
युनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल ( United Nation security council ) में भारत की स्थायी सदस्यता के समर्थन में पांच में चार देश हैं. यह बड़ी जानकारी केन्द्र सरकार ने लोकसभा में दी है. यूएनससी (UNSC) पांच स्थायी सदस्यों में चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. विदेश राज्य मंत्री वी. मुर्लीधरण ने बताया कि सिर्फ चीन को छोड़कर बाकी चार देश भारत के समर्थन में हैं. उन्होंने बताया कि पांच में चार देशों ने द्वीपक्षीय तौर पर विस्तारित यूएनएससी में भारत की स्थायी उम्मीदवारी का समर्थन किया है. विदेश राज्य मंत्री ने बताया कि सरकार ने भी भारत के लिए समर्थन जुटाने की हर संभव कोशिश कर रहा है.
बायलेटरल से लेकर मल्टि-लेटरल और हाई लेवल मीटिंग तक में भारत को यूएनएससी का स्थायी सदस्य बनाने के लिए केन्द्र सरकार समर्थन जुटाने की कोशिश में है. विदेश राज्य मंत्री ने बताया कि पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्हाइट हाउस में द्वीपक्षीय वार्ता के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी विस्तारित यूएनएससी और एनएसजी या न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप के लिए भारत के स्थायी सदस्यता का समर्थन किया था.
यूएनएससी में रिफॉर्म के समर्थन में चीन
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी पिछले साल एक वार्ता में यूएनएससी में रिफॉर्म का समर्थन किया था. हालांकि चीन ने भारत की सदस्यता को लेकर सार्वजनिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया था. चीन का मानना है कि इससे संगठन की अथॉरिटी और एफिकेसी बढ़ेगी और विकासशील देशों की आवाज़ को एक प्लेटफॉर्म मिल सकेगा. चीन का यह भी मानना है कि छोटे और विकासशील देशों का भी डिसिजन मेकिंग प्रोसेस में योगदान होना चाहिए.
अन्य समूहों में भी रिफॉर्म पर भारत का ज़ोर
ग़ौरतलब है इंटर-गवर्मेंटल नेगोशियेशन (IGN) युनाइटेड नेशन में सदस्यों की कैटगरी, वीटो पॉवर और क्षेत्रीय रिप्रज़ेंटेशन को लेकर रिफॉर्म पर विचार-विमर्श कर रही है. विदेश राज्य मंत्री ने संसद में एक सवाल के जवाब में यह भी बताया कि भारत अन्य रिफॉर्म-ओरियेंटेड देशों जैसे G-4 (भारत, जापान, ब्राज़ील और जर्मनी) और L.69 ग्रुप (क्षेत्रीय देशों का समूंह जिनमें एशिया, अफ्रीका और लेटिन अमेरिका) के देश शामिल हैं में रिफॉर्म पर ज़ोर दे रहा है.
यूएनएससी की स्थायी सदस्यता और क्षमता
मौजूदा समय में यूएनएसी में पांच स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य हैं जो जनरल असेंबली में दो साल के लिए चुने जाते हैं. रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका इसके स्थायी सदस्य हैं जिनके पास किसी भी रिज़ॉल्यूशन को वीटो करने की क्षमता है यानि इनमें एक देश के भी किसी भी रिज़ॉल्यूशन के ख़िलाफ़ रहने पर रिज़ॉल्यूशन रद्द कर दिया जाता है.
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