सब्जिया हो रही गरीबों की पहुंच से दूर, गरम मसाले ने धुंआ देना शुरू किया
Spices Price Hike: देश में टमाटर के साथ सब्जियों की महंगाई ने आम जनता के पसीने छुड़ा रखे हैं. टमाटर के दाम जहां 150-160 रुपये प्रति किलो तक आ चुके हैं वहीं सब्जियों की कीमतें तो आसमान छू रही हैं.
ऐसे में ‘महंगाई में आटा गीला’ वाली कहावत सच होती दिख रही है क्योंकि अब भारतीय रसोई के सबसे अहम हिस्से मसालों के दाम भी बेतहाशा चढ़ रहे हैं. भारतीय रसोई की शान माने जाने वाले मसाले जो खाने को स्वाद देते हैं, वो अब महंगाई का झटका आम आदमी को दे रहे हैं.
कई मसालों के दाम लगभग दोगुने हुए
ET Now की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई की मसाला मंडी में अचानक मसालों के दाम में जोरदार इजाफा देखा जा रहा है और पिछले 15 दिनों में ही कीमतों में जबरदस्त तेजी का रुझान है. यहां के मसालों के दाम देखने पर पता चलता है कि कई मसालों के दाम लगभग दोगुने हो चुके हैं. जानें मसालों के पुराने और नए रेट्स में कितना अंतर आ चुका है-
मसालों के ताजा रेट्स बनाम पुराने रेट्स
कश्मीरी मिर्च जो पहले 300-500 रुपये प्रति किलो के रेट पर थी वो अब 500-700 रुपये प्रति किलो के रेट पर मिल रही है.
जीरा इस समय रिटेल बाजार में 800 रुपये प्रति किलो के दाम पर मिल रहा है और इसके होलसेल मार्केट के रेट 550-680 रुपये प्रति किलो पर जा पहुंचे हैं.
गरम मसाला जो खाने के स्वाद को बढ़ाता है इसके दाम में तो 72-80 फीसदी का इजाफा इस साल अभी तक आ चुका है.
हल्दी के दाम भी लगातार बढ़े हैं और ये मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और यूपी में उछाल के साथ जनता को मिल रहे हैं.
क्यों बढ़ रहे हैं मसालों के दाम
इस समय देश में मानसून सीजन तो चल रहा है पर ये साल ‘अल नीनो ईयर’ रहने का अनुमान जताया जा रहा है जिसके चलते कई तरह की फसलों पर नकारात्मक असर पड़ेगा. मसालों की महंगाई के पीछे इस बार कम बुआई और निम्न उत्पादन को कारण बताया जा रहा है. हालांकि देश में मसालों को लेकर धीरे-धीरे दाम चढ़ने के समाचार पहले भी आए हैं पर इस समय अचानक से दामों में ऐसी आग लगी है कि ये चौंकाने वाली बात है.
क्या कहते हैं बाजार के जानकार
मसाला मंडी के कारोबारियों से बात करने पर पता चला है कि तरबूज के बीज जो कि मसाले बनाने के काम आते हैं, उनका एक्सपोर्ट इस साल बढ़ा है जिसके चलते देश में मसालों के प्रोडक्शन पर असर आया है. इसके अलावा कम बुआई, मौसम की असामनता का निगेटिव असर भी मसालों के प्रोडक्शन पर देखा गया है।