नई दिल्ली। हत्या के मामले में 27 वर्षों से फरार चल रहे आरोपित टिल्लू उर्फ रामदास को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने गिरफ्तार कर लिया है। वित्तीय विवाद में पड़ोस में रहने वाले उसके दो रिश्तेदारों ने अपने घर में बुलाकर किशन लाल की हत्या कर दी थी।
वारदात के बाद से रामदास फरार था।
पहचान छिपाने के लिए उसने अपना नाम और पता बदल लिया था। भिखारी का भेष बनाकर वह अलग-अलग धार्मिक स्थानों पर मंदिरों में शरण लेता रहा। क्राइम ब्रांच की टीम को ऋषिकेश में कुछ मंदिरों के पास उसके मोबाइल की लोकेशन मिलने पर पुलिस कर्मियों ने स्वयंसेवक के तौर पर तीन दिनों तक भंडारा का आयोजन किया। रामदास जब भंडारे का प्रसाद लेने पहुंचा तब पुलिसकर्मियों ने उसे दबोच लिया।
चार फरवरी 1997 को दर्ज हुई शिकायत
डीसीपी के अनुसार, चार फरवरी 1997 को सुनीता नाम की महिला ने ओखला थाने में शिकायत कर बताया कि वह तुगलकाबाद में परिवार के साथ रहती है और मूलरूप से एटा (उत्तर) प्रदेश की रहने वाली है। उसका पति किशन लाल तुगलकाबाद एक्सटेंशन में निजी सफाईकर्मी थे।
तीन फरवरी को ड्यूटी से घर लौटने के बाद पति घर में मौजूद थे। शाम को पड़ोस में रहने वाला पति का रिश्तेदार रामू उनके घर आया था। वह उनके पति को अपने घर ले गया था। रात में जब वह घर नहीं लौटे तब सुबह में वह अपने भाई रामू के घर पहुंची। रामू के घर पर ताला लगा हुआ था।
खिड़की से झांककर देखा तो…
खिड़की से झांककर देखा गया तो घर के अंदर खून फैला हुआ था और चारपाई पर कपड़े में लिपटा हुआ एक शव पड़ा हुआ था। उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस जब घर के अंदर पहुंची तब शव किशन लाल का पाया गया। महिला ने रामू और उसके बहनोई टिल्लू पर पति की हत्या करने का आरोप लगाया। इसके बाद ओखला थाना पुलिस ने दोनों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया।
उसी वर्ष 15 मई को भगोड़ा घोषित किया
जांच के बाद दोनों को 15 मई 1997 को भगोड़ा घोषित कर दिया गया। भगोड़ा अपराधियों को पकड़ने के चुनाव आयोग के निर्देश पर क्राइम ब्रांच को कानपुर के रहने वाले रामदास के बारे में जानकारी मिली। वह बार-बार अपना स्थान बदल रहा था और उसका कोई स्थायी पता नहीं था।
उसके फोन की लोकेशन ज्यादातर हरिद्वार और ऋषिकेश के पास मिली। यह भी पता चला कि वह संत बनकर देश भर में मंदिरों में भ्रमण करता है और धर्मशालाओं में ठहरता है। 2023 में उसका मूवमेंट कन्याकुमारी में होने का पता चला था। ओडिशा के जगन्नाथ पुरी में चले जाने के कारण उसका पता नहीं लगाया जा सका था।
बेटी के साथ रामदास लेना चाहता था दिल्ली में घर
कई माह तक जांच के बाद हवलदार अमरीश कुमार को रामदास के ऋषिकेश में होने का पता चला। इसके बाद एसीपी रमेश लांबा की टीम ने उसे वहां से दबोच लिया। पूछताछ में रामदास ने बताया कि पत्नी की मृत्यु के बाद वह अपनी बेटी के साथ अपनी बहन के घर दिल्ली आ गया था। उसकी बहन और जीजा नया घर खरीदना चाहते थे, लेकिन उनका किशन लाल के साथ विवाद था।
वित्तीय विवाद पर चर्चा करने के लिए किशन लाल को उसने अपने घर बुलाया था। बातचीत के दौरान मामला इतना बढ़ गया कि किशन लाल ने उसे और रामू को परिणाम भुगतने की धमकी दी। जिस पर गुस्से में दोनों ने किशन लाल की हत्या कर दी थी। वारदात के बाद सभी कानपुर चले गए और अपना पता बदल लिया और अपनी पहचान भी बदल ली।
संत बनकर देशभर में घूमा
रामदास ने बदायूं के नाम से आधार कार्ड बनवा लिया था। जांच एजेंसी से बचने के लिए उसने खुद को संत का भेष बनाकर देश भर के धार्मिक स्थलों पर घूमना शुरू कर दिया था। रामदास के पिता कानपुर हथियार फैक्ट्री में काम करते थे। उनका परिवार सरकारी आवास पर रहता था।