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Farrukhabad News: वन विभाग और पुलिस कमीशन के चक्कर मे खुलेआम कटवा रहे हरे पेड़

इनायतनगर के बाद अब सुल्तनापुर में काटे गए हरे दर्जनों पेड़
-रात के अंधेर में पेड़ों पर चलते आरे, सोता रहा वन विभाग, नहीं लगी भनक, रेंजर बोले करेंगे कार्रवाई ।

कायमगंज /फर्रुखाबाद। प्रक्रति बचाने को सरकार लाखों करोड़ों पेड़ लगवा रही है लेकिन फर्रुखाबाद में अन्य जनपदों की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही हरे पेड़ काटे जा रहे है। आखिर इस काम को अंजाम देने के लिए कौन मेहरवान है। जो सरकार को ही पलीता लगा रहा है। वह दरोगा की जिम्मेदारी बनती हैं पेड़ कटान रोकना, वह अपने उच्च अधिकारियों को अवगत कराएं! लेकिन

सुल्तानपुर गांव में आम के बाग में करीब एक दर्जन से अधिक हरे पेड़ रात के अंधेरे में काट लिए गए। इसकी जड़े गवाह है। इनायतनगर में हरे पेड़ों के कटान के बाद एक सप्ताह में यह दूसरा मामला है। वन विभाग आंखे मूंदेे है और जुर्माने की कार्रवाई कर अपना पल्ला झाड़ लेता है। मामला वन विभाग के रेंजर तक पहुंचने पर जांच के निर्देश दिए गए है।
कायमगंज, शमसाबाद क्षेत्र में हरे पेड़ों का कटान पिछले माह से बेहद बढ ग़ई है। बरसात के मौसम में जहां शासन पौधरोपित के लिए युद्वस्तर पर लगा है लेकिन लकड़ी माफिया हरियाली को उजाड़ने से बाज नहीं आ रहे है। अभी हाल ही में भीषण गर्मी से सभी को पौधरोपण की याद आई थी। तापमान से आमजन मानस का बुरा हाल हो गया है। हाल यह था सुबह से ही तापमान अभी चरम सीमा पर था। हीट स्ट्रोक के मामले बढ़ने लगे थे। दो दिन पहले इनायतनगर में चार बाग में करीब एक दर्जन से अधिक पेड़ काटे गए थे।
मामला वन विभाग के संज्ञान में होने के बाद भी कठोर कार्रवाई नहीं की गई और लकड़ी माफियाओं के हौसले बुलंद हो गए और उन्होंने अबकी बार शमसाबाद के सुल्तनापुर में एक बाग में रात के अंधेरे में एक दर्जन से अधिक पेड़ काट लिए। इसकी जड़े व अधकटे पेड़ गवाह है। ग्रामीण भी दबी जुवान से बताते है रातभर शोर हुआ। बार बार टैक्टर ट्रालियां लकड़ी भर कर निकली लेकिन रातभर लकड़ी कटती रही और वन विभाग सोता रहा। उसने कोई भनक नहीं लगी। वन विभाग मामूली जुर्माना लगाकर पल्ला झाड़ लेता है। इनायतनगर के बाद दूसरा मामला सुल्तनापुर का सामने आने पर मामला उच्चाधिकारियों तक पहुंचा है। इस संबंध में वन विभाग के रेंजर राजेश कुमार ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। वह जांच कर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेेगे।

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