हिन्दी दिवस –
हिन्दी दिवस पर सभी देशवासियों को प्रणाम ! 14 सितंबर 1949 को हिन्दी को राजभाषा के रूप में अपनाए जाने के सम्मान में हम हिंदी दिवस मनाते हैं। इस हिंदी दिवस पर हम हिन्दी की भूमिका को पहचानें और सही से उसको सराहें ।हिन्दी जो हमें जोड़ती है और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करती है। हिन्दी राष्ट्र भाषा (भारत) की हरियाली हैं । हिन्दी में पाँव के लिए हम कहते है कि छू लो तो चरण , अड़ा दो तो टाँग , धँस जाए तो पैर , आगे बढ़ाना हो तो क़दम , राह में चिह्न छोड़े तो पद , प्रभु के हों तो पाद , बाप की हो तो लात , गधे की पड़े तो दुलत्ती , घुंघरू बाँध दो तो पग , खाने के लिए टंगड़ी , खेलने के लिए लंगड़ी आदि – आदि । वह पैर शब्द को हम हिन्दी में गहराई से और समझे तो इसमें सूख – दुःख सहित विस्तृत सार भी हैं जों हम आम बोल – चाल में कहते भी हैं । वह पैर को गति , चलना , पाद , चरण , क़दम , पग , पदचिन्ह , लात ,टँगड़ी , अँगडी़ , टाँग , पाँव , अपनी क्षमतानुसार चलना , अपनी क्षमतानुसार पाँव पसारना , समय के चक्र का चलना , समय अनुसार स्वयं चलना , दौड़ना आदि – आदि हम अपने सुविधानुसार कहते है । इस एक उदाहरण से हम यह समझ सकतें हैं कि हिन्दी कितनी नायाब है वह उसके एक शब्द के कितने – कितने अर्थ हैं । वह लेखन में हम हिन्दी को और सही से समझ सकतें हैं कि हम किसी भी काम,क्षेत्र में विजयी होंगे या पराजित,सफल या असफल यह पूरी तरह से हमारें पर निर्भर है । हम यदि सोचोगे और अपने मन में यह विश्वास करेगे कि आप जीत जाओगे,तो यकीन मानिए कि जीत आपकी ही होगी, आपको जीतने से कोई नहीं रोक सकता कोई भी नहीं लेकिन इसके विपरीत यदि आप सोचोगे और यह मानकर चलोगे कि यह काम मुश्किल है और मैं हार जाऊँगा तो आपको हारने से कोई नहीं रोक सकता हैं । वह इतिहास के महान से महान काम इंसान की इसी सोच पर हुए हैं क्योंकि सफलता और असफलता की कहानी पहले हमारे मन में लिखी जाती है और बाद में वो साकार रूप लेती है। वह इसी तरह हिंदी में मात्रा का बड़ा महत्व है । जैसे- ( अ) मैं अभिभूत हूँ । ( ब) मैं अभी भूत हूँ । अतः हम हिंदी में व्यवहार करें । हिंदी का मान करें । हिंदी राष्ट्रभाषा है । हिंदी पर अभिमान करें । इन्हीं भावों से हिंदी दिवस की शुभकामनाएं वह मंगलकामनाएं ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
हिन्दी दिवस –
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