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Madhya Pradesh: मात्र कुछ इंच के बेस पर पर खड़ा है ‘Balancing Rock’, 6.2 तीव्रता वाले भूकंप का भी नहीं हुआ कुछ असर

admin
Last updated: मार्च 29, 2022 9:10 अपराह्न
By admin 7 Views
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Balancing Rock

मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में स्थित ग्रेनाइट (Granite) चट्टानों की पहाड़ियां न केवल जबलपुर बल्कि विश्व पटल पर विख्यात हैं. मदन महल पहाड़ी पर स्थित बैलेंसिंग रॉक (Balancing Rock) एशिया के तीन बैलेंस रॉक में शामिल है. ये तीनों भारत में ही हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि बैलेंसिंग रॉक के नाम से दुनिया जबलपुर को जानती है. जबलपुर में एक ऐसा ही पत्थर है जो अपनी बनावट को लेकर चर्चा में बना रहता है. इसे बैलेंसिंग रॉक कहा जाता है. कई क्विंटल वजनी ये पत्थर महज कुछ इंच के बेस से अपनी जगह पर खड़ा है. इसका बैलेंस ऐसा है कि बड़े से बड़े भूकंप (Earthquake) के झटके भी इसे आज तक हिला नहीं पाए.

Contents
1997 के भंकूप के झटकों का भी नहीं पड़ा असर“गुरुत्वाकर्षण बल के कारण टिकी हुई है चट्टान”

दरअसल आज भी लोगों के बीच रहस्य बना हुआ है कि इतने कम बेस पर ये पत्थर इतनी मजबूती से कैसे टिका हुआ है. इसी रहस्य को देखने के लिए यहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. कई विशेषज्ञों ने भी इसके रहस्य को सुलझाने की कोशिश की है. लेकिन उनका जवाब यही होता है कि यह पत्थर गुरुत्वाकर्षण बल के कारण टिका हुआ है. जबलपुर शहर ग्रेनाइट चट्टानों के लिए काफी फेमस हैं. इन्हीं चट्टानों के बीच में स्थित मदन महल की पहाड़ियों पर रानी दुर्गावती का किला है. रानी दुर्गावती के किले के पास ही बैलेंस रॉक स्थित है. यहां पर एक बड़ी सी चट्टान के ऊपर एक दूसरी चट्टान रखी हुई है. इसे देखने से ऐसा लगता है जैसे ये किसी भी वक्त गिरने वाली है. मगर यह कई सालों से इस स्थिति में रखी हुई है. इस बैलेंस रॉक को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं.

1997 के भंकूप के झटकों का भी नहीं पड़ा असर

साल 1997 में 22 मई को भूकंप आया था. जिसने जबलपुर में भारी तबाही मचाई थी. उस दौरान कई इमारत भूकंप के झटकों से जमींदोज हो गई थी. कई जानें भी गई थीं, लेकिन पूरे शहर में एक बैलेंसिंग रॉक ही था, जिस पर भूकंप के झटकों का कोई असर नहीं पड़ा था. 1997 में आए भूकंप की तीव्रता 6.2 थी. लेकिन यह पत्थर अपने स्थान से हिला तक नहीं था. यही वजह है कि इसे बैलेंसिंग रॉक कहा जाता है और लोगों के बीच हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है.

“गुरुत्वाकर्षण बल के कारण टिकी हुई है चट्टान”

इसके बारे में पुरातत्वविद का कहना है कि ये चट्टानें मैग्मा के जमाने से निर्मित हुई होंगी. जबलपुर के आसपास के इलाकों में कई बैलेंसिंग रॉक हैं. पुरातत्वविद ये भी मानते हैं कि भूकंप के लिहाज से जबलपुर काफी संवेदनशील क्षेत्र है. ऐसे में कुछ लोग ये भी मानते हैं कि ये चट्टान गुरुत्वाकर्षण बल के कारण यहां टिका हुआ है. यहां पर इन दिनों पर्यटक घूमने नहीं निकल रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद टीवी9 की टीम को यहां कोटा राजस्थान से आए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के रिटायर चीफ मैनेजर एचपी महावत और अहमदाबाद गुजरात से सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के चीफ मैनेजर नरेंद्र सिंह सिकरवार मिले. उन्होंने बताया कि इंटरनेट पर उन्होंने जबलपुर के बैलेंस रॉक के बारे में काफी कुछ सुना था इसलिए वे यहां आकर इसे देखना चाहते थे उनका मानना है कि यह ब्रिटेन के स्क्वेयर स्टोन से भी खूबसूरत जगह है.

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बहरहाल प्रकृति का यह नायब तोहफा जबलपुर को अनजाने में ही मिला है. लेकिन ऐसा लगता है कि जबलपुर इसे सहेज नहीं पा रहा प्रकृति की धरोहर सरकारी रिकार्डो में किसी की निजी जमीन बताई गई है. क्योंकि यह पत्थर यहां पर है, इसलिए इसके कुछ हिस्से को बाउंड्री बनाकर बचाया गया है, बाकी जगह पर काले पत्थरों को तोड़ दिया गया है. जमीन समतल कर दी गई है और कंक्रीट के जंगल बना दिए गए है.

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