युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का 50 वां दीक्षा दिवस (युवा दिवस)
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का 50 वां दीक्षा दिवस (युवा दिवस)
परम पूज्य , अनन्त आस्था के आलय ,जन – जन के जिनालय , सरलता विनम्रता के मूर्तिमान आदर्श , दिव्य दया के देवालय , उच्च कोटि का श्रमण , वैराग्य श्री , ऐश्वर्य आदि से विभूषुत ,महाप्राण व्यक्तित्व , करुणा के हिमालय , जीवन नैया के कर्णधार ,तीर्थंकर के प्रतिनिधि , युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के 50 वां दीक्षा दिवस (युवा दिवस) पर भावों से मेरा शत – शत वन्दन व इस अवसर पर मेरे मन के उदगार श्री चरणो में –
आचार्य श्री महाश्रमण जी यानी विश्व के रंगमंच पर एक ऐसा विराट व्यक्तित्व है जिसके जीवन में तारतम्य ही नही साथ ही साथ जिन्हें उदय-अनुदय का अनुभव भी हैं । जिसने जीवन में सुख-दुःख को स्पर्श किया हैं । जो प्रकाश और अंधकार,सत् और असत्,मृत्यु और अमरत्व,पराक्रम और मंडता आदि सभी अवस्थाओं में से गुज़रनेवाले व्यक्ति है ।मानवता उत्थान के महान सन्देशवाहक भारतीय ऋषि परम्परा में आचार्य भिक्षु की परम्परा के एक महान संत है – आचार्य श्री महाश्रमण जी । जिन्होंने अपनी अहिंसा की प्रलम्ब यात्रा कर वर्ण , जाति , सम्प्रदाय से मुक्त रहकर जन मानस को मैंत्री , करुणा , सेवा , सदभावना और समन्वय का सन्देश दिया । 21 राज्यों व तीन देशों में 20 हजार ( लगभग ) किलोमीटर की पदयात्रा करना इतिहास का अत्यन्त दुर्लभ दस्तावेज बन गया है । नैतिकता, सदभावना और जन – जन को नशा मुक्ति की दिशा में प्रेरित करने के लिए पदयात्रा करना आन्तरिक अनुकम्पा की भावना के बिना सम्भव नहीं है । तेरापंथ प्राचीनता और नवीनता के समन्वय का नाम है ।हमारा धर्म संघ जहां नवीन आयामों का पैगाम है। वहीं दूसरी तरफ प्राचीन मर्यादाएं हमारी शान है । मौलिकता लिए हमारी मजबूत नींव को प्रणाम है। युग के साथ परिवर्तन व नव उन्मेषों का भंडार है ।भिक्षु स्वामी से ले कर वर्तमान आचार्य श्री महाश्रमण तक मूल मर्यादाएं अक्षुण्ण खान है। राजस्थान के सरदारशहर कस्बे में जन्म लेने वाले आचार्य श्री महाश्रमण जी का जीवन नैतिक मूल्यों के विकास , साम्प्रदायिक सौहार्द तथा अहिंसक चेतना के जागरण के लिए समर्पित है । युवा दिवस के रूप में आयोजित यह कार्यक्रम देश के लाखों – लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है । देश के युवाओं को अपनी श्रमशक्ति , समझशक्ति व समय को सकारात्मक सोच के साथ उपयोग करना चाहिए जिससे समाज और राष्ट्र का सम्यक् विकास हो सकेगा । विश्व में अहिंसा शांति स्थापना के प्रयत्न में प्रयत्नशील एक योगी,एक फ़क़ीर,एक लेखक,एक सफल सम्पादक, एक पुरुषोत्तम, एक विचारक ,एक योगी जो रुके नही कभी,थमें नही, थके नही था जिनके चिंतन में माधुर्यपूर्ण भरा हैं प्रवचन में गाभीर्य भरा है- ऐसे दुर्लभ बिरले पुरुषार्थी व्यक्तित्व का नाम हैं आचार्य श्री महाश्रमण जी । आचार्य श्री महाश्रमण जी के दीक्षा दिवस की स्वर्ण जयन्ती पर गुरुदेव के दीर्घायु – चिरायु होने की मैं हृदय की अनन्त अनन्त गहराई से मंगलकामना करते हुए उनके सुदीर्घ जीवन की कामना करता हूँ । समाज और राष्ट्र के उज्जवल भविष्य के निर्माण में आचार्य श्री महाश्रमण जी का योगदान अक्षुण्ण बना रहे ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )