जौनपुर महोत्सव 2025: स्थानीय कलाकारों के उम्दा प्रदर्शन से मुख्यमंत्री हुए भावुक
# 1001 वर-वधू की जोड़ी का सामूहिक विवाह करवाकर पितृतुल्य दायित्व निभाए और मंगल आशीर्वाद प्रदान किए
@ डॉ दिनेश चंद्र सिंह, आईएएस, डीएम, जौनपुर जनपद
किसी भी जनपदीय महोत्सव का अपना महत्व होता है, क्योंकि इससे उसके आंतरिक और बाह्य सौंदर्य को प्रदर्शित करने का शानदार मौका मिलता है। इसमें सभी तरह के लोगों को प्रतिनिधित्व करने का अवसर भी मिलता है। इस नजरिए से जौनपुर जनपद में 10, 11 और 12 मार्च 2025 को आयोजित तीन दिवसीय “जौनपुर महोत्सव” अपनी सम्पूर्णता, पूर्णत: भव्यता, दिव्यता और अपने उद्देश्य की गरिमामयी मर्यादा के साथ संपन्न हुआ। दरअसल किसी भी महोत्सव की रूपरेखा को उसके विचार रचना, कार्य योजना और प्रबंधकीय व्यवस्था के साथ साथ महोत्सव की सामाजिक, आर्थिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक उपादेयता की कसौटी पर भी परखा जाता है।
इस दृष्टि से ऐतिहासिक महत्ता वाला जौनपुर महोत्सव 2025 की पृष्ठभूमि में अपने जनपद की अतीत कालीन, ऐतिहासिक सभ्यता, भव्यता और समृद्धि की आन, वान, शान को प्रदर्शित करने वाली उस संस्कृति का अभिन्न अंग रहा, जिसे शिक्षा का सिराज कहा जाता है। अर्थात सिराज-ए-हिन्द जौनपुर, और महोत्सव स्थल का चयन माननीय मंत्री श्री गिरीश चन्द यादव की अतीत की सांस्कृतिक विरासत का वर्तमान की पीढ़ियों के मानसिक मनोभाव से जोड़ने की दृष्टि से ऐतिहासिक इमारत “शाही किला” का चयन किया जाना अपने आपमें जौनपुर महोत्सव 2025 की सफलता की स्वमेव इबारत लिखता है।
जौनपुर महोत्सव 2025 में हमारा प्रयास था कि जौनपुर जनपद के स्थानीय कलाकार को प्रतिष्ठित मंच मिले और उनको अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का सुयोग्य अवसर भी मिले। क्योंकि बिना प्रतिष्ठित मंच के जिले के किसी भी कलाकार को प्रसिद्धि मिलना बहुत अधिक कठिन हो जाता है। इसलिए जौनपुर महोत्सव में तकरीबन एक हजार (1000) स्थानीय कलाकारों, छात्रों (छात्र-छात्राओं), प्यारे बच्चों को मंच मिला। और आप सभी ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। यह जौनपुर महोत्सव की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
निःसन्देह कर्तव्यनिष्ठा पूर्वक की गई साधना, परिश्रम, प्रयास और संघर्ष कभी भी किसी की राह को रोक नहीं सकता। जिसने भी कर्म किया और अपने कर्म को साधना, संघर्ष और परिश्रम की चाशनी में चढ़ाकर लक्ष्य केन्द्रित कार्य करने का मन बनाया, वह अवश्य सफल हुआ। इसी कड़ी में बेसिक शिक्षा परिषद की प्राइमरी स्कूल की कक्षा-5 की छात्रा दीपिका विश्वकर्मा एक मिशाल के तौर पर उभरी हैं। उसने जिस मनोयोग और साहस के साथ रश्मिरथी के तृतीय सर्ग का वाचन किया, वह अद्भुत लगा।
