Culprit Tahalaka NewsCulprit Tahalaka News
Notification Show More
Font ResizerAa
  • राष्ट्रीय
  • अंतराष्ट्रीय
  • राज्य
    • असम
    • आन्ध्र प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • कर्नाटक
    • केरल
    • गुजरात
    • गोवा
    • छत्तीसगढ़
    • जम्मू
    • झारखंड
    • बंगाल
    • बिहार
    • मध्य प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मेघालय
    • पंजाब
    • तमिलनाडु
    • राजस्थान
    • हरियाणा
    • तेलंगाना
    • त्रिपुरा
    • हिमाचल प्रदेश
  • उत्तर प्रदेश
    • लखनऊ
    • आगरा
    • इटावा
    • उन्नाव
    • एटा
    • कासगंज
    • अलीगढ़
    • औरैया
    • कन्नौज
    • गाजियाबाद
    • गोरखपुर
    • झांसी
    • नोएडा
    • पीलीभीत
    • प्रयागराज
    • फर्रुखाबाद
    • फिरोजाबाद
    • बरेली
    • कानपुर
    • अमेठी
    • बुलंदशहर
    • मथुरा
    • मुज़फ्फरनगर
    • मुरादाबाद
    • मेरठ
    • मैनपुरी
    • लखीमपुर
    • वाराणसी
    • शाहजहाँपुर
    • हमीरपुर
    • बांदा
    • गाजीपुर
    • अयोध्या
    • बाराबंकी
    • हरदोई
    • सीतापुर
    • हाथरस
  • Photo Stories
  • अपराध
  • लेख
  • मनोरंजन
  • खेल
  • महिला
  • स्वास्थ्य
Culprit Tahalaka NewsCulprit Tahalaka News
Font ResizerAa
  • Home
  • Latest
  • राष्ट्रीय
  • उत्तर प्रदेश
  • राज्य
  • लेख
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • राजनीति
Search
  • राष्ट्रीय
  • अंतराष्ट्रीय
  • राज्य
    • असम
    • आन्ध्र प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • कर्नाटक
    • केरल
    • गुजरात
    • गोवा
    • छत्तीसगढ़
    • जम्मू
    • झारखंड
    • बंगाल
    • बिहार
    • मध्य प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मेघालय
    • पंजाब
    • तमिलनाडु
    • राजस्थान
    • हरियाणा
    • तेलंगाना
    • त्रिपुरा
    • हिमाचल प्रदेश
  • उत्तर प्रदेश
    • लखनऊ
    • आगरा
    • इटावा
    • उन्नाव
    • एटा
    • कासगंज
    • अलीगढ़
    • औरैया
    • कन्नौज
    • गाजियाबाद
    • गोरखपुर
    • झांसी
    • नोएडा
    • पीलीभीत
    • प्रयागराज
    • फर्रुखाबाद
    • फिरोजाबाद
    • बरेली
    • कानपुर
    • अमेठी
    • बुलंदशहर
    • मथुरा
    • मुज़फ्फरनगर
    • मुरादाबाद
    • मेरठ
    • मैनपुरी
    • लखीमपुर
    • वाराणसी
    • शाहजहाँपुर
    • हमीरपुर
    • बांदा
    • गाजीपुर
    • अयोध्या
    • बाराबंकी
    • हरदोई
    • सीतापुर
    • हाथरस
  • Photo Stories
  • अपराध
  • लेख
  • मनोरंजन
  • खेल
  • महिला
  • स्वास्थ्य
Follow US
Whatsapp ग्रुप जॉइन करने के लिए क्लिक करें
खेल

EXCLUSIVE: उम्मीद है कि मैं उन मुस्लिम लड़कियों के लिए मिसाल बनूंगी जो कुछ कर गुजरना चाहती हैं- निकहत जरीन

admin
Last updated: मई 25, 2022 10:10 अपराह्न
By admin 11 Views
Share
16 Min Read
SHARE
Nikhat Zareen

