बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता, निर्माता और निर्देशक विजय आनंद (Vijay Anand ) उर्फ गोल्डी की आज जयंती है. विजय आनंद का एक परिचय यह भी है कि वे दिग्गज अभिनेता देव आनंद के छोटे भाई थे। देव आनंद (Dev Anand )के सुपरहिट करियर में भाई विजय आनंद की बहुत बड़ी भूमिका रही है। विजय आनंद ने ‘काला बाजार’, ‘तेरे घर के सामने’, ‘गाइड’, ‘ज्वेल थीफ’, ‘जॉनी मेरा नाम’, ‘तेरे मेरे सपने’ और ‘कोरा कागज’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों का निर्माण किया। अपनी फिल्मों की बदौलत विजय आनंद ने दर्शकों के बीच खास जगह बनाई। फिल्म और एक्टिंग के अलावा वह अपनी पर्सनल लाइफ की वजह से भी सुर्खियों में रहे। खासतौर पर अपनी शादी को लेकर उन्हें काफी विवादों का सामना करना पड़ा। आइए जानते हैं इनके बारे में…
विजय आनंद का जन्म 22 जनवरी को पंजाब के गुरदासपुर में हुआ था। विजय आनंद महज सात साल के थे जब उनकी मां का निधन हो गया। उनका पालन-पोषण उनके बड़े भाई और भाभी की देखरेख में हुआ। जब विजय आनंद अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी कर रहे थे, तब तक उनके बड़े भाई देव आनंद और चेतन आनंद बड़े नाम बन गए थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद विजय आनंद ने इंडस्ट्री में भी कदम रखा। आपको बता दें कि विजय आनंद ने मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली है. विजय आनंद जब कॉलेज में थे, तब उन्होंने अपनी भाभी उमा आनंद के साथ मिलकर एक स्क्रिप्ट लिखी थी। इसी स्क्रिप्ट पर बाद में एक फिल्म भी बनी, जिसे लोग ‘टैक्सी ड्राइवर’ के नाम से जानते हैं। चेतन आनंद द्वारा निर्मित यह फिल्म वर्ष 1954 में रिलीज हुई थी, जबकि देव आनंद फिल्म के निर्माता और अभिनेता थे। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया, जिसके बाद फिल्म उद्योग के बारे में विजय आनंद की समझ में सुधार हुआ।
विजय आनंद ने थ्रिलर, रोमांटिक, कॉमेडी से लेकर फैमिली ड्रामा तक की फिल्में बनाई हैं। उन्होंने सिनेमा की दुनिया में खुद को अच्छी तरह से स्थापित किया। हालांकि, वह अपनी निजी जिंदगी को लेकर विवादों में रहे। दरअसल, विजय आनंद ने सुषमा कोहली से शादी की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुषमा कोहली रिश्ते में विजय आनंद की भतीजी लगती थीं। उन्होंने अपनी ही बहन की बेटी से शादी की थी, जो उस समय काफी विवादों में रही थी। एक बार सुषमा कोहली ने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में अपनी शादी को लेकर कई दिलचस्प बातें शेयर की थीं। उन्होंने कहा कि गोल्डी और मेरी शादी साल 1978 में हुई थी। जब हमारी शादी हुई तो फिल्म ‘राम बलराम’ की शूटिंग चल रही थी। उन्हें मेरी सादगी पसंद आई। मैं उनका मिजाज समझ गया। मैं समझ गया कि वे जल्दी गुस्सा नहीं होते। मैं वह था जिसे आसानी से गुस्सा आ जाता था। मैं और पागल हो गया था। मैं जानबूझकर उन्हें नाराज़ करने के लिए कुछ चीज़ें करता था। कभी उन्होंने मुझे संभाला, कभी मैंने उन्हें.’ विजय आनंद के करियर की बात करें तो उन्होंने ‘हकीकत’, ‘कोरा कागज’, ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ जैसी फिल्मों में बतौर हीरो काम किया। एक समय था जब विजय आनंद तनाव के शिकार थे, जिसके बाद वे कुछ दिनों के लिए ओशो की शरण में चले गए। उन्होंने ओशो से आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की। 23 फरवरी 2004 को दिल का दौरा पड़ने से विजय आनंद का निधन हो गया।