दिल्ली सरकार ने वैसी सार्वजनिक गाड़ियां जिनकी अवधि पूरी हो चुकी हैं उनके लिए नए गाइडलाइन तय किए हैं। दिल्ली सरकार ने ऐसे चार पहिया वाहनों के लिए 10,000 रुपया और दो पहिया वाहनों के लिए 5,000 रुपया जुर्माना लगाने का फैसला किया है।
ऐसे वाहनों को तुरंत जब्त कर लिया जाएगा और मालिकों को ये वाहन वापस लेने के लिए जुर्माना देना होगा। सरकार ने यह गाइडलाइन अवधि पूरा कर चुके वाहनों को शहर में सार्वजनिक स्थानों से हटाने के लिए लागू किया है। इसके लिए इससे संबंधित दैनिक रिपोर्ट पर्यावरण मंत्रालय और कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट को भेजी जा रही है।
जब्त किए गए वाहन वापस कैसे लें..
‘The Times Of India’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, समय-अवधि पूरा कर चुके वाहनों को दो श्रेणियों में वापस लिया जा सकेगा। इनमें – इन वाहनों को दिल्ली-एनसीआर से बाहर चलाया जाए और निजी या गैर-साझा स्थान पर पार्क किया जाए। जब्त किए गए ऐसे वाहनों को रिलीज करने के लिए उनपर जुर्माना लगाया जाएगा और उनसे पार्किंग फीस भी ली जाएगी। वैसे वाहन जिन्हें दोबारा जब्त किया जाता है या 10 साल से ज्यादा के डीजल वाहनों को रिहा नहीं किया जाएगा।
पेट्रोल कारों को पहले पंजीकरण की तारीख से 15 साल तक वाहन चलाने की अनुमति होगी। जिनके कार मालिकों के पास डीजल कार है उन्हें महज 10 साल तक चलाने की अनुमति होगी। इसी तरह स्कूटर और मोटरसाइकिल को 15 साल के लिए ऑपरेट करने की इजाजत होगी। वाहन को वापस लेने के लिए वाहन मालिकों को महज तीन हफ्तों में एप्लिकेशन देना होगा। यह एप्लिकेशन ऑनलाइन दिया जा सकेगा ताकि वाहन मालिकों को सुविधा मिल सके।
वाहनों को तीन हालात में स्क्रैप कर दिया जाएगा
– अगर वाहन मालिक समय पर वाहन रिलीज के लिए एप्लिकेशन नहीं देते
– एप्लिकेशन रिजेक्ट हो जाए
– दूसरी बार जब्त किया गया हो
स्क्रैप वैल्यू वाहन मालिक के बैंक खाते में 15 दिनों के अंदर डिजीटली ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
रोड टैक्स में 50,000 रुपये तक की छूट
दिल्ली सरकार ने हाल ही में रोड टैक्स में छूट पाने के लिए नई नीति का प्रस्ताव भी लाया है। इसमें रोड टैक्स देने वाले ग्राहकों को 50,000 रुपये तक की छूट मिलेगी। यह इसपर निर्भर करेगा कि स्क्रैप किया गया वाहन किस तरह का है और उसकी उम्र कितनी है। 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों को डिस्पोज करने पर वाहन मालिकों को अधिकतम 50,000 रुपये तक की छूट मिल सकती है। हालांकि, कर्मशियल वाहनों को इससे कम की छूट मिलेगी। हालांकि, अभी यह नीति लागू नहीं हुई है।