मेहा भारद्वाज आल्टर

वैश्विक मंच पर महिला बॉक्सर निकहत जरीन (Nikhat Zareen) की जीत के एक नहीं कई पहलू हैं. इनमें सबसे बड़ी बात तो घिसी-पिटी धारणाओं को बदलने की है. निकहत ने बॉक्सिंग  को यह साबित करने के लिए चुना था कि लड़कियां भी इस शारीरिक खेल को बखूबी खेल सकती हैं और अब विश्व चैंपियनशिप (World Championship) में उनके स्वर्ण पदक ने यह साबित कर दिया है कि अगर जुनून हो तो आप किसी हद तक की संकीर्ण मानसिकताओं का सामना कर सकते हैं. निकहत से हुई बातचीत के कुछ अंश…

निजामाबाद में बचपन में आपके बॉक्सिंग करियर की शुरुआत हो गई थी?
2009 से पहले दो साल मैं एथलेटिक्स में एक्टिव रही थी. मेरे इवेंट्स 100 मीटर और 200 मीटर रेस के थे. मेरे पापा मुझे ट्रेनिंग दे रहे थे क्योंकि वहां पर न तो सही कोच थे और न ही पूरी सुविधाएं. मेरे करियर में मोड़ तब आया, जब अरबन गेम्स में मैंने बॉक्सिंग को छोड़कर हर खेल में लड़कियों को देखा. तब मैंने पूछा था, ‘पापा, लड़कियां बॉक्सिंग क्यों नहीं करतीं? क्या बॉक्सिंग सिर्फ पुरुषों के लिए है?’ इस पर उन्होंने कहा, ‘नहीं बेटा, लड़कियां भी बॉक्सिंग कर सकती हैं, लेकिन लड़कियां इसमें आगे आने की हिम्मत नहीं दिखाती हैं और लोग सोचते हैं कि वे इस तरह के खेल के लिए बहुत कमजोर हैं.’

उनकी इस बात को मैंने चुनौती की तरह लिया क्योंकि बचपन से ही मैं जिद्दी और मजबूत इरादों वाली रही हूं. मेरा बचपन लड़कों के साथ खेलते हुए बीता है. ये भी एक वजह थी कि मुझे उनकी बात पसंद नहीं आई थी कि लड़कियां इस खेल के लिए मजबूत नहीं होती हैं. इसके बाद मैंने अपने पिता से कहा कि मैं बॉक्सिंग करना चाहती हूं और सबको दिखाना चाहती हूं कि लड़कियां इसे खेलने के लिए एकदम मजबूत हैं.

- Advertisement -

You Might Also Like

17वीं अंतर्जनपदीय वॉलीबॉल क्लस्टर (वॉलीबॉल, सेपकटकरा) प्रतियोगिता–2025 का हुआ भव्य समापन।
मारहरा ब्लॉक स्तरीय मिनी बाल क्रीड़ा प्रतियोगिता का हुआ समापन… कम्पोजिट विद्यालय नगरिया ताड बना चैंपियन

लेकिन यह आसान नहीं रहा होगा. आपके पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने इस किस तौर पर लिया. आपकी मां का क्या कहना था? मुझे ऐसा लगता है कि जब आप टूटी नाक और फूटी आंख लेकर घर पहुंचती होंगी तो उनकी बस यही चिंता होगी कि इसकी ‘शादी कैसे होगी’?

मुझे पहले दिन से ही पता था कि इस फैसले पर चलना आसान नहीं होगा. मेरे पापा भी एथलीट रहे हैं और वह मेरे साथ हमेशा खड़े रहे. लोग मेरे पिता से पूछते थे कि उन्होंने मुझे बॉक्सिंग में क्यों डाला, अगर मुझे चोट लग गई तो मुझसे कौन शादी करेगा? लेकिन मेरे पिता ने कभी इन बातों पर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने मुझे कड़ी मेहनत करने को कहा और कहा कि जिस दिन मैं देश के लिए पदक जीतूंगी, यही लोग मेरे साथ फोटो खिंचवाने आएंगे. तबसे मैंने भी ऐसे लोगों पर ध्यान देना बंद कर दिया. मैंने कड़ी मेहनत करना जारी रखी और जिस भी प्रतियोगिता में भाग लिया उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ दिया.

शुरुआत में मैं अपने जिले की एकमात्र गर्ल बॉक्सर थी और मेरी ट्रेनिंग लड़कों के साथ होती थी. मेरे पहले सेशन में एक लड़के ने मुझ पर जोरदार प्रहार किया जिससे मेरी नाक और एक आंख से खून बहने लगा. मेरी हालत देखकर मेरी मां रोने लगीं. उन्होंने कहा कि बेटा मैंने तुझे इसलिए बॉक्सिंग मैं नहीं डाला था कि तेरा चेहरा चोट से खराब हो जाए…अब तेरे से शादी कौन करेगा. तब मैंने कहा ‘अरे अम्मी, तुम टेंशन मत लो…नाम होगा तो दूल्हों की लाइन लग जाएगी!’ लेकिन अब उनको इस सब की आदत हो गई है. अब मुझे चोट लगती है तो वे कहती हैं कि बेटा बर्फ लगा लो. मुझे मेरे पेरेंट्स का बहुत सपोर्ट रहा है.

आपकी पेशेवर यात्रा तुर्की में शुरू हुई थी जब आपने महिला युवा और जूनियर विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था. अब तुर्की में दोबारा आपने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती है. यह आसान नहीं रहा होगा. आपके कंधे में चोट आई थी जिसके बाद आपको कुछ समय तक रिंग से बाहर रहना पड़ा. उस दौरान आपने क्या महसूस किया और खुद से क्या कहा?

2017 में जो चोट मुझे लगी थी, उसके लिए मैं तैयार नहीं थी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं घायल हो जाऊंगी या मैं किसी चोट के कारण एक साल के लिए बॉक्सिंग से बाहर हो जाऊंगी. मैं इसे स्वीकार नहीं कर पा रही थी. इसका मुझे गहरा सदमा लगा था. मेरे मन में नकारात्मक विचार आते थे और मैं सोचती थी कि क्या मैं कभी वापसी कर पाऊंगी. क्या मैं कभी अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पाऊंगी और पदक जीत पाऊंगी. उस समय लोग मेरे माता-पिता से भी कहते थे कि ‘निकहत का कंधा टूट गया है, इसलिए हो सकता है कि वह वापसी न कर सके और देश के लिए कभी न खेल पाए. चूंकि उसे एक जूनियर विश्व चैंपियनशिप जीती है तो उसे स्पोर्ट्स कोटा की नौकरी आसानी से मिल जाएगी तो आप उसे संघर्ष करने को क्यों कह रहे हैं. उसे रिटायर होने दें और उसकी शादी कराकर उसको सेटल कर दें.

- Advertisement -

उनके लिए इतना ही काफी था. लेकिन मेरे लिए नहीं. मेरे बहुत सारे सपने थे. मेरे करियर ने अभी तक उड़ान नहीं भरी थी. मुझे लगा कि मैं पदक जीतने की राह पर हूं, लेकिन दुर्भाग्य से वो चोट लग गई. फिर भी मैंने खुद को मजबूत रखा और अपने मनोवैज्ञानिक की मदद भी ली. वह सुझाव देते थे कि जब भी मुझे तनाव हो तो मैं अपनी आंखें बंद करके एक गहरी सांस लूं और कल्पना करूं कि मैं रिंग में वापस पहुंचकर पदक जीत रही हूं. मैंने ऐसा ही किया और सोचा कि अपने टूटे कंधे के साथ भी मैं विरोधियों को घायल कर रही हूं और देश के लिए मेडल ले रही हूं. इस सोच ने मुझे और अधिक मजबूती दी.

विश्व चैंपियनशिप के दौरान आप सर्वसम्मत निर्णयों से जीती हैं. ऐसा लग रहा था कि जैसे आप कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहती थीं?

मैंने कभी भी सभी मुकाबलों को सर्वसम्मति से जीतने के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने की जरूर ठान रखी थी. अगर कभी मुझे लगा कि मैं धीमी हो रही हूं या थक रही हूं, तो ब्रेक के बाद मैंने खुद को और बेहतर करने के लिए प्रेरित किया. मैंने हर राउंड में अपना बेस्ट देने के बारे में सोचा था. मैंने कभी भी राउंड को उस हद पर ले जाने के बारे में नहीं सोचा जहां आपको जीतते जीतते हार मिल जाए.

गोल्ड जीतने के बाद आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी?

फाइनल में मैंने पहले दो राउंड में सर्वसम्मत निर्णय लेने और तीसरे राउंड में आराम से रहने की योजना बनाई थी. पहला तो मैंने आराम से जीता लेकिन दूसरा राउंड 2-3 से मेरी प्रतिद्वंद्वी के नाम हो गया. मेरे कोच ने मुझे बताया कि तीन जजों ने मेरे थाई प्रतिद्वंद्वी के पक्ष में और दो ने मेरे पक्ष में स्कोर दिया है. तीसरा दौर मुझे अपने पाले में करना ही था. मैंने अपने आप से कहा- निकहत, इस राउंड में अपना 100% देना है और किसी भी कीमत पर 5-0 से जीतना ही है.

तीसरे दौर के फैसले की घोषणा होने से पहले मैं बहुत नर्वस थी. हालांकि मुझे जीत का भरोसा भी था. लेकिन फिर भी बहुत डरी हुई थी और लगातार प्रार्थना कर रही थी. जब फैसला मेरे पक्ष में आया तो मैं बहुत खुश थी और साथ ही बहुत भावुक भी. विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने के अपने सपने को मैंने पूरा कर लिया था. मुझे अपने आप पर गर्व हो रहा था. मैंने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया था. फाइनल में पहुंचने वाली मैं भारत की अकेली लड़की थी और मुझ पर देश के लिए गोल्ड जीतने की जिम्मेदारी भी थी.

टोक्यो ओलंपिक से पहले ट्रायल के दौरान एमसी मैरी कॉम के साथ आपका विवाद हो गया था. जब आपने हाल ही में स्वर्ण पदक जीता था, तो क्या यह उन सभी लोगों को मुंहतोड़ जवाब था, जिन्होंने कहा था कि आप सफल नहीं हो सकती हैं?

टोक्यो ओलंपिक के लिए ट्रायल हारने के बाद मैं अपसेट थी. ओलंपिक में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना और वहां पदक जीतना हर एथलीट का सपना होता है. मुझे एहसास था कि इस पल के लिए मुझे और अभी चार साल इंतजार करना होगा, इसलिए मैं दुखी थी. लेकिन मेरा मानना है कि जो भी होता है, उसके पीछे कोई कारण जरूर होता है. शायद टोक्यो में खेलना और जीतना मेरी किस्मत में नहीं था. मैंने अपनी हार स्वीकार कर ली थी और इसे एक सबक के रूप में लिया था. मैंने अपनी कमियों को पहचाना और उन पर काम करना शुरू कर दिया. अगर हम अतीत में ही जीते रहेंगे तो हमारा वर्तमान और भविष्य, दोनों ही खराब हो जाएंगे.

आपके कोच रोनाल्ड सिम्स ने आपके लिए कुछ दिलचस्प कहा…कि टोक्यो क्वॉलीफायर के लिए वह ट्रायल हारने के बाद आपके अंदर कुछ बदल गया. आप पहले से ज्यादा मेहनती हो गईं?

टोक्यो ट्रायल के बाद लोग मेरे बारे में बात करने लगे कि मैं ही वह लड़की थी जिसने मैरी कॉम को चुनौती दी थी. मैं उस रूप में प्रसिद्ध नहीं होना चाहती थी. मैं अपनी पहचान निकहत जरीन – विश्व चैंपियन या ओलिंपिक चैंपियन के तौर पर चाहती थी. मुझे लगा कि अगर मुझमें क्षमता है, तो मैं सिल्वर मेडल से समझौता क्यों करूं. मुझे हमेशा गोल्ड का लक्ष्य रखना चाहिए. मैंने खुद से कहा कि उस गोल्ड मेडल को मैं दिल से पाना चाहती हूं और इसे पाने के लिए मैंने कड़ी मेहनत भी की.

एक मैच के लिए रिंग में केवल नौ मिनट होते हैं, तीन-तीन मिनट के तीन राउंड. हम दो घंटे तक प्रशिक्षण लेते हैं और फिर भी तीसरे दौर तक थक जाते हैं. मैंने सोचा कि अगर हम घंटों प्रशिक्षण लेते हैं, तो हम मेडल के लिए नौ मिनट तक क्यों नहीं लड़ सकते. मैंने खुद से कहा कि अगर मैं थक भी जाऊं तो मुझे अपनी सारी ऊर्जा लगानी होगी और जीत हासिल करनी होगी. मैंने ठान लिया था कि मैं रिंग में खुद को थकने नहीं दूंगी.

कोच सिम्स ने यह भी कहा कि आप मैरी के खिलाफ नहीं जीत सकती थीं क्योंकि आप उनका बहुत सम्मान करती हैं…?

ऐसा नहीं है, लेकिन कहीं न कहीं मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है. मुझे याद है कि मैंने पहली फिल्म जो थिएटर में देखी थी वो मैरी कॉम थी. यहां से मैंने उनको एक प्रेरणा के रूप में देखा था. मैंने कभी नहीं सोचा था कि कभी हमारे बीच भी प्रतिद्वंद्विता होगी या कभी ये सब भी होगा. कहीं न कहीं यह मुझे आहत कर रहा था कि जिनको मैंने इतनी अहमियत दी…उनके साथ चीजें अब एक अलग दिशा में जा रही हैं. मुझे बुरा लग रहा था. लेकिन जैसा कि मैंने कहा- इन सब चीजों ने मुझे और मजबूत बना दिया. मैं अब भी उनका बहुत सम्मान करती हूं. विश्व चैम्पियनशिप जीतने के बाद उन्होंने मुझे बधाई देने के लिए ट्वीट किया और मैंने अपनी टीम से सभी को जवाब देने के लिए कहा है क्योंकि मेरे पास समय नहीं है.

एक रूढ़िवादी परिवार से आने के कारण आपके लिए यह सब आसान नहीं रहा होगा. आपके पिता ने कहा है कि आपको युवा मुस्लिम लड़कियों के लिए प्रेरणा बनना चाहिए. बल्कि देशभर की लड़कियों के लिए…

मैं एक ऐसे रूढ़िवादी समाज और परिवार से आती हूं, जहां लोग सोचते हैं कि लड़कियों को घर पर ही रहना चाहिए और घर के काम संभालने चाहिए. जैसा मैंने बताया था कि मेरे पिता भी एक एथलीट थे और वे बखूबी समझते थे कि एथलीट किस दौर से गुजरते हैं और उनका लाइफस्टाइल कैसा होता है. मसलन शुरू में लोग कहते थे कि बॉक्सिंग तो शॉर्ट्स पहनकर खेली जाती है और इस्लाम में तो इसकी मनाही है.

मेरे पिता ने इन बातों पर कभी ध्यान नहीं दिया और उन्होंने मुझे हमेशा बॉक्सिंग पर ध्यान देने के लिए कहा. वे कहते हैं कि कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना. यदि आप उन पर ध्यान देंगे, तो आप भ्रमित हो जाएंगे और कभी भी अपने सपनों को साकार नहीं कर पाएंगे.

अपने खेल में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना मेरा सपना था. जब मेरा परिवार मेरे साथ है, तो मुझे इस बात की परवाह क्यों करनी चाहिए कि दूसरे क्या कहते हैं. मैंने ऐसे लोगों को कभी महत्व नहीं दिया. बेशक मेरे लिए यह राह आसान नहीं थी लेकिन मैंने इसे अपने लिए इसे आसान बनाया और अब वही लोग मेरे बारे में बात करते हैं. मैंने पहले भी कहा था कि मैं लड़कियों के लिए प्रेरणा बनना चाहती हूं, खासकर उन मुस्लिम लड़कियों के लिए जो जीवन में कुछ हासिल करना चाहती हैं.

अगर रूढ़िवादी समाज सोचता है कि लड़कियों को हिजाब में रहना चाहिए तो ठीक है, मुक्केबाजी भी हिजाब का स्वागत कर रही है. लड़कियां हिजाब पहनकर भी बॉक्सिंग कर सकती हैं. इस तरह वो अपने धर्म का पालन करते हुए अपने जुनून और सपने को भी पूरा कर सकती हैं. 

कलप्रिट तहलका (राष्ट्रीय हिन्दी साप्ताहिक) भारत/उप्र सरकार से मान्यता प्राप्त वर्ष 2002 से प्रकाशित। आप सभी के सहयोग से अब वेब माध्यम से आपके सामने उपस्थित है।
समाचार,विज्ञापन,लेख व हमसे जुड़ने के लिए संम्पर्क करें।

Share This Article
Facebook X Whatsapp Whatsapp Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Previous Article ससुरालवालों पर लगाया दहेज उत्पीड़न का आरोप, पीड़िता बोली-10 लाख नहीं देने पर बुरी तरह पीटा
Next Article MP: कांग्रेस नेता फूलसिंह बरैया का बड़ा दावा, बोले- CM शिवराज सिंह को लग रहा डर; इसलिए दौड़ रहे है दलितों की तरफ
Leave a Comment Leave a Comment

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Read Culprit Tahalka PDF

Latest Updates

अलीगढ़आगरा

वामा सारथी के तत्वाधान में “वामा वैलनेस कैंप” के अंतर्गत रिजर्व पुलिस लाइंस एटा में “होम्योपैथिक चिकित्सा शिविर” लगाकर पुलिस परिवार की महिलाओं एवं बच्चों को निःशुल्क चिकित्सीय परामर्श देकर दवाएं वितरित की गईं

दिसम्बर 7, 2025
अलीगढ़आगरा

जनपद में बढ़ती शीतलहर से राहत: जिलाधिकारी के निर्देश पर कंबल वितरण, अलाव व रैन बसेरों की व्यवस्था सुदृढ़

दिसम्बर 7, 2025
अलीगढ़आगरा

अलीगढ़ में महिला कांस्टेबल ने फांसी लगाकर दी जान

दिसम्बर 7, 2025
उत्तर प्रदेशलखनऊ

पत्र सूचना कार्यालय द्वारा ‘काशी तमिल संगमम 4.0’ के आयोजन के क्रम में वाराणसी में ‘वार्तालाप कार्यक्रम’ (मीडिया कार्यशाला) का किया गया आयोजन

दिसम्बर 7, 2025

You May also Like

अलीगढ़आगरा

जिला खेल विकास एवं प्रोत्साहन समिति की बैठक संपन्न

नवम्बर 8, 2025
अलीगढ़आगरा

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एटा द्वारा आगरा जोन, आगरा की 17 वीं अंतर्जनपदीय वॉलीबॉल क्लस्टर (वॉलीबॉल, सेपकटकरा) प्रतियोगिता 2025 का फीता काटकर किया गया शुभारम्भ

नवम्बर 6, 2025
अलीगढ़आगरा

जिले में पहली बार आयोजित क्वान कीडो चैम्पियनशिप का पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष राकेश गांधी ने किया उद्घाटन

मई 4, 2025
खेल

वहीं खड़ी है द्रौपदी

मार्च 6, 2025
Show More
Culprit Tahalaka News

कलप्रिट तहलका (राष्ट्रीय हिन्दी साप्ताहिक) भारत/उप्र सरकार से मान्यता प्राप्त वर्ष 2002 से प्रकाशित। आप सभी के सहयोग से अब वेब माध्यम से आपके सामने उपस्थित है। समाचार,विज्ञापन,लेख व हमसे जुड़ने के लिए संम्पर्क करें।

Youtube Facebook X-twitter

Important Links

  • Home
  • Latest News
  • Contact
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Terms and Condition
  • Join Us
© Copyright 2025, All Rights Reserved  |   Made by SSG & Technology