरकार की एक शानदार योजना है जिसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर गृहणियों को रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराया जाता है।अब तक देश के करोड़ों परिवारों को इस योजना का लाभ मिल चुका है। गौरतलब है कि 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया से इस योजना की शुरुआत की गई थी। पाठकों को बताता चलूं कि इस योजना का उदेश्य महिलाओं को लकड़ी या कोयले के धुएं से मुक्त कराना है। इसी क्रम में 22 जनवरी 2015 को सुकन्या समृद्धि योजना एक अन्य योजना है, जो बहुत ही लोकप्रिय है। वास्तव में यह योजना 10 साल से कम उम्र की लड़कियों/बच्चियों की उच्च शिक्षा और शादी के लिए है।यानी यह लड़कियों के सुरक्षित भविष्य के लिए यह बचत योजना है। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई कदम उठाए हैं, जिनका लाभ बड़े पैमाने पर देश की महिलाओं को मिल रहा है। वास्तव में, सरकार का यह उद्देश्य है कि महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करें और आगे बढ़ें। आज चाहे कोई भी क्षेत्र क्यों न हो, हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती जा रही है। अतः हमें यह चाहिए कि हम नारी शक्ति को पहचानें। आज जरूरत इस बात की है नारी के प्रति हम रूढ़िवादी सोच और अपने नज़रिए को बदलें।महिलाओं को भी कदम से कदम मिलाकर एकजुटता से अपने हक और अधिकार के लिए लड़ना होगा तथा समाज को यह दिखाना होगा की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है। कहना चाहूंगा कि आज भी लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के लिए और प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।अंत में, कवि जयशंकर प्रसाद के शब्दों में यही कहना चाहूंगा कि ‘नारी तुम श्रद्धा हो विश्वास करो नभ पग ताल में।’

सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड।

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