रक्षाबंधन की मीठी बातें – प्रज्ञान और सूर्यांशी के नाम
छोटे-से प्रज्ञान की कलाई पर जब सूर्यांशी ने रक्षासूत्र बाँधा,
उसमें न कोई दिखावा था, न कोई कहावत—बस मासूम सा वादा था।
सूर्यांशी बोली—”भैया, तुम छोटे हो, पर हमेशा मेरे साथ रहना”,
और प्रज्ञान ने हँसकर कहा—”दीदी, मैं तो तुम्हारी दुनिया हूँ, कभी न कहना ‘न’।”
न मिठाई की थाली बड़ी थी, न तिलक की रीत,
पर उन नन्हें हाथों में बंधी राखी ने दिलों को दिया प्रेम का गीत।
राखी केवल धागा नहीं, विश्वास का नाम है,
प्रज्ञान और सूर्यांशी की जोड़ी हर घर की मुस्कान है।
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🎁 शुभकामनाएं:
ईश्वर करे प्रज्ञान और सूर्यांशी का रिश्ता हमेशा प्यार, मासूमियत और हँसी से भरा रहे। रक्षाबंधन की बहुत-बहुत बधाई! 🎉💖