इससे भावविभोर हुए तपस्वी, संन्यासी, कर्मनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ, धर्मनिष्ठ, भारतीय संस्कृति के देदीप्यमान सियासी नक्षत्र, प्रखर और अखण्ड आत्मविश्वास के धनी, साहसी युग पुरूष श्री युत योगी आदित्यनाथ जी, मा. मुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश सरकार के सम्मुख उस प्यारी सी बच्ची दीपिका विश्वकर्मा ने जिस भाव से कंठस्थ पाठ सुनाया, उसे देखकर माननीय मुख्यमंत्री जी ने हृदय से बच्ची को आशीर्वाद प्रदान किया। यह जौनपुर महोत्सव 2025 की सफलता का उत्कृष्ट चरम विंदु है। अन्यथा अन्य महोत्सवों में महँगे आमंत्रण कार्ड को छपवाकर बड़े-बड़े व्यक्तियों को निमंत्रण दिया जाता है।
परंतु जौनपुर महोत्सव में न महंगे कार्ड बांटे गए और न ही महंगे कलाकारों को बुलाकर मंच दिया गया, बल्कि लगभग सब कलाकार स्थानीय थे। जैसे बॉलीवुड सिंगर वरदान भी स्थानीय, डिम्पल सिंह भी क्षेत्रीय स्थानीय या सरदार जसवीर सिंह बहराइची भी क्षेत्रीय स्थानीय और मध्यम दर्जे के बड़े कलाकार थे। हालांकि, इन सबसे बढ़कर और प्रखरता के साथ आल्हा-ऊदल के रूप में श्री फौजदार सिंह द्वारा जिस प्रकार स्थानीय भाषा, स्थानीय रीति रिवाज के आल्हा की शानदार प्रस्तुति स्थानीय पृष्ठभूमि में समसामयिक विषयों को आधार बनाकर प्रस्तुत की, वह अत्यंत प्रेरणादायक एवं आकर्षक लगी।
खासतौर से कक्षा 5 की छात्रा दीपिका विश्वकर्मा की रश्मिरथी के तृतीय सर्ग की प्रस्तुत पंक्तियां, जिसमें न्याय और भगवान कृष्ण की प्रखर शक्ति का उल्लेख है। तथा जब नाश होने की शुरुआत होती है तो कैसे मनुष्य विवेकशून्य हो जाता है, इसकी मार्मिक अभिव्यक्ति की गई है-
“सच है विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
शूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
कांटों को राह बनाते हैं।
मैत्री की राह बताने को,
सबको सुमार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को,
भीषण विध्वंस बचाने,
भगवान हस्तिनापुर आए,
पांडव का संदेशा लाए।
दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पांच ग्राम,
रखो अपनी धरती तमाम,
हम वही खुशी से खाएंगे,
परिजन पर असी न उठाएंगे।
दुर्योधन वह भी दे न सका,
आशीष समाज का ले न सका,
उल्टे हरि को बांधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला,
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।
हरि ने भीषण हुंकार किया
नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर!
