नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कथित आबकारी भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई (CBI) ने शुक्रवार को उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के घर पर 14 घंटे से अधिक समय तक रेड कर तलाशी ली। सीबीआई ने दिल्ली के डिप्टी सीएम (Deputy CM Manish Sisodia) के घर के अलावा सात राज्यों के करीब 31 अन्य ठिकानों पर भी रेड किया। मनीष सिसोदिया ने रेड के बाद बताया कि सीबीआई ने उनकी मोबाइल व कंप्यूटर को जब्त कर लिया है। हालांकि, डिप्टी सीएम ने केंद्र सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। आम आदमी पार्टी की सरकार के अच्छे काम कभी नहीं रुकेंगे।

उप राज्यपाल ने की थी सीबीआई जांच की सिफारिश
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पिछले महीने मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट के बाद नई शराब नीति में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। आरोप है कि राजनीतिक नेताओं को फायदा पहुंचाने के लिए शराब की दुकान के लाइसेंस निजी खिलाड़ियों को सौंपे गए।
बुधवार को दर्ज किया गया एफआईआर
सीबीआई ने आबकारी भ्रष्टाचार मामले में बुधवार को एफआईआर दर्ज किया है। अपने एफआईआर में सीबीआई ने दावा किया है कि एक शराब व्यापारी ने सिसोदिया के एक सहयोगी द्वारा प्रबंधित कंपनी को ₹ 1 करोड़ का भुगतान किया है। एफआईआर में नामजद 15 लोगों की लिस्ट में वह नंबर वन हैं।
नई शराब नीति को लेकर लगे थे करप्शन के आरोप
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर शुक्रवार सुबह CBI की टीम ने रेड किया। सिसोदिया के अलावा तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्ण के घर पर भी CBI ने रेड डाला था। CBI दिल्ली की विवादास्पद नई एक्साइज पॉलिसी की जांच कर रही है। हालांकि, दिल्ली सरकार ने बीते दिनों नई एक्साइज पॉलिसी को वापस ले लिया था। हाल में मुख्य सचिव नरेश कुमार ने एलजी को एक रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें कहा गया कि नई एक्साइज पॉलिसी के जरिये शराब लाइसेंसधारियों को फायदा पहुंचाया गया। रिपोर्ट में सीधे तौर पर मनीष सिसोदिया के नाम का जिक्र किया गया है।
2020 में दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति लाने की बात कही थी। मई 2020 में दिल्ली सरकार विधानसभा में नई शराब नीति लेकर आई, जिसे नवंबर 2021 से लागू कर दिया गया था। जांच रिपोर्ट में 4 नियमों-GNCTD अधिनियम 1991,व्यापार नियमों के लेनदेन (TOBR)-1993,दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम-2010 तोड़कर करप्शन करने का आरोप लगा है।
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