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आरटीआई में डुप्लिकेट शिकायतों और अपीलों को समाप्त करने के प्रयास: एक नागरिक की अपील

लखनऊ, 24 अगस्त,2024 – लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी सजग नागरिक
संजय शर्मा ने बीते स्वतंत्रता दिवस पर एक महत्वपूर्ण पत्र भेजा है
जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश सूचना आयोग और अन्य प्रमुख अधिकारियों से
आरटीआई (सूचना का अधिकार) अधिनियम में आवश्यक सुधारों की अपील की है।
उनका यह पत्र एक ऐसी चिंता को उजागर करता है जो न केवल उत्तर प्रदेश
बल्कि पूरे देश की राज्य और केंद्रीय सूचना आयोगों के कामकाज को प्रभावित
कर सकती है।

पत्र का सारांश और मुद्दा

शर्मा ने अपने पत्र में बताया है कि कुछ आरटीआई आवेदक एक ही आरटीआई आवेदन
पर एक साथ या लगातार शिकायत और दूसरी अपील दायर कर रहे हैं। यह प्रक्रिया
न केवल सूचना आयोग को अतिरिक्त कार्यभार देती है, बल्कि न्याय और कानूनी
सिद्धांतों पर भी सवाल उठाती है। शर्मा का कहना है कि यह व्यवहार, जो एक
ही मुद्दे पर शिकायत और अपील दोनों की समानांतर फाइलिंग को लेकर है, भारत
के संविधान के अनुच्छेद 20 (2) में दिए गए दोहरी सजा (Double Jeopardy)
के सिद्धांत, जो कि nemo debet bis vexari pro una et eadem causa—no
one ought to be twice vexed for one and the same cause के सिद्धांत पर
आधारित है, का उल्लंघन करता है।

प्रस्तावित सुधार

शर्मा ने इस समस्या के समाधान के लिए तीन प्रमुख सुधारों की सिफारिश की
है। पहली शिफारिश में शर्मा ने अनुरोध किया है कि सूचना आयोग सभी उन
शिकायतों को तुरंत खारिज कर दे जो ऐसे आरटीआई आवेदन पर दायर की गई हैं
जिन पर अपील आयोग में दर्ज है। यह कदम आयोग के संसाधनों की बर्बादी को
रोकने और मामलों के त्वरित समाधान में मदद करेगा। शर्मा की दूसरी शिफारिश
है कि शिकायतों के खारिज़ी आदेशों में एक स्पष्ट चेतावनी शामिल की जाए जो
आरटीआई आवेदकों को सूचित करे कि समान मुद्दे पर शिकायत और अपील दायर करना
अनावश्यक है और इससे उन पर दंड भी लग सकता है। यह चेतावनी दुरुपयोग को
रोकने में सहायक होगी। इसके साथ ही शर्मा ने ऑनलाइन शिकायत और अपील
सबमिशन प्रक्रिया में एक अनिवार्य शपथ पत्र जोड़ने की सिफारिश की है और
शपथ के मिथ्या पाए जाने पर शपथकर्ता के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग
की है। इस शपथ पत्र के तहत आवेदकों को यह पुष्टि करनी होगी कि उन्होंने
एक ही आरटीआई आवेदन पर एक से अधिक प्रकार की कार्यवाही दायर नहीं की है।
राष्ट्रीय प्रभाव

यदि ये सुधार लागू होते हैं, तो इसका प्रभाव न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि
पूरे भारत के सूचना आयोगों पर पड़ेगा। इन सुधारों से आयोगों की
कार्यक्षमता में सुधार होगा, शिकायतों और अपीलों की बेतहाशा संख्या में
कमी आएगी, और न्याय प्रणाली की पारदर्शिता और प्रभावशीलता में वृद्धि
होगी।

निष्कर्ष

शर्मा का पत्र एक महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित करता है और
सूचना आयोगों से प्रभावी कार्रवाई की अपेक्षा करता है। यदि इन सिफारिशों
को गंभीरता से लिया जाता है और लागू किया जाता है, तो यह आरटीआई प्रणाली
को एक नई दिशा देने और इसे अधिक न्यायपूर्ण और पारदर्शी बनाने में मदद
करेगा।

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