अवैध सेक्स क्लिनिक को संरक्षण देने वालों पर गरजे संजय शर्मा, उच्च
स्तरीय जांच की मांग
राजनीतिक संरक्षण और विज्ञापन के लालच में अखबारों द्वारा अवैध सेक्स
क्लिनिक को बढ़ावा देने का गंभीर आरोप
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लखनऊ / रविवार, 16 मार्च 2025 : पारदर्शिता, जवाबदेही, मानवाधिकार और
क़ानूनी अधिकारों के लिए संघर्षरत कार्यकर्ता संजय शर्मा ने एक बार फिर
बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने लखनऊ के इंदिरानगर में संचालित “रॉयल
हर्बल क्लिनिक” नामक सेक्स क्लिनिक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि यह
क्लिनिक अनैतिक और अवैध रूप से कार्य कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद इसे
राजनीतिक संरक्षण और मीडिया संस्थानों का समर्थन मिल रहा है।
बताते चलें कि शर्मा की शिकायत पर क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी
अधिकारी लखनऊ डा. राज कुमार यादव ने इस सेक्स क्लिनिक की जांच के लिए एक
समिति https://tahririndia.blogspot.com/2025/03/blog-post.html का गठन
कर दिया है जो इस क्लिनिक की जाँच करेगी.
शर्मा का कहना है कि उनको बताया गया है कि इस अवैध क्लिनिक को समाजवादी
पार्टी से जुड़े कुछ राजनेताओं का आशीर्वाद प्राप्त है, जो इसे कानूनी
शिकंजे से बचाने में मदद कर रहे हैं। संजय शर्मा ने और इस सम्बन्ध में
उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग को लेकर प्रमुख सचिव, उत्तर प्रदेश
विधानसभा और सूचना विभाग के अधिकारियों को भी शिकायतें भेजने की बात कही
है ।
ग़लत विज्ञापनों के ज़रिए जनता को गुमराह करने का आरोप
संजय शर्मा ने इस क्लिनिक को बढ़ावा देने वाले कुछ समाचार पत्रों पर भी
निशाना साधा है । उन्होंने आरोप लगाया कि कई अखबारों ने इस क्लिनिक के
पक्ष में भ्रामक और गुमराह करने वाले विज्ञापन प्रसारित किए हैं, जिससे
आम जनता धोखे का शिकार हो रही है।
“ऐसे कई समाचार पत्र हैं जो विज्ञापन के लालच में इस अवैध क्लिनिक का
प्रचार कर रहे हैं। इन विज्ञापनों में झूठे दावे किए जाते हैं और जनता को
गुमराह किया जाता है। यह सिर्फ़ एक वाणिज्यिक धंधा बन चुका है, जिसमें
जनता के स्वास्थ्य और कानून का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है,” संजय
शर्मा ने कहा।
राजनीतिक संरक्षण में फल-फूल रहा है अवैध क्लिनिक
शर्मा ने आरोप लगाया है कि यह क्लिनिक समाजवादी पार्टी से जुड़े कुछ
प्रभावशाली नेताओं के समर्थन से संचालित हो रहा है, जिसके चलते प्रशासन
इस पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि इस तरह के क्लिनिक
न केवल कानून का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि समाज को नैतिक रूप से दूषित
करने का कार्य भी कर रहे हैं।
“ऐसे क्लिनिक झूठे वादे कर भोले-भाले लोगों से पैसे ऐंठते हैं और
स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हैं। समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं के समर्थन
से यह धंधा खुलेआम फल-फूल रहा है। अगर इसे रोका नहीं गया, तो आने वाले
समय में यह एक गंभीर सामाजिक समस्या बन सकता है,” उन्होंने कहा।
उच्च स्तरीय जांच की मांग, सूचना विभाग से हस्तक्षेप की अपील
संजय शर्मा ने इस मुद्दे को उत्तर प्रदेश विधानसभा और सूचना विभाग के
समक्ष उठाकर इस क्लिनिक और इसे समर्थन देने वाले समाचार पत्रों के खिलाफ
कड़ी कार्रवाई की मांग उठाने की बात कही है ।
उनका कहना है कि सूचना विभाग को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करना
चाहिए और उन समाचार पत्रों की जांच करनी चाहिए, जो पैसों के लालच में
अवैध क्लिनिकों का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। इसके साथ ही, उन्होंने
उत्तर प्रदेश सरकार से अपील की है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच
कराई जाए ताकि इस प्रकार के ग़ैर-क़ानूनी और अनैतिक कार्यों पर रोक लगाई
जा सके।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल, क्या होगी कड़ी कार्रवाई?
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर
कोई ठोस कार्रवाई करेगा? क्या समाजवादी पार्टी से जुड़े लोगों की भूमिका
की जांच होगी? और क्या सूचना विभाग उन अखबारों के खिलाफ कोई कार्रवाई
करेगा जो इस अवैध क्लिनिक का प्रचार कर रहे हैं?
संजय शर्मा का कहना है कि यदि जल्द ही इस मामले में कार्रवाई नहीं हुई,
तो वे इसे न्यायालय और मानवाधिकार आयोग के समक्ष भी ले जाएंगे।
निष्कर्ष
यह मामला यह दिखाता है कि कैसे राजनीतिक संरक्षण और मीडिया की अनैतिक
गतिविधियों के चलते ग़ैर-क़ानूनी क्लिनिकों को फलने-फूलने का अवसर मिलता
है। अब यह देखना होगा कि क्या सरकार इस मामले को गंभीरता से लेगी और
दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी या फिर यह मामला भी अन्य शिकायतों
की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।