न साथ रहने को राजी न तलाक देने को, HC ने महिला से पूछा-अपनी मंशा बताइए?
थाने-चौकी, कोर्ट-कचहरी और वकीलों की बात छोड़िए कभी-कभी कुछ पीड़ित मुद्दई या शिकायतकर्ता निचली अदालतों को ही क्या हाईकोर्ट को भी असमंजस में डाल देते हैं. ऐसा ही एक मामला Madhya Pradesh हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में हाल ही में देखने को मिला. जब हाईकोर्ट में एक ऐसी याचिका सुनवाई के लिए पहुंची जिसमें जिद पर अड़ी महिला न तो पति को तलाक देकर उसका पीछा छोड़ने को राजी थी और न ही उसके साथ रहने को तैयार. काफी समझाने-बुझाने और जद्दोजहद के बाद भी जब महिला किसी भी समाधान पर राजी होती नहीं दिखी तो सुनवाई कर रही हाईकोर्ट बेंच ने महिला से ही पूछ लिया, “न साथ रहने को राजी हो. न ही तलाक देने को तैयार. अब आप ही बताइए आखिर आप चाहती क्या हैं क्या मंशा है आपकी?”
हाईकोर्ट में मौजूद दंपति में पति राजस्थान का एक व्यापारी था. जबकि उसकी शादी मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में रहने वाली लड़की से हुई थी. इस मामले की सुनवाई बीते दिनों हाईकोर्ट में जस्टिस रोहित आर्य की बेंच कर रही थी. महिला सिर्फ इस बात पर अड़ी थी कि उसका महीने का मेंटीनेंस भत्ता पति से बंधवा दिया जाए. जबकि हाईकोर्ट चाहती थी कि इस मुकदमे/याचिका का अंतिम हल निकल आए. दाखिल मामले के मुताबिक महिला तलाक देने को राजी नहीं थी. तलाक न देने की सही मजबूत वजह भी वो हाईकोर्ट को नहीं बता पा रही थी.
न तलाक देने को राज और न ही साथ रहने को
हाईकोर्ट का कहना था कि 6 साल से पति-पत्नी जब अलग ही रह रहे हैं तो फिर, अब तक दोनों का तलाक क्यों नहीं हुआ? हाईकोर्ट ने जब यह सवाल महिला से किया तो, वो निरुत्तर खड़ी रह गई. इस पर पति से पूछा गया तो वो बोला मैं तो पत्नी को साथ भी रखने को तैयार हूं. अगर वो तलाक लेना चाहती है तो तलाक भी देने को तैयार हूं. बस पति की इसी दो टूक दलील पर आकर महिला हाईकोर्ट के सामने जवाब नहीं दे सकी. क्योंकि पति हर बात पर राजी था. जबकि महिला सिर्फ और सिर्फ महीने का मेंटीनेंस भत्ता उससे बंधवाने की जिद पर अड़ी थी. हाईकोर्ट ने जब मुकदमे की फाइल पढ़ी तो उसने देखा कि जब दोनो 6 साल से अलग ही रह रहे हैं. तो फिर रास्ता क्यों नहीं निकल सका है.
16 साल से पति से चल रहा लड़ाई झगड़ा
दंपति के बेटा भी है. जो मां के साथ रहकर ही पढ़ाई कर रहा है. हाईकोर्ट ने तो यहां तक कह दिया, जब आप ग्रेजुएशन तक पढ़ी लिखी हो. अपने बेटे को उच्च शिक्षा दिलवा रही हो तो खुद को भी और थोड़ा बहुत पढ़ा लो. ताकि तम्हें कुछ तो पढाई का फायदा मिल सके. 16 साल से पति से लड़ाई झगड़ा करके जीवन क्यों बर्बाद कर रही हो. महिला बोली वो दसियों बार पति से बातचीत कर चुकी है. मगर कोई रिजल्ट नहीं निकला है. इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि, हम अभी केस खत्म नहीं कर रहे हैं. आप पति के साथ जाकर रहो. ऐसी कोई समस्या नहीं है जो दुनिया में बातचीत से नहीं सुलझ सकती है.
आखिर आप चाहती क्या हैं-HC
हाईकोर्ट के इतना सबकुछ कहने समझाने के बाद भी महिला इसी बात पर अड़ी रही कि, उसका मेंटीनेंस भत्ता बंधवा दिया जाए पति से. वो पति के साथ नहीं जाना चाहती है. आप तो (पत्नी) ऐसी जिद पर अड़ी हैं कि न तलाक देना है न साथ रहना है. इस पर महिला बोली कि सर इन्होंने (पति ने) डायबोर्स के लिए एप्लाई किया था. इस पर मामले की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज रोहित आर्य ने कहा, “आप अपनी बताइए. इनकी (पति की) बात छोड़िए कि आप 16 साल से क्या कर रही हैं? तलाक दे रही हैं और न ही साथ रहने को राजी हैं.
पति से भत्ता बंधवाने पर अड़ी महिला
अदालत ने कहा कि हर चीज आप (पत्नि) पति के ऊपर मत डालिए. और अगर साथ नहीं रहना है तो तलाक लेकर खतम करिए. क्योंकि यह (पति) कब तक आपके चक्कर में आए दिन कोर्ट के चक्कर काटता रहेगा और क्यों? आप (महिला) मुझे एक सही कारण बताइये कि आप क्यों न तलाक दे रही हैं न ही साथ रहने को राजी हैं? ” हाईकोर्ट ने तो महिला से यहां तक कह दिया कि, ऐसे तो आप जिंदगी भर लड़ती रहेंगी. पिछली बुरी बातों को छोड़कर नई जिंदगी के बारे में सोचिए. अंत में हाईकोर्ट ने अगली तारीख तय कर दी कि, महिला बच्चे के साथ हाईकोर्ट में पेश होगी. बच्चे से पूछा जाएगा कि वो मां-पिता में से किसके साथ रहना चाहता है?
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