शत कोटि सूर्य शत कोटि चन्द्र
शत कोटि सरित, सर सिंधु मन्द्र।
वस्तुतः दीपिका विश्वकर्मा नामक बच्ची के मुख से उच्चरित यह कविता पाठ मानो स्वयं भगवान कृष्ण के प्रतिनिधि के रूप में खड़े कलियुग के प्रतापी संत, संन्यासी, धर्म, कर्म, अध्यात्म के प्रतीक, प्रखर प्रकाश पुंज, अजस्र ऊर्जा के संवाहक योगी आदित्यनाथ जी, माननीय मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश सुन रहे थे और विचार में निमग्न थे। आखिर कैसे सभी को न्याय दिलाने के लिए और ऐतिहासिक शाही किला की प्राचीर से विकास को गति देने एवं कानून व्यवस्था को मजबूती देने के लिए मैं स्वयं उस क्षण को प्रशासनिक कौशल की दृष्टि से अनुभूति कर रहा था और इसीलिए इसे अभिव्यक्त भी कर रहा हूँ।
निःसन्देह जौनपुर महोत्सव 2025, अपने केंद्रित लक्ष्य के अनुरूप स्थानीय कलाकारों की प्रतिभा को उड़ान देने का मंच बना। निश्चित रुप से यह मील का पत्थर बना। कोई कार्यक्रम अपने उद्देश्य को लेकर चलता है और उसका परिणाम कैसा रहा, यह उसकी सफलता का परिचायक है। जौनपुर महोत्सव 2025 में जिस भाव से निर्धन कन्याओं के पाणिग्रहण संस्कार का कार्यक्रम मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत संपादित हुआ, यह इस सफल आयोजन की सबसे मार्मिक पल था और सभी अत्यंत प्रसन्नचित्त भाव से 1001 कन्याओं के पाणिग्रहण संस्कार को देखकर अतीत के सीता स्वयंवर की स्मृतियों को याद कर रहे थे, जैसे राजा जनक के रूप में स्वयं 1001 कन्याओं के कन्यादान का गुरुतर दायित्व शाही किले पर स्वयं योगी जी निर्वहन कर रहे थे। उनके मन में यह दृढ़ विश्वास है कि उत्तरप्रदेश उत्कृष्ट प्रदेश है, इसलिए वर-वधु निश्चित रूप से अपने जीविकोपार्जन के माध्यम से खुद को व अपने परिवार को स्वस्थ एवं समृद्ध रखेंगे और सबकुछ ठीक रखेंगे।
वस्तुतः यह बड़ी मार्मिक घड़ी थी। अश्रुपूर्ण आँखों से सभी उन दृश्यों को देख रहे थे और मन ही मन कह रहे थे कि जय हो, जय हो, वर-वधू खुश रहे, ऐश्वर्यवान रहे। यहां सीता जी की विदाई के समय, माता-पिता के हृदय से निकलने वाली विरह और ममता से भरी कुछ पंक्तियाँ बरबस स्मरण हो जाती हैं:- “उजड़ गए वो महल वो गलियां जिनमें सिया का बचपन बीता, छोड़ गई कुछ यादों के मोती प्राण विदेह के ले गई सीता।” मां-बेटी की भावनाओं का तरंग रह रह कर उछाल मार रहा था- “माँ बेटी मन पत्थर रख, करे खूब चित्कार। कंपित कर दे रोम रोम, जब बेटी चलें ससुराल। कैसें बेटी अवधपुरी में, सब दायित्व निभाएँ।
चिंता से मन व्याकुल है, रह रह मन घबराएँ।” इस मौके पर श्री युत योगी जी की यही मनः स्थिति महसूस हुई।
जौनपुर महोत्सव 2025 के अंतर्गत माननीय मुख्यमंत्री योगी जी की गरिमामयी उपस्थिति में वर-वधू को प्राप्त आशीर्वाद का पल अत्यंत मार्मिक रहा। विकास की चर्चा हुई। दिव्य भव्य महाकुंभ 2025 में जनपद जौनपुर की प्रशासनिक प्रबंधकीय व्यवस्था के अंतर्गत किए गए कार्यों की प्रशंसा ने जिलाधिकारी के तौर पर मेरे हृदय को द्रवित कर दिया और कार्य के प्रतिफल का ऐसा पुरस्कार कभी नहीं मिला, जब प्रदेश के मुखिया ने सार्वजनिक मंच से जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है जिससे उत्कृष्ट कार्य करने की प्रेरणा मिली।
लिहाजा, जौनपुर महोत्सव 2025 की प्रबंधकीय व्यवस्था में लगे हुए सभी अधिकारी-कर्मचारियों और जनप्रतिनिधिगण को मैं अपनी ओर से साधुवाद देता हूँ कि उन्होंने इस महोत्सव की शोभा ही नहीं बढ़ाई, अपितु अपनी गरिमामयी उपस्थिति से महोत्सव की सफलता के नए आयाम सुनिश्चित किये। मेरी ओर से सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं।