महिलाराज्य

पाम ऑयल के एक्सपोर्ट पर इंडोनेशिया ने लगाई रोक, अब और महंगा खाद्य तेल खरीदने के लिए रहिए तैयार

Edible Oil Price hike

गेहूं, चावल और अन्य अनाजों के भारत से रिकॉर्ड एक्सपोर्ट के बीच आयात के मोर्चे पर देश सामने एक बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है. पाम ऑयल (Palm Oil) के सबसे बड़े उत्पादक देश इंडोनेशिया ने इसके निर्यात पर रोक लगाने का एलान किया है. एक्सपोर्ट पर पूरी तरह रोक लगाने का यह आदेश 28 अप्रैल से लागू हो जाएगा. इंडोनेशिया की इस घोषणा के बाद भारत में खाद तेल (Edible Oil) की महंगाई में और आग लग जाएगी. अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि दोपहर में तीन बजे के आसपास इंडोनेशिया ने एक्सपोर्ट पर रोक लगाने की घोषणा की. इसके बाद भारतीय बाजार में तेल महंगा होने लगा. घोषणा से पहले प्रति 10 किलो पामोलिन का थोक भाव (Price) 1470 रुपये था, वो बढ़कर रात तक 1525 रुपये हो गया.

खाद्य तेलों के कारोबार पर बारीक नजर रखने वाले ठक्कर ने बताया कि भारत कच्चा पामोलिन इंडोनिशिया से जबकि तैयार पामोलिन यानी रिफाइंड मलेशिया से आयात (Import) करता है. हमारे कुल खाद्य तेल का करीब 65 फीसदी आयात इंडोनेशिया से होता है. इसलिए वहां से एक्सपोर्ट बंद होना हमारे उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय है. इसके बाद सरसों का दाम आसमान छुएगा, जो पहले से ही एमएसपी से ज्यादा रेट पर बिक रहा है. इसके अलावा मूंगफली, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल भी महंगे हो जाएंगे. अब मलेशिया दाम को लेकर मनमानी करेगा.

खाद्य तेलों की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर

भारत अभी खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर नहीं है. सरकार इस दिशा में काम कर रही है. खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार खाद्य तेलों की घरेलू मांग करीब 250 लाख टन है, जबकि उत्पादन महज 112 लाख टन के आसपास ही है. करीब 56 परसेंट के इस गैप को भरने के लिए हम दूसरे देशों से खाने वाले तेल को आयात करते हैं. इसके लिए हम सालाना करीब 70 हजार करोड़ रुपये दूसरे देशों को देते हैं. इसलिए इंडोनेशिया द्वारा पामोलिन का एक्सपोर्ट (Export) बंद करना भारतीय उपभोक्ताओं के लिए महंगाई के मोर्चे पर एक और झटका है. क्योंकि, इंडोनेशिया में पाम तेल संकट से भारत में खाद्य तेल की कीमतों में तेजी आ सकती है.

इंडोनेशिया ने क्यों बंद किया एक्सपोर्ट

ठक्कर ने बताया कि इंडोनेशिया ने एक्सपोर्ट पर रोक अपने घरेलू खाद्य तेलों के दाम पर नियंत्रण के लिए लगाया है. दुनिया में पाम तेल के सबसे बड़े उत्पादकों और निर्यातकों में से एक इंडोनेशिया में ताड़ के तेल की कमी से संबंधित बहुत अलग तरह का संकट है. इसकी कमी इतनी अधिक है कि इंडोनेशियाई सरकार को अपने यहां कीमतों को नियंत्रित करने के लिए पिछले कुछ महीनों में कड़े कदम उठाने पड़े हैं.

सबसे पहले उन्होंने 1 फरवरी को अपने यहां खाद्य तेलों का दाम निश्चित किया था. लेकिन फेल हो गए. फिर स्थानीय स्तर पर कीमतों को नियंत्रित करने के लिए निर्यातकों के लिए नियम कड़े किए. घरेलू बाजार में 20 प्रतिशत बेचना अनिवार्य कर दिया. मामला नहीं संभला तो कुल उत्पादन का 30 फीसदी घरेलू इस्तेमाल के लिए बेचने की बाध्यता कर दी. तभी अंदेशा था कि वो अब एक्सपोर्ट पर रोक लगा देगा. यह अनुमान सही निकला. इंडोनेशिया के फैसले के बाद भारत के बाजारों में अफरा तफरी का माहौल बन गया है.

सूरजमुखी और सोयाबीन पर भी संकट

ठक्कर ने बताया कि भारत सरकार यूक्रेन और रूस से सूरजमुखी तेल का आयात करती है. लेकिन इन दोनों देशों में चल रहे भीषण युद्ध की वजह से सूरजमुखी की आवक बहुत कम हो गई है. जबकि, अमेरिका, ब्राजील और अर्जेंटीना में सोयाबीन के उत्पादन में कमी का अनुमान लगाया गया है. ये सारे हालात खाद्य तेलों के और महंगा होने की ओर इशारा कर रहे हैं. संगठन ने सरकार से गेहूं, चावल की तरह खाद्य तेलों का भी बफर स्टॉक रखने का सुझाव दिया था. समय रहते इस पर अमल किया गया होता तो इंडोनेशिया के फैसले का ज्यादा असर नहीं पड़ता.

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