युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का 14 वां पट्टोंत्सव दिवस –
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का 14 वां पट्टोंत्सव दिवस –
परम आराध्य प्रातः स्मरणीय पूज्य गुरूदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी के 14 वां पट्टोत्सव दिवस पर भावों से मेरा शत – शत वन्दन व इस अवसर पर मेरे मन के उदगार श्री चरणो में –
धर्म कर पाप करना छोड़ दे ।।ध्रुव।
पाप दुर्गुणों की खान है ।
धर्म सद्गुणों की खान है ।
पाप पतन का मार्ग है ।
धर्म विकास का मार्ग है ।
धर्म कर पाप करना छोड़ दे ।।ध्रुव।
सदभावना पाप से खत्म होती ।
धर्म से करुणा भीतर रहती ।
पाप अकृत्य का मूल है ।
धर्म सुकृत्य का मूल है ।
धर्म कर पाप करना छोड़ दे ।।ध्रुव।
धर्म से रजक हो जाते ।
पाप से कलुषित हो जाते ।
धर्म से निर्मल हो जाते ।
पाप से राग – द्वेष भरते ।
धर्म कर पाप करना छोड़ दे ।।ध्रुव|
धर्म कर्मों को हल्का कराता ।
पाप कर्मों को भारी कराता ।
धर्म भव – सागर पार कराता ।
पाप संसार भ्रमण कराता ।
धर्म कर पाप करना छोड़ दे ।।ध्रुव।
धर्म से उन्नति महान ।
पाप से पतन महान ।
धर्म से मोक्ष विख्यात ।
पाप से नरक विख्यात ।
धर्म कर पाप करना छोड़ दे ।।ध्रुव।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )