देश और दुनिया में कोरोना(Corona) से अब तक 51 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं. भारत में भी फिलहाल कोरोना के मामलों में उतार-चढ़ाव जारी है. कोरोना संक्रमण के पिछले करीब ढाई साल के इतिहास में इस वायरस ने लोगों पर अलग-अलग प्रकार से असर किया है. कुछ लोगों में इस वायरस से काफी हल्के लक्षण मिले हैं, जबकि कई संक्रमित गंभीर रूप से बीमार हुए हैं.लेकिन ऐसा हुआ क्यों है. वैज्ञानिकों ने इस सवाल का जवाब तलाश लिया है. अमेरिका की बोस्टन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में इस बात का खुलासा किया है. रिसर्चर्स का कहना है कि इसकी वजह मैक्रोफेगस (Macrophages) नाम का इम्यून सेल है. वैज्ञानिकों ने इस रिसर्च को सेल रिपोर्ट्स नाम के जर्नल में प्रकाशित किया है. वैज्ञानिकों ने बताया है कि मेक्रोफेगस एक प्रकार के सफेद ब्लड सेल्स होते हैं , जो शरीर के इम्यून सिस्टम की सुरक्षा करते हैं. ये किसी वायरस या बैक्टीरिया से शरील की रक्षा करते हैं.
दैनिक भास्कर कि एक रिपोर्ट के मुताबिक, मेक्रोफेगसल बैक्टीरिया, डेड सेल्स (Dead cells)को पचा जाते हैं. इससे शरीर की इम्यूनिटी बनी रहती है. रिसर्च के मुताबिक, शरीर में कोरोना संक्रमण की प्रतिक्रिया को जानने के लिए वैज्ञानिकों ने एक मॉडल तैयार किया है. इसके जरिए वैज्ञानिकों ने लोगों के शरीर में कोरोना की हर स्टेज को मॉनिटर किया है. रिसर्च में शामिल डॉ. फ्लोरियन डोआम के मुताबिक, उन्होंने कई मरीजों के लंग्स में वायरस का हल्का प्रभाव देखा. इन मरीजों के लंग्स स्वस्थ थे. इसका कारण मैक्रोफेगस हो सकते हैं. ये दो प्रकार के होते हैं. पहला जो दवाओं पर सही प्रक्रिया देकर शरीर की रक्षा करता है और दूसरा शरीर में सूजन पैदा करते ऑर्गन को डैमेज करे.
लिवर और लंग्स में होते हैं मौजूद
वैज्ञानिकों के मुताबिक, मैक्रोफेगस, लंग्स, लिवर और सेंट्रल नर्वस सिस्टम में मौजूद होते हैं. तीनों ही जगह पर ये अलग-अलग प्रकार से प्रतिक्रिया देते हैं. इनकी प्रतिक्रिया के कारण खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस नष्ट हो जाते हैं. ये इम्यून सिस्टम को भी एक्टिव रखते हैं.
हर मरीज पर मैक्रोफेगस का असर क्यों नहीं
वैज्ञानिकों का मानना है कि मैक्रोफेगस की वजह से ही लंग्स खराब नहीं होते हैं. इनके जीन्स मरीजों को कोरोना के गंभीर लक्षणों से बचाते हैं, हालांकि हर संक्रमित मरीज पर मैक्रोफेगस का अच्छा प्रभाव क्यों नहीं होता या हर मरीज कि स्थिति संक्रमण के बाद सामान्य क्यों नहीं रह पाती. इस विषय पर वैज्ञानिक फिलहाल रिसर्च कर रहे हैं.